
Haridwar: रविवार को हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में योग, आयुर्वेद और दंत चिकित्सा को लेकर संगोष्ठी आयोजित हुई जिसमें देहरादून के प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डॉ. विश्वजीत वालिया ने हिस्सा लिया और अपने चिकित्सा अनुभव साझा किए। डॉ वालिया ने पतंजलि संस्थान द्वारा योग, प्राणायाम और आयुर्वेद के क्षेत्र में हो रही क्रांतिकारी प्रगति की जमकर सराहना की। कुल मिलाकर यह आयोजन केवल एक चिकित्सा संगोष्ठी नहीं था, बल्कि एक ऐसी अनुभूति थी जिसमें आधुनिक दंत चिकित्सा और भारतीय परंपरा की जड़ों से जुड़ा आयुर्वेद एक साझा मंच पर संवाद कर रहे थे।
डॉ. वालिया ने बाबा रामदेव के विशेष आमंत्रण पर संस्थान का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि पतंजलि में अब दंत चिकित्सा के लिए एक सशक्त एवं समर्पित चिकित्सक दल कार्यरत है, जिसमें 10 अनुभवी डॉक्टरों की टीम शामिल है। यह टीम न केवल संस्थान में कार्यरत कर्मियों और विद्यार्थियों को नियमित सेवाएं देती है, बल्कि आयुर्वेद और दंत चिकित्सा के समन्वय पर शोध और जनजागरूकता का कार्य भी कर रही है।
चर्चा के दौरान डॉ. वालिया ने एक रोचक प्रसंग साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके साथ देहरादून के गांधी पार्क में नियमित रूप से योग और प्राणायाम करने वाले उनके परम मित्र दुर्गा प्रसाद नौटियाल भी योग, प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों और जीवनशैली में संतुलन के प्रबल पक्षधर हैं। इस पर बाबा रामदेव मुस्कराते हुए बोले —
“मेरे पास भी एक नौटियाल हैं, और तुम्हारे पास भी एक नौटियाल हैं — यानी हम सब नौटियालों से घिरे हुए हैं।”
यह संवाद वातावरण को हल्का और आत्मीय बना गया।
योगगुरु बाबा रामदेव ने डॉ. वालिया के वक्तव्य को श्रद्धापूर्वक सुना और कहा, “तुम्हारी वाणी में सरस्वती का वास है, और यह ओजस्विता प्राणायाम और योग से जन्मी है। यह यौवन, ईश्वर की कृपा से जीवन भर बना रहे, इसकी कामना करता हूँ।”
डॉ. वालिया ने भी बाबा रामदेव के संयमित जीवन, सीमित आहार और कर्मयोग की भावना से गहराई से प्रभावित होते हुए कहा,“आपके योगदान की विशालता को देखते हुए यह समय की मांग है कि आपको भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जाए।”
इस संगोष्ठी का एक और पहलू विशेष रूप से उल्लेखनीय है — बाबा रामदेव द्वारा डॉ. वालिया को अपने संस्थान में आगे भी दंत चिकित्सा शिविर आयोजित करने का आमंत्रण और पूर्ण सहयोग का वचन देना। यह न केवल योग और चिकित्सा के समन्वय को आगे बढ़ाने वाला कदम है, बल्कि जनमानस में स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में भी सार्थक पहल है।
पतंजलि संस्थान, जहां आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, अनुसंधान और आधुनिक चिकित्सा का संगम हो रहा है, आज भारतीय जीवन पद्धति के वैश्विक विस्तार का केंद्र बन चुका है।
इस सहभागिता से एक बात और स्पष्ट होती है — जब चिकित्सा विज्ञान और योग शक्ति मिलकर काम करते हैं, तो न केवल शरीर, बल्कि समाज भी स्वस्थ होता है। और यही सच्चे अर्थों में ‘स्वस्थ भारत’ की परिकल्पना है।
रिपोर्ट: डीपी नौटियाल