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पुष्कर के तीन साल! सियासी फलक पर अभी इस सितारे को चमकना है बहुत देर तलक…

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यूनिफॉर्म सिविल कोड, नकल विरोधी कानून से लेकर धर्मांतरण विरोधी बिल जैसे सख्त फैसलों से दिखी धामी की धमक

Dhami Govt 3। Years: उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराने वाले पुष्कर सिंह धामी के खाते में तीन साल में अनेक उपलब्धियां दर्ज हुई हैं। Dhami Govt 2.0 में मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में पहला कैबिनेट निर्णय लेकर उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास में वो बड़ी लकीर खींच दी जिसके आसपास उनका पूर्ववर्ती कोई भी मुख्यमंत्री दिखाई नही देता है। लेकिन जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो सरकारों में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, तब महज समान नागरिक संहिता (UCC) जैसा ऐतिहासिक फैसला ही नहीं बल्कि सख्त नकल विरोधी कानून से लेकर धर्मांतरण विरोधी कानून और दंगारोधी कानून जैसे कदम बताते हैं कि युवा मुख्यमंत्री ने बड़े फैसले लेने की बारी आई तो उनके पैर लड़खड़ाने की बजाय धरातल पर मजबूती से आगे बढ़ते दिखे।

फिर लव जिहाद से लेकर लैंड जिहाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए पांच हजार सरकारी जमीनों के अवैध कब्जे हटाने का फैसला रहा हो या प्रदेश मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देना रहा हो या बेरोजगार युवाओं के लिए पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया तंत्र का निर्माण करना रहा हो।

खास बात यह है कि मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी को ऐसे वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड की कमान सौंपी थी जब विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने वाली थी और महज चंद महीनों में तीसरे मुख्यमंत्री को आगे कर सत्ताधारी बीजेपी “बारी-बारी सत्ता भागीदारी” के रिवाज बदलेगा कि नहीं बदलेगा के प्रश्न से परेशान नजर आ रही थी। लेकिन अब तक राजकाज के रथ से दूर दिखते रहे युवा धामी को जब अचानक न मंत्री पद का अनुभव न सरकार चलाने का तजुर्बा और बावजूद इसके शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश की सत्ता का सिरमौर बनाकर चुनावी कुरुक्षेत्र के मोर्चे पर झोंक दिया तो फिर सबने युवा नेतृत्व की धमक देखी और हार के कगार पर खड़ी दिख रही बीजेपी ने राज्य का रिवाज बदलते हुए लगातार दूसरी बार सत्ता की चमक देखी। फिर भले सुबाई चुनावी समर जीतते जीतते पुष्कर सिंह धामी को खटीमा में अपनी राजनीति कुर्बान करनी ही क्यों न पड़ गई हो लेकिन मोदी-शाह दौर में दिल्ली ने उत्तराखंड के सियासी कुरुक्षेत्र पर पैनी नजर गड़ा रखी थी और हाई कमान जान चुका था कि खुद को राजनीतिक तौर पर लहूलुहान कर पुष्कर सिंह धामी ने बीजेपी को सत्ता का पारस बना दिया है। इसी का नतीजा रहा कि प्रदेश में पुष्कर के नेतृत्व में Dhami Govt 2.0 का सफर शुरू होता है तो बीते वक्त में उपलब्धियों के कई माइलस्टोन पार कर चार जुलाई 2024 तक पहुंचा है।

धामी सरकार के तीन साल क्यों रहे हैं बेमिसाल ?

उत्तराखंड में UCC

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का फैसला कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न केवल उत्तराखंड के स्तर पर ऐतिहासिक फैसला लिया बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भगवा सत्ता की पटकथा का वो अध्याय खोल दिया जिस पर आने वाले दिनों में भारत सरकार कदम बढ़ाती नजर आएगी। बीजेपी शासित राज्यों ने तो पहले ही धामी की इस धमक के नक्शे कदम चलने का ऐलान कर ही दिया था। यूसीसी पर कानून बनाने के बाद सीएम धामी ने इसकी नियमावली तैयार कराने का कार्य भी शुरू कराया और माना जा रहा है कि इस साल उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू हो जायेगा।

नकल पर नकेल, देवभूमि में धर्मांतरण पर रोक

यूसीसी के जरिए अपने ठोस इरादों का संदेश देने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सख्त कदम बढ़ाते कभी लड़खड़ाए नहीं। इसी का नतीजा है कि नकल विरोधी, धर्मांतरण विरोधी कानून से लेकर लैंड जिहाद, दंगा जैसे मुद्दों पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अख्तियार किया। उन्होंने नकल माफिया को सलाखों के पीछे धकेलने के लिए देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून बनाया। जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए उन्होंने धर्मांतरण कानून को और अधिक सख्त किया। दंगाइयों को सबक सिखाने के लिए भी कानून बनाया। इस कानून के तहत सार्वजनिक व निजी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई दंगाइयों से होगी। राज्य में धार्मिक स्थलों के नाम पर सरकारी भूमि को कब्जे से छुड़ाने के धामी सरकार ने लैंड जिहाद के तहत कार्रवाई की। पांच हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि कब्जे से मुक्त कराई गई।

आधी आबादी को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण

सीएम के तौर पर पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड मूल की महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू कर ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस फैसले से महिला सशक्तिकरण के प्रयासों को बल मिलेगा। राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया। नारी सशक्तिकरण योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार के लिए पांच लाख का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है।

9.11 लाख लोगों को मुफ्त इलाज

राज्य आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश के 9.11 लाख मरीजों को निशुल्क इलाज की सुविधा दी गई। इस पर सरकार ने 1720 करोड़ की राशि खर्च की है।

सवा लाख लखपति दीदी बनेंगी

सरकार ने 2025 तक धामी सरकार ने 1.25 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। वर्तमानममें 80 हजार महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से पांच से सात लाख कमा कर लखपति दीदी बनीं है।

नई खेल नीति में खिलाड़ियों का प्रोत्साहन

खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए नई खेल नीति लागू की है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदम विजेता खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में चार प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया। 8 से 14 साल तक के खिलाड़ियों को शारीरिक टेस्ट और दक्षता के आधार पर हर महीने 1500 रुपये व 14 से 23 साल तक के 2600 मेधावी खिलाड़ियों को 2000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जा रही है।

19000 पदों पर भर्ती

तीन साल के कार्यकाल में पुलिस, दूरसंचार, रैंकर्स, आबकारी, पशुपालन, रेशम, शहरी विकास, वन विभाग, परिवहन, कृषि, शिक्षा, पेयजल समेत अन्य विभागों में 7644 युवाओं को नौकरी दी गई। सरकार ने 19 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

काठगोदाम से हनुमान गढ़ी तक रोपवे

प्रदेश में पर्वतमाला योजना के तहत रोपवे कनेक्टिविटी बढ़ाया जा रहा है। काठगोदाम से हनुमान गढ़ी तक रोपवे निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई। इसके अलावा केदारनाथ, हेमकुंड साहिब रोपवे का शिलान्यास कर डीपीआर बनाई जा रही है।

दून से हवाई सेवाओं से जुड़े कई शहर

जौलीग्रांट एयरपोर्ट से कई शहरों के लिए हवाई सेवा शुरू की गई। देहरादून से अमृतसर, पंतनगर, गोवा, कुल्लू, पिथौरागढ़ के लिए हवाई सेवा को शुरू किया गया।

जाहिर है तीन साल का वक्त किसी भी सरकार या मुख्यमंत्री के लिए उतना ज्यादा भी नहीं होता लेकिन युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अब तक के अपने कार्यकाल में फैसलों में दृढ़ता और प्रदेश की जनता के पास पहुंचने में जो सहजता दिखाई है, वह साफ इशारा करती है कि अभी सियासी फलक पर इस सितारे को चमकना बहुत दूर तलक है..बहुत देर तलक है….।

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