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 राज्यसभा रण: राहुल-प्रियंका ने मिशन 2024 के लिए यूपी के चेहरों को दिया तवज्जो, पवन खेड़ा,नगमा और G23 की तपस्या ‘अधूरी’

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Rajya Sabha Election राज्यसभा चुनाव 2022 के उम्मीदवारों का एलान कर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने मिशन 2024 फतह करने के लिए यूपी को तवज्जो दिया है। यूपी के दो ब्राह्मण चेहरों प्रमोद तिवारी को राजस्थान, राजीव शुक्ला को छत्तीसगढ़ और मुस्लिम चेहरे इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजने का फैसला कर यूपी को तवज्जो दे 2024 की सियासी बिसात बिछाने का दांव खेला है। ज़ाहिर है राहुल-प्रियंका की रणनीति यूपी में 24 की चुनौती के मद्देनजर ब्राह्मण और मुस्लिम वोटर्स में मैसेज देने की है। इसी के साथ G-23 को भी हाइकमान से टकराने का अंजाम बताने की कोशिश हुई है। 

दरअसल चिंतन शिविर में सोनिया गांधी ने लीड करते हुए बागी गुट यानी G23 नेताओं के साथ सुलह सफाई की कोशिशें की तो गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और सलमान खुर्शीद जैसे नेताओं को संसद के उच्च सदन पहुंचने की उम्मीदें जगने लगी थी।  लेकिन राहुल-प्रियंका ने अपने वफादारों को राज्यसभा उम्मीदवार बनवाकर कड़ा संदेश दिया है। हालांकि वफादारों को मौका देने के चक्कर में कांग्रेस ने राजस्थान की तीन की तीन सीटों पर ‘बाहरी’ प्रत्याशी उतार दिए और छत्तीसगढ़ की दो की दो सीटों पर भी ‘बाहरी’ थोपने से असंतोष दिख रहा है।

यही वजह है कि कांग्रेस हाइकमान ने जैसे ही राज्यसभा की 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय किए पार्टी के भीतर नाराजगी के बोल भी फूट पड़े। राजस्थान से कांग्रेस विधायक संयम लोढ़ा ने तो ट्वीट कर पूछ लिया है कि पार्टी बताए राजस्थान का कोई भी उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया गया। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी ट्वीट कर दर्द ज़ाहिर करते कहा कि उनकी तपस्या में भी कुछ कमी रह गई। इसके बाद नगमा ने भी कहा कि उनकी 18 साल की तपस्या बेकार चली गई। 

कांग्रेस ने राजस्थान से तीन बाहरी प्रत्यशियों को उतारा है जिनमें प्रमोद तिवारी, मुकुल वासनिक और रणदीप सुरजेवाला शामिल हैं। जबकि छत्तीसगढ़ से राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन दोनों बाहरी प्रत्याशियों को उतारा है। जबकि हरियाणा से अजय माकन, मप्र से विवेक तनखा, तमिलनाडु से पी चिदंबरम, कर्नाटक से जयराम रमेश और महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया है। 

ज़ाहिर है राहुल-प्रियंका ने 2024 की चुनौती को फोकस करते हुए यूपी को तवज्जो दिया है लेकिन कई वफादारों को राज्यसभा का टिकट दिलाकर सोनिया गांधी से आस लगाए बैठे कई सीनियर नेताओं के चेहरे मुरझा दिए हैं। शुरुआती साइड एफ्फेक्ट्स ट्वीट्स में दिख रहे नाराज़गी लावा बनकर कब फटेगी इसका इंतज़ार करना होगा। 

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