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RTI खुलासा: 22 वर्षों में छात्रों को लैपटॉप-टैबलेट मिले न मिले हों, विधायकों को लैपटॉप दिलाने पर हो गए करोड़ों खर्च

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अच्छी बात ये रही कि बीते वर्ष जरूर शिक्षा विभाग ने 200 करोड़ का फंड जारी कर दसवीं और बारहवीं के प्रत्येक बच्चे (करीब 1 लाख 59 हजार छात्र-छात्राएं) को डीबीटी के माध्यम से खाते में टैबलेट के लिए करीब 12 हजार रुपए दिए थे।

उत्तराखंड में विधायकों के लैपटाॅप पर जनता के 3.37 करोड़ खर्च

प्रत्येक कार्यकाल में दिया जाता है नया लैपटाॅप

विधानसभा सचिवालय द्वारा नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से खुलासा

Uttarakhand News: उत्तराखंड के विधायकों को लैपटाॅप देने पर जनता के 3 करोड़ 37 लाख 22 हजार 149 रूपये खर्च हो चुके हैं। प्रत्येक विधायक को प्रत्येक कार्यकाल के पहले वर्ष में एक लैपटाॅप दिया गया है। कुछ वर्षों में प्रिंटर, वेब कैमरा तथा बैग भी उपलब्ध कराने की सूचना दी गयी है। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत विधानसभा सचिवालय द्वारा नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी सूचना से हुआ है।

5 बार सभी 71 विधायकों को लैपटाॅप दिये गये। इस पर कुल 3 करोड़ 37 लाख 22 हजार 149 रूपये की धनराशि खर्च : नदीम उद्दीन (एडवोकेट)

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी से विधायकों की सुविधाओं पर खर्च की सूचना मांगी थीं। इसके उत्तर में अपील के उपरान्त विधानसभा सचिवालय के लोक सूचना अधिकारी/अनुसचिव मनोज कुमार ने अपने पत्रांक 146 दिनांक 9 मार्च 2023 से विधानसभा के सदस्यों को लैपटाॅप उपलब्ध कराये जाने सम्बन्धी सूचनायें उपलब्ध करायी गयी है।

आरटीआई कार्यकर्ता नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार राज्य गठन से पांचवी विधानसभा के सदस्यों तक 5 बार सभी 71 विधायकों को लैपटाॅप दिये गये। इस पर कुल 3 करोड़ 37 लाख 22 हजार 149 रूपये की धनराशि खर्च हुई है।

विधानसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराये गये विवरण के अनुसार पहली विधानसभा के दौरान 2004 में रू. 58 लाख 66,588 रूपये खर्च कर 71 लैपटाॅप 82,628 रू. प्रति लैपटाॅप की दर के उपलब्ध कराये गये। जबकि 13208 रू. प्रति प्रिंटर की दर के 71 प्रिंटर भी 9,37,768 रू.खर्च करके उपलब्ध कराये गये।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार राज्य की दूसरी विधानसभा यानी 2007 में सभी 71 विधायकों को 70,192.31रू. कीमत के लैपटाॅप टैक्स सहित रू. 51 लाख 83 हजार खर्च कर उपलब्ध कराये गये। जबकि 8550 रू. की कीमत प्रति प्रिंटर की दर से टैक्स सहित 6 लाख 31,332 रूपये खर्च कर सभी विधायकों को प्रिंटर उपलब्ध कराये गये।

तीसरी विधानसभा में वर्ष 2012 में 71 विधायकों को 59915 रू. कीमत का लैपटाॅप 1800 रूपये की कीमत का बैग तथा 4429 की कीमत का वेब कैमरा टैक्स सहित 49 लाख 26,385 रू. खर्च करके उपलब्ध कराये गये।

2014 में 59390 रू. की कीमत के 3 लैपटाॅप टैक्स सहित 187078 खर्च कर 4965 कीमत के 3 प्रिंटर 14,895 रूपये खर्च कर उपलब्ध कराये गये।

चौथी विधानसभा में वर्ष 2017 में 71 विधायकों को 64,625.42 की कीमत के लैपटाॅप टैक्स सहित 54 लाख 14,917.88 खर्च तथा 8250 रू. कीमत के प्रति प्रिंटर टैक्स सहित 6 लाख 91,185 रू. खर्च कर उपलब्ध कराये गये।

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार राज्य की पांचवीं और मौजूदा विधानसभा (2022) के सभी सदस्यों को लैपटाॅप एवं प्रिंटर उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक विधायक के खाते में रू. 1लाख 39 हजार रु स्थानांतरित कर दिये गये हैं। इस प्रकार 71 विधायकों के खाते में लैपटाॅप व प्रिंटर के लिए हस्तांतरित कुल धनराशि 98 लाख 69 हजार रू. होती है।

जाहिर है जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों को लैपटॉप आदि देकर हाईटेक बनाने के पीछे मकसद यही रहता होगा कि वे प्रदेश और अपने क्षेत्र के विकास में योगदान देने में कोई कोर कसर ना छोड़ें। विधायकों को हाईटेक बनाने के लिए बीस सालों में करोड़ों रुपए भी खर्च कर दिए गए हैं।

सवाल है कि हमारे जनप्रतिनिधि क्या वाकई तकनीक को लेकर उतने जागरूक और हाईटेक हो भी पाए? दूसरा अहम सवाल यह भी कि क्या इन जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र के स्कूल कॉलेजों में पढ़ रहे मेधावी बच्चों के हाथों में लैपटॉप और टैबलेट पहुंचाने को लेकर भी प्रयास किए?

अच्छी बात ये रही कि बीते वर्ष जरूर शिक्षा विभाग ने 200 करोड़ का फंड जारी कर दसवीं और बारहवीं के प्रत्येक बच्चे (करीब 1 लाख 59 हजार छात्र-छात्राएं) को डीबीटी के माध्यम से खाते में टैबलेट के लिए करीब 12 हजार रुपए दिए थे।

क्या उम्मीद की जाए कि सरकार से हर विधानसभा के दौरान मिलते रहे लैपटॉप पर कामकाज करते विधायक जरूर इस सवाल का जवाब खोजते रहे होंगे?

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