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उदास रिपोर्ट: आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख ले उत्तराखंड- नौटियाल

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एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) फरवरी रिपोर्ट

लगातार तीसरे महीने में भी जोशीमठ रहा सुर्खियों में

“उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की है।”

देहरादून: देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है। इस क्रम मेंएसडीसी ने अपनी अब तक की पांचवीं और इस वर्ष की दूसरी , फरवरी 2023 की रिपोर्ट जारी कर दी है। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) रिपोर्ट का उद्देश्य राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन है।

उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं संबंधी डेटा को एक जगह पर कंपाइल (संग्रहित) करने का प्रयास है। ज्ञात हो की यह रिपोर्ट मुख्य रूप में विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है।

उत्तराखंड उदास फरवरी 2023

उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में फरवरी 2023 में ऐसी कोई बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई, जिसमें एक ही दिन या एक समय विशेष पर कोई जान और माल की क्षति हुई हो। लगातार तीसरे महीने में उदास की रिपोर्ट का ज्यादातर हिस्सा जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर है। इसके अलावा रिपोर्ट में एक एवलांच और एक भूकंप भी दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट में एक बार फिर जोशीमठ में हुई घटनाओं की सिलसिलेवार जानकारी दी गई है। इसमें मुख्यमंत्री द्वारा जोशीमठ धंसाव को देखते हुए पर्वतीय क्षेत्रों और कस्बों में कैरिंग कैपेसिटी का विश्लेषण करने के आदेश, पुनर्वास कार्यों में देरी, पुनर्वास कार्यों को लेकर जिला प्रशासन के दावे, चारधाम यात्रा हर हाल में करवाने, 400 परिवारों के जोशीमठ से पलायन करने, जोशीमठ के बारे में संसद में हुई चर्चा और सरकार द्वारा दिये गये जवाब के बारे में सूचना दर्ज की गई है।

संसद में चर्चा

रिपोर्ट में संसद में दी गई जानकारी के बारे में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने 5 फरवरी, 2023 को संसद को बताया कि हिमालय क्षेत्र और इसके कई हिस्से अस्थिर और गतिशील हैं, भूस्खलन और भू-धंसाव का यह एक कारण हो सकता है। संसद में यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में क्रमिक भू-धंसाव हो रहा है।

10 फरवरी 2023 को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले जनता का मार्च के साथ ही रिपोर्ट में आठ शीर्ष संस्थानों और संगठनों की रिपोर्ट के आधार पर, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की ओर से जोशीमठ में वर्तमान परिदृश्य और सुधार के लिए आवश्यक प्रयासों पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में दी गई प्रस्तुति का जिक्र किया गया है।

मुआवजा नीति

उत्तराखंड मंत्रिमंडल द्वारा 15 फरवरी, 2023 को मुआवजे के लिए एक नीति को मंजूरी देने, जोशीमठ के प्रभावित लोगों के स्थायी पुनर्वास के लिए तीन विकल्प देने, कम बर्फबारी के कारण औली में प्रस्तावित शीतकालीन खेलों को रद्द किये जाने जैसी कुछ घटनाओं के साथ उदास की रिपोर्ट में एक एवलांच और एक भूकंप की घटना को भी जगह दी गई है।

रिपोर्ट कहती है कि 12 फरवरी, 2023 को चमोली जिले में बदरीनाथ मार्ग पर लामबगड़ के पास हिमस्खलन हुआ। हालांकि, इस हिमस्खलन में किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की खबर मिली। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस तरह के हिमस्खलन को सामान्य घटना माना जाता है। 22 फरवरी, 2023 को दोपहर 1.30 बजे पिथौरागढ़ में 4.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया गया। इस भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ से 143 किलोमीटर पूर्व में धरती की सतह से 10 किलोमीटर नीचे था। भूकंप में जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ।

उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन

अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आग्रेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल

उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की है। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है। ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है।

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