- हाईकोर्ट की डबल बेंच ने तदर्थ कर्मियों की बर्खास्तगी के स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के आदेश पर लगाई मुहर
- बैकडोर से विधानसभा में संस्थागत करप्शन की सीढ़ी चढ़ नौकरी पा गए 250 कर्मियों के लिए अब सुप्रीम कोर्ट अंतिम उम्मीद
- स्पीकर रहते कुमाऊं के गांधी कहलाने वाले गोविंद सिंह कुंजवाल और धामी सरकार के संसदीय मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने अपने कार्यकाल में भर डाले अवैध तरीके से कर्मचारी
- सवाल यही जब सभी भर्तियां अवैध तो पंत, आर्य, कपूर कार्यकाल पर एक्शन कब?
दृष्टिकोण (पवन लालचंद): Backdoor Recruitment Scam in Uttarakhand Assembly, HC double bench stamps Speaker Ritu Khanduri Bhushan decision of removing illegal ad-hoc appointments: नैनीताल हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से भर्ती हुए कर्मचारियों को तगड़ा झटका दे दिया है। बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करने संबंधी सिंगल बेंच के फैसले को पलटते हुए आए डबल बेंच का ये फैसला जहां करीब 250 कर्मचारियों के लिए सदमे से कम नहीं,वहीं स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के संस्थागत करप्शन पर बड़ी चोट वाले बोल्ड डिसीजन के लिए ढाल बन गया है।
हालांकि कानूनी लिहाज से बैकडोर से गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल के स्पीकर रहते तदर्थ नौकरी पा गए इन कर्मचारियों के लिए अभी सुप्रीम कोर्ट का रास्ता बचा हुआ है, लेकिन हाई कोर्ट की डबल बेंच में सिंगल बेंच का फैसला पलटना बताता है कि उनके लिए आगे भी ‘बड़ी कठिन डगर है पनघट की’।
दरअसल स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने जिस तरह से विधानसभा में नौकरियों की बंदरबांट का जो खेल अंतरिम सरकार से लेकर प्रमेचंद अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष कार्यकाल तक चलता आया उसके खिलाफ एक्सपर्ट कमेटी बनाकर जांच कराई थी। एक्सपर्ट कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर ऋतु खंडूरी ने एक झटके में बैकडोर से “अर्जी पर मर्जी” की नौकरी पा गए 250 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिखाया था।
स्पीकर के फैसले को चुनौती देते हुए कर्मचारी हाई कोर्ट पहुंचे तो सिंगल बेंच से स्पीकर के फैसले की तकनीकी खामियों को आधार बनाते हुए बर्खास्त कर्मियों की बहाल करने के आदेश दे दिए। जाहिर है हाई कोर्ट का सिंगल बेंच का फैसला इन कर्मचारियों के लिए जीत था तो प्रदेश की पहली महिला स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के लिए झटका और राजनीतिक तौर पर अलग थलग पड़ना था। पॉलिटिकल कोरिडोर्स में अंदरूनी तौर पर सत्ताधारी भाजपा हो या मुख्य विपक्षी कांग्रेस, कईयों को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच का फैसला रास आया।
यह संदेश भी दिया जाने लगा कि स्पीकर को अब संभाल जाना चाहिए और इस बैकडोर भर्तियों के मामले में मुंह पर टेप लगा लेने में ही उनकी भलाई है। लेकिन सख्त लोकायुक्त गठन जैसा राजनीतिक जोखिम लेने से जब मुख्यमंत्री रहते मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी को भय नहीं हुआ तो भला उनकी बेटी स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण कहां सिंगल बेंच से मिले झटके के बाद दबाव में सरेंडर करने वाली थीं।
यह ऋतु खंडूरी भूषण का ही माद्दा था कि जब विधानसभा सचिवालय से उनको लेकर तरह तरह के कागज लीक होने लगे और हाई कोर्ट सिंगल बेंच के फैसले को उनकी राजनीतिक और निर्णय क्षमता की नादानी करार दिया जाने लगा, स्पीकर ने राजनीतिक नुकसान की परवाह की बिना इस लड़ाई को निर्णायक अंजाम तक पहुंचाने की ठानी।
दरअसल, यह मसला सिर्फ 250 लोगों को कुंजवाल और अग्रवाल द्वारा बैकडोर से “अर्जी लेकर मर्जी” की नौकरी बांटने भर का नहीं था बल्कि ऋतु खंडूरी ने यह लड़ाई उत्तराखंड में दीमक बनकर पूरी व्यवस्था को चट कर रहे संस्थागत करप्शन पर गहरी चोट मारने के मकसद से छेड़ी थी। लिहाजा उन्होंने हार मानना गंवारा नहीं किया और लड़ाई को अगली स्टेज में लेकर जाने का फैसला किया।
स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के निर्देश पर विधानसभा सचिवालय ने हाई कोर्ट सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट की डबल बेंच का रुख किया। हाई कोर्ट डबल बेंच ने विधानसभा सचिवालय द्वारा दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को सही ठहरा दिया है।
जाहिर है अभी इस मामले का देश की शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट तक जाना तय है। लिहाजा जब देश की अंतिम अदालत इस मामले का पटाक्षेप करेगी, तब उस समय की परिस्थितियों और कानूनी पहलुओं को नई रोशनी में जरूर देखा जाएगा और यह एक नजीर भी बनेगा। न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देशभर में जहां भी सरकारी इंस्टीट्यूशंस में बैकडोर से नौकरियों की बंदरबांट हो रही होगी।
बहरहाल यह साफ दिख रहा है कि स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने विधानसभा में जब भी जो स्पीकर रहा उसने अपने बेटे-बहुओं से लेकर सगे-संबंधियों और पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं को ऑब्लाइज करने के लिए बैकडोर भर्ती के नाम पर जो करप्शन का काउंटर खोले रखा उनके मुंह पर यह करारा तमाचा है।
दुखद पहलू और उससे बड़ी राजनीतिक विडम्बना यह है कि पूर्व सीएम हरीश रावत से लेकर तमाम कांग्रेस पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के भ्रष्टाचार भरे अवैध नियुक्तियों के इस कृत्य की हिमायती बनी फिर रही है, तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर तमाम सत्ताधारी भाजपा स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के फैसले और अब उस पर हाई कोर्ट की डबल बेंच की मुहर लगने के बावजूद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में संसदीय कार्य और वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल को राज्य सरकार के माथे का तिलक बनाकर अनुपूरक बजट तैयार करा रही है।
जब तक किसी उच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट से बैकडोर भर्तियों पर स्पीकर के फैसले के खिलाफ आदेश नहीं आ जाता है, तब तक का सच यही है कि कुंजवाल से लेकर अग्रवाल, 250 बैकडोर भर्तियों के जिम्मेदार हैं। और अगर वर्तमान में यही सच है तब भला उस बिम्ब को भी देखिए कि इसी महीने 29 तारीख से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पीठ पर बैकडोर कर्मचारियों को बर्खास्त करने वाली स्पीकर आसीन होंगी और सामने अनुपूरक बजट पेश करने से लेकर विधायी कामकाज और सदन संचालन की अहम भूमिका में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल नजर आएंगे।
अब यह व्यवस्था का मजाक है या फिर क्या इसका आकलन आप खुद करिए। लेकिन इतना जरूर गौर करिए कि भ्रष्टाचार को कैसे संस्थागत बनाकर स्वीकार कर लिया जाता है उसका उदाहरण कुंजवाल और अग्रवाल द्वारा किए गए कृत्य नहीं हैं तो भला इसकी परिभाषा और क्या होगी?
सवाल यही जब सभी भर्तियां अवैध तो पंत, आर्य, कपूर कार्यकाल पर एक्शन कब?
सवाल स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के समक्ष भी विद्यमान है कि क्या वे कुंजवाल और अग्रवाल के भ्रष्ट कृत्य उजागर करने के बाद शांत बैठ जाएंगी या फिर उनके पिता के मुख्यमंत्रित्व काल में रहे विधानसभा अध्यक्ष से लेकर बाकी सबकी कर्म कुंडली खोल डालेंगी? अगर वे ऐसा कर पाईं तो न केवल पहाड़ की मातृ शक्ति की तरह से इस भ्रष्ट तंत्र पर यह मारक प्रहार होगा बल्कि राज्य की व्यवस्था में घुलमिल चुके भ्रष्टाचार के दीमक की सफाई का यह आगाज भी होगा। क्या जनरल खंडूरी की बेटी यह कंटीली पगडंडी कुछ कदम और चल पाएंगी !
क्या है मामला
- हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने उत्तराखंड विधानसभा में पूर्व विधानसभा अध्यक्षों द्वारा बैकडोर से भर्ती किए गए कर्मचारियों को निकालने के स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के निर्णय पर रोक लगा दी थी।
- उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने बैकडोर से हुईं 250 भर्तियां रद्द करने का साहसिक फैसला लिया था।
- स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने 228 तदर्थ और 22 उपनल के जरिए हुईं नियुक्तियां रद्द कर डाली थी।
- विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले में स्पीकर ऋतु ने विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी सस्पेंड कर दिया था और उनके खिलाफ जांच बिठा दी थी।
- ऋतु खंडूरी ने बैकडोर भर्तियों की जांच को गठित तीन सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया था।
- एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि भर्तियों में भ्रष्टाचार हुआ और नियमों को ताक पर रखकर नौकरियां बांट दी गई।
- कमेटी रिपोर्ट मिलते ही ऋतु खंडूरी ने कुंजवाल काल में 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां और फिर अग्रवाल काल में 2020 में हुईं छह तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द कर डाली थी।