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अभी तक आम आदमी के खान-पान की चीज़ें हो रही थी महँगी, अब पशुओं के चारा भूसे की क़ीमतों में भी लग गई महंगाई की आग, पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा को देना पड़ा दखल

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  • पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा के सख्त निर्देश के बाद ज़िलाधिकारियों के नाम फ़रमान
  • भूसे की क़ीमतों में लगी महंगाई की आग बुझाने को कालाबाज़ारी और दूसरे राज्यों में बिक्री पर रोक

देहरादून: अभी तक आम आदमी अपने खान-पान और रोजमर्रा की चीज़ों को ख़रीदते हुए महंगाई की मार झेल रहा था। लेकिन अब पशुओं का चारा भूसा भी महंगा हो गया है और ऊपर से भूसे का अनावश्यक भंडारण कर कालाबाज़ारी शुरू हो गई सो अलग! हरियाणा जैसे कई राज्य पहले ही पशुओं का चारा भूसा महंगा होने के चलते इसके दूसरे राज्यों में परिवहन पर रोक लगा चुके थे। अब जब उत्तराखंड मे भी भूसे की क़ीमतों में भारी उछाल देखने को मिला तो पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा को एक्शन में आना पड़ा। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने भूसे की क़ीमतों में आए भारी उछाल को क़ाबू करने को लेकर विभाग को सख्त निर्देश दिए जिसके बाद सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने तमाम ज़िलाधिकारियों को बाकायदा पत्र लिखकर ये संदेश दे दिया है।

ज़िलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि पिछले साल के औसत भाव 400 रुपए से 600 रुपए प्रति क्विंटल के मुकाबले वर्तमान में भूसे के भाव बढ़कर 900 रुपए से 1300 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। हालात को देखकर हरियाणा और कई दूसरे राज्यों ने भूसे की दूसरे राज्यों को बिक्री पर रोक लगा दी है जिससे उत्तराखंड में क़ीमतों में और उछाल आ गया है और भूसे की किल्लत भी बढ़ गई है। ऐसे हालात में आशंका है कि बड़ा तादाद में मवेशी पालक अपने मवेशियों को खुला में छोड़ सकते हैं जिसके खड़ी फ़सलों के नुकसान के साथ साथ सड़कों पर आवारा पशुओं के आने से दुर्घटना का खतरा भी पैदा हो सकता है।

भूसे की क़ीमतों पर क़ाबू पाने को लेकर सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत :
१. भूसा को ईंट भट्टा और उद्योगों में आदि में इस्तेमाल पर अगले 15 दिन तक रोक।
२. भूसा कारोबारियों द्वारा अनावश्यक भंडारण कर कालाबाज़ारी करने पर रोक।
३. भूसे को अपने जिले से अन्य राज्यों में बिक्री के लिए ले जाने पर रोक।
४. जिलों में पुराल जलाने पर तत्काल रोक।

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