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पूर्व सीएम TSR सूर्यधार झील प्रोजेक्ट को उपलब्धि बता प्रचारित कर रहे, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को आ रही करोड़ों के भ्रष्टाचार की बू, शासन ने कर ली है अब रिपोर्ट तलब, देखिए कैसे त्रिवेंद्र के जीरो टॉलरेंस राज में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार की पोल खुद सिंचाई मंत्री की जांच रिपोर्ट में खुल रही

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देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील को अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धि बता-बताकर थक नहीं रहे और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को शुरू से इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की बू आती रही है।


ज्ञात हो कि सूर्यधार झील परियोजना के निर्माण का ऐलान अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में 29 जून 2017 को मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। 22 दिसंबर 2017 को टीएसआर सरकार ने सूर्यधार झील प्रोजेक्ट के लिए 50.24 करोड़ की प्रशासनिक ओर वित्तीय स्वीकृति दी थी। लेकिन 27 अगस्त 2020 को सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सूर्यधार झील की स्थलीय दौरा कर कई अनियमितताएँ पकड़ी जिसके बाद इन्होंने जांच के आदेश भी दिए।

मंत्री महाराज द्वारा गठित तीन सदस्यीय विभागीय जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट 31 दिसंबर 2021 को सरकार को सौंप दी। इस जांच में पता चला कि कंसलटेंट द्वारा तैयार डीपीआर में कई ख़ामियाँ थी और बिना डीपीआर का तकनीकी परीक्षण किए कंसल्टेंट को 27 लाख का भुगतान भी कर दिया गया। इतना ही नहीं, झील की ऊँचाई 7 मीटर से बढ़ाकर 10 मीटर करने को लेकर भी शासन से स्वीकृति लेना भी जरूरी नहीं समझा गया। तकनीकी सलाहकार की नियुक्ति भी बिना शासन के संज्ञान में लाए कर दी गई।

जांच रिपोर्ट में यह खुलासा भी हुआ है कि सूर्यधार झील प्रोजेक्ट पर स्वीकृत राशि से 12 करोड़ रु अधिक यानी कुल 62 करोड़ रुपए खर्च दिए गए। जाहिर है इस तरह से 12 करोड़ रु के सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। इतना ही नहीं धनराशि विचलन, अतिरिक्त मदों के कार्य, बाजार की दरों पर कराए गए कार्य व निविदा से संबंधित दरों में ख़ामी व भिन्नता पाई गई। यहाँ तक कि महालेखाकार के संप्रेक्षण दल ने प्रोजेक्ट की विस्तृत जाँच वित्त व तकनीकी समिति से कराने की सिफारिश करते हुए इससे विभागीय व परियोजना से जुड़े अधिकारियों को दूर रखने को कहा है।

जाहिर है सूर्यधार झील प्रोजेक्ट में जमकर वित्तीय और दूसरी गड़बड़ियों की बात पुष्ट हो चुकी है। इसी को देखते हुए चार जनवरी को सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने डीपीआर तैयार करने वाले कंसल्टेंट, परीक्षण करने वाले अधिकारियों और प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को निर्देश दे दिए थे। अब सचिव सिंचाई एचसी सेमवाल ने विभाग प्रमुख को पत्र भेजकर संबंधित ज़िम्मेदार अधिकारियों का ब्योरा सहित रिपोर्ट जल्द से जल्द शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

अब यह अलग बात है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत न केवल राजनीतिक मंचों से बल्कि सोशल मीडिया के जरिए भी अपने विधानसभा क्षेत्र डोईवाला स्थित सूर्यधार झील प्रोजेक्ट को अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर न केवल लगातार प्रचारित कर रहे बल्कि अगर भाजपा ने डोईवाला से टिकट दिया तो इसके जरिए वोटों की फसल काटने की तैयारी में भी हैं। पूर्व सीएम दावा कर रहे हैं कि सूर्यधार झील प्रोजेक्ट से आज लगभग 18 गाँवों को सिंचाई और 19 गाँवों को पेयजल मिल रहा है। इतना ही नहीं त्रिवेंद्र दावा कर रहे हैं कि सूर्यधार झील पर्यटकों को भी रही है और यह न केवल नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रही है बल्कि स्थानीय लोगों तो इससे रोजगार/स्वरोज़गार भी मिल रहा है। इसी के साथ टीएसआर अपने मंत्री दोहराना नहीं भूलते ‘जो कहा वो किया बातें कम-काम ज़्यादा’।


सवाल है कि डबल इंजन सरकार के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज जब सूर्यधार झील में भ्रष्टाचार और मानकों के विरुद्ध बिना शासन व सरकार की यथोचित अनुमति के कार्य करने का आरोप लगा रहे, तब टीएसआर इसे अपनी उपलब्धि करार देकर किस मकसद से प्रचारित कर रहे? आखिर पूर्व मुख्यमंत्री सच्चे हैं या फिर वित्तीय अनियमितताओं के चलते जांच करा रहे सिंचाई मंत्री?

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