दिल्ली/देहरादून: नौ मार्च को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाकर बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में हाशिए पर चले गए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फिर से ‘अच्छे दिन’ आने वाले हैं। सोमवार को दिल्ली में संसद के मानसून सत्र की गहमागहमी के बीच त्रिवेंद्र रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से करीब आधे घंटे की मुलाकात की। इससे पहले त्रिवेंद्र रावत केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले। एक ही दिन में दोनों शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड बीजेपी सरकार व संगठन तथा दिल्ली तक फैले अपने विरोधियों को तगड़ा मैसेज दे दिया है
यूं तो प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद उनके समर्थकों ने इसे चार साल राज्य की सरकार के नेतृत्व का अवसर दिए जाने पर पीएम का आभार जताने वाली मुलाकात करार दिया है। लेकिन राजनीतिक गलियारे में हल्ला मच गया है कि जल्द टीएसआर को पार्टी संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर कोई अहम ज़िम्मेदारी मिल सकती है।
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात से पहले टीएसआर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले और माना जा रहा है कि इस दौरान 2022 के उत्तराखंड चुनावों से लेकर राज्य के ताजा हालात पर अपनी रिपोर्ट साझा की। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के ताजा सांगठनिक फेरबदल को लेकर बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व चौकन्ना है और इस पर भी टीएसआर ने अपना फीडबैक अमित शाह को दिया है।
ऐसे में जब महासचिव भूपेन्द्र यादव सहित कम से कम संगठन के तीन-चार चेहरे सरकार में समायोजित हो चुके हैं तब जल्द बीजेपी संगठन में नए चेहरों को भरने की चर्चा चल ही रही है। इस बीच टीएसआर की मोदी-शाह से मुलाकात अहम हो जाती है क्योंकि शाह के साथ त्रिवेंद्र यूपी के 2014 में सह प्रभारी रह चुके और झारखंड प्रभारी रहते सरकार बनवाई थी। इस लिहाज से शाह जरूर चाहेंगे कि अपने करीबी टीएसआर को बाइस बैटल और चौबीस की चुनौती के मद्देनज़र संगठन में अहम रोल दिया जाए। वैसे भी गढ़वाल कोटे से केन्द्रीय मंत्री के तौर पर निशंक की छुट्टी और तीरथ को हटाकर धामी के ज़रिए कुमाऊं को तवज्जो से गढ़वाल उपेक्षित दिख रहा। ऐसे में टीएसआर को संगठन में एडजेस्ट किया जा सकता है। वैसे टीएसआर विरोधियों के लिए सोमवार की ये दो मुलाक़ातें बेचैनी बढ़ाने वाली साबित हो सकती हैं। विरोधी चाहे दिल्ली वाले हों या देहरादून पॉवर कॉरिडोर्स पर क़ाबिज़!