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4 साल चीफ मिनिस्टर रहते TSR भर्ती आयोगों से न एक भर्ती करा पाए न आयोगों में बैठी भ्रष्टाचार की एक मक्खी तक उड़ा पाए, अब याद आया युवाओं से हो रहा मजाक लिहाजा आयोग कर दिया जाए भंग

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Former CM Trivendra Singh Rawat on UKSSSC Paper Leak: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में स्नातक परीक्षा (VPDO) में पेपर लीक के ज़रिए घपले की ख़ुलासा होने के बाद आक्रामक विपक्ष के सुर में सुर मिलाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भर्ती आयोग को ही भंग करने को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। हालाँकि एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पेपर लीक कांड में सख़्त तेवर अपनाकर बड़े एक्शन का संकेत दे चुके हैं और एसटीएफ़ देहरादून से लखनऊ तक घपलेबाजों के तार खंगाल कर छह आरोपियों को दबोच चुकी है। लेकिन बेरोज़गार युवाओं के हित में पूर्व मुख्यमंत्री TSR कह रहे हैं कि रिश्वतख़ोर नई पीढ़ी के युवा सपनों के साथ मज़ाक़ और अत्याचार कर रहे हैं। कुछ शॉर्टकट चलने वाले और रिश्वतख़ोर लोग हमारी भर्ती एजेंसी के कहीं न कहीं प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। यूपी में एक बार ऐसे ही मामलों के चलते आयोग भंग कर दिया गया था लिहाज़ा यहाँ भी विचार किया जाना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह बड़ा बयान सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन रहा है। एक तरफ जहां इसे सीधे सीधे अपनी ही पार्टी की सरकार पर पूर्व सीएम की तरफ से सवाल खड़े करना मान रहा है, तो दूसरी तरफ बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि आखिर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) क्या आज पेपर लीक कांड के बाद संदेह के घेरे में आया है? क्या फ़ॉरेस्ट गार्ड भर्ती से लेकर हर दूसरी भर्ती परीक्षा आयोग पर सवाल खड़े नहीं करती रही? फिर UKSSSC ही क्यों दूसरे भर्ती आयोग कौनसे दूध के धुले या पाक साफ रहे हैं?

हरियाणा की भाजपा की खट्टर सरकार सत्ता में आते ही ट्रांसफर पॉलिसी बनाकर अपने यहां पूरे ट्रांसफर उद्योग को खत्म कर डालती है, तब चार साल में टीएसआर क्यों नहीं ट्रांसफर एक्ट को सख्ती से लागू करा पाए? जब खट्टर सरकार से लेकर कई भाजपाई और विपक्षी दलों की सरकारें अरने राज्य में भर्तियों का कलेंडर जारी करने लगी तब टीएसआर राज में बेरोजगार युवा सड़कों पर इन्हीं माँगों को लेकर क्यों पुलिस के डंडे खाते रहे?

कम से कम मुख्यमंत्री बनते ही तीरथ सिंह रावत ने 24-25 हजार खाली पड़े सरकारी पदों को लेकर गंभीरता दिखाकर इस पर होमवर्क किया और फिर मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही सबसे पहला निर्णय पुष्कर सिंह धामी ने भी युवाओं के लिए चार साल से बंद पड़े रहे भर्तियों के दरवाजे खोलने को लेकर ही लिया। क्या पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भूल रहे कि वे जब सवा लाख करोड़ के निवेश MoU के सब्ज़बाग़ उत्तराखंड की जमीन पर बोए जा रहे थे और सरकारी नौकरी मांग रहे युवाओं को स्वरोज़गार के सपने थमा रहे थे।

उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष और बेरोजगार युवाओं के लिए एक छोर पर डटकर सिस्टम में लड़ रहे बॉबी पंवार कहते हैं कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के भंग करने की मांग तो वे अरसे से कर रहे लेकिन आज पूर्व मुख्यमंत्री TSR जिनके राज में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में धाँधली होती है और SIT बनती है लेकिन पूरे मामले में लीपापोती से ज़्यादा कुछ नहीं हुआ था, वे आज किस आधार पर युवाओं के हित को लेकर चिन्ता दिखा रहे! बॉबी पंवार सवाल करते हैं कि आख़िर इन आयोगों की रीति-नीति से क्या सरकार और सीएम तब अनजान थे?

ज़ाहिर है सरकारी पदों पर होने वाली भर्ती परीक्षाओं को लेकर गंभीर सवाल हैं लेकिन पूर्व सीएम टीएसआर भी अपनी सरकार में आयोगों में पनप चुके घपलेबाज घड़ियालों की धरपकड़ जैसा कोई कारगर काम नहीं कर पाए थे। ऐसे में अब सत्ता से दूर होकर आयोग भंग करने का ढोल पीटना लकीर पीटने जैसा ही है। यह बात अलग है कि क्या पता इसी बहाने सीएम धामी की घेराबंदी का मौक़ा हाथ से जाने का लोभ संवरण न कर पाए हों अपने तिरदा!

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The News Adda

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