विशेष सत्र पर वार-पलटवार: आर्य-प्रीतम ने इस्तीफे देकर की धामी सरकार की घेराबंदी, राज्यपाल से मुलाकात कर की ये शिकायत

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UCC in Uttarakhand: सीएम पुष्कर सिंह धामी की यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पहलकदमी का नतीजा यह है कि उत्तराखंड इतिहास रचने की दहलीज पर है और विधानसभा की चौखट पर करते ही उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य होगा जहां समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। धामी सरकार के फ्लोर मैनेजर्स ने छह फरवरी को यूसीसी पर विधेयक और सात को राज्य आंदोलनकारियों को मिलने वाले क्षैतिज आरक्षण संबंधी विधेयक पर प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने की तैयारी पूरी कर ली है लेकिन विपक्षी कैंप से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और वरिष्ठ विधायक प्रीतम सिंह के एक दांव ने धामी सरकार की घेराबंदी कर दी है।

विपक्ष का तीखा आरोप है कि सदन चलाने को लेकर धामी सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं को ताक पर रखकर मनमानापन दिखा रही है। इसे लेकर आर्य और प्रीतम ने विधानसभा अध्यक्ष से लेकर प्रदेश के राज्यपाल तक अपना विरोध दर्ज करा दिया है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और वरिष्ठ विधायक प्रीतम सिंह ने पहले स्पीकर ऋतु खंडूरी को कार्य मंत्रणा समिति से अपने इस्तीफे भेज दिए और फिर शाम को राजभवन का दरवाजा खटखटाकर विशेष सत्र को लेकर अपनी गंभीर नाराजगी दर्ज करा दी है।

कांग्रेस का सीधा आरोप है कि यूसीसी को लेकर बुलाए गए विधानसभा सत्र में न प्रश्नकाल होगा और न ही शून्यकाल। विपक्ष का आरोप है कि सत्ताधारी दल बीजेपी कार्य संचालन नियमावली को ही नहीं मान रहा है। विपक्ष की दलील है कि जिसे यूसीसी के नाम पर विशेष सत्र कहा जा रहा वह विशेष सत्र ही नहीं है। आर्य और प्रीतम ने विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेज आरोप लगाया कि पिछले साल आठ सितंबर को विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुआ और इसी स्थगित सत्र को आज यानी पांच फरवरी से शुरू किया गया है। इस लिहाज से यह विशेष सत्र नहीं कहलाएगा। इतना ही नहीं विपक्ष ने यह भी दलील दी कि इसी साल 25 जनवरी को विधानसभा सचिव की तरफ से सभी विधायकों को पत्र लिखकर नियम 53,58,299 और नियम 300 में सूचनाओं को देने को कहा गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि अब यूसीसी पर विशेष सत्र का हवाला देकर प्रश्नकाल सहित लोक हित की सूचनाओं को स्थगित कर दिया गया है। इसे बहुमत के दम पर कार्य मंत्रणा समिति से पास कराना असैंवधानिक कृत्य है और यह विधायकों के अधिकारों का हनन व उन पर अतिक्रमण है।

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि अगर विशेष सत्र ही सरकार बुलाना चाहती थी तो पहले उसे सत्रावसान करना चाहिए था।जबकि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि यूसीसी को लेकर सत्र आयोजित हो रहा है लेकिन विधायकों को विधेयक से जुड़ी जानकारी नहीं मिली है लिहाजा चर्चा से पहले उनको अतिरिक्त समय मिलना चाहिए।

शाम को विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन शिकायत लेकर पहुंच गया और राज्यपाल से दखल की मांग के साथ अपनी गुहार लगाई। यहां पढ़िए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य द्वारा राज्यपाल को लिखी गई चिट्ठी

सेवा में,
महामहिम श्री राज्यपाल महोदय,
उत्तराखण्ड।

महोदय,
जैसा कि आप विदित ही हैं कि उत्तराखण्ड विधान सभा का वर्ष 2023 का द्वितीय सत्र जो 08 सितम्बर, 2023 के उपवेशन की समाप्ति पर अनिश्चित काल के लिये स्थगित हो गया था, को सोमवार दिनांक 05 फरवरी, 2024 से आहूत किया गया था। विधान सभा सचिवालय की अधिसूचना(संलग्नक-1) से ही स्पष्ठ है कि इस सत्र को विशेष सत्र नहीं माना जा सकता क्योंकि सत्रावसान हुआ ही नहीं है।
इसके अतिरिक्त सचिव, विधान सभा के आदेश से विधान सभा सचिवालय के पत्र संख्या 213 दिनांक 25 जनवरी, 2024(संलग्नक-2) के माध्यम से भी एक पत्र सभी माननीय सदस्यगणों को जारी किया गया है जिसमें अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं यथा नियम 53, 58, 299 एवं नियम 300 की सूचना को प्रत्येक उपवेशन को प्रातः 08ः30 बजे से 09ः30 बजे, दिनांक 06 फरवरी, 2024 तक विधान भवन में लिये जाने हेतु कहा गया है।
उपरोक्त सारे तथ्यों के होते हुए भी कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में यू.सी.सी. हेतु विशेष सत्र का हवाला देते हुए प्रश्नकाल एवं अविलम्बनीय लोक हित सूचनाओं को स्थगित करना कार्यसंचालन नियमावली का उल्लंघन है। इस तरह के अवैधानिक कार्य को कार्यमंत्रणा समिति में बहुमत के आधार पर पास किया जाना कदाचित उचित नहीं है।
सरकार द्वारा संवैधानिक मूल्यों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। सत्रावसान किये बिना ही विशेष सत्र के नाम पर प्रश्नकाल, अविलम्बनीय लोक महत्व की सूचनाओं को स्थगित किया जा रहा है।
अतः हम सभी आपसे निवेदन करते है कि कृृपया संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हेतु सरकार को निर्देशित करने की कृृपा करें।
संलग्नक-यथोपरि।
दिनांक-05.02.2024

(यशपाल आर्य)


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