- समाज कल्याण विभाग की महिला अधिकारियों के साथ पार्षद द्वारा की गयी अभद्रता पर महासंघ मुखर
देहरादून: 15 जून को जिला समाज कल्याण कार्यालय में घटित घटना में एक जनप्रतिनिधि द्वारा अपनी हनक दिखाकर 2 महिला समाज कल्याण अधिकारियों के साथ अभद्रता, अमर्यादित व्यवहार, गाली गलौच करने के साथ-साथ सरकारी कार्य के दौरान सरकारी दफ्तर का दरवाजा बन्द कर कैद करने के कृत्य के विरूद्ध आक्रोशित उत्तराखण्ड अधिकारी-कार्मिक-शिक्षक महासंघ का प्रतिनिधि मंडल ने महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी की अगुुवाई में जिला समाज कल्याण अधिकारी देहरादून में अपना आक्रोश व्यक्त किया।
प्रतिनिधिमंडल के साथ दोनों सहायक समाज कल्याण अधिकारी आंचल वेदवाल एवं मीनाक्षी उपाध्याय भी उपस्थित रही तथा इनके द्वारा हुये अमर्यादित व्यवहार व कुंडा लगाकर दरवाजा बन्द कर दिये जाने पर महिला कार्मिकों के उत्पीडन का संज्ञान अपनी बात रखते हुये कराया गया।
महासंघ की ओर से जिला समाज कल्याण अधिकारी देहरादून को दिये गये लिखित ज्ञापन में सम्बन्धित सहायक समाज कल्याण अधिकारियों द्वारा स्थानीय पार्षद के साथ घटित घटनाक्रम की शिकायत में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया है कि उनके द्वारा सम्बन्धित आवेदक को नये डिजीटल राशन कार्ड की छायाप्रति/रसीद संलग्न करने के सम्बन्ध में बताया गया, क्योंकि उनके द्वारा अपने पेंशन सम्बन्धी आवेदन पत्र पर पुराने राशन कार्ड की छायाप्रति संलग्न की गयी थी। जिस पर सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर तो अंकित थे किन्तु जारी होने का दिनांक दर्ज नहीं था, इसलिये उनके द्वारा आपत्ति व्यक्त करते हुये नये राशन कार्ड की छायाप्रति संलग्न करने हेतु कहा गया।
इससे उनके साथ आये क्षेत्रीय पार्षद विशाल कुमार द्वारा अभद्रता करते हुए रिश्वतखोरी जैसे बेबुनियाद एवं निराधार आरोप लगाये गये। साथ ही संज्ञानित कराया गया है कि उनके द्वारा कार्यालय में बाहर से कुन्डी लगाते हुए दोनों कार्मिकों को कार्यालय कक्ष में बन्द कर दिया गया, जो कि शासकीय कर्मचारी विशेषकर महिला के साथ दुर्व्यवहार की श्रेणी में आता है।
पूर्ण मनोयोग से शासकीय दायित्वों का पूर्ण ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा से निर्वहन किया जा रहा है, जबकि क्षेत्रीय पार्षद द्वारा अनावश्यक दबाव बनाते हुये कार्य करने हेतु कहा गया, जिसका विरोध किया गया। इस कारण उनके द्वारा अनर्गल आरोप लगाये गये, जो बेबुनियाद एवं निराधार हैं। इस सम्बन्ध में वहां उपस्थित अन्य व्यक्तियों जैसे विजय भट्ट, दीप बोहरा, विरोश कुमार द्वारा जिला समाज कल्याण अधिकारी, देहरादून एवं विशाल कुमार को भी अवगत करा दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी महिला कार्मिकों का पक्ष दबाकर एक तरफा कार्यवाही का संज्ञान कराया गया है।
महासंघ की ओर से इस घटनाक्रम के सम्बन्ध में कहा गया है कि निश्चित रूप से दोनों कार्मिकों की सामाजिक मान प्रतिष्ठा व छवि को ठेस पहुंचाये जाने का प्रयास किया गया है, जिस प्रकार से सम्बन्धित कार्मिकों का पक्ष आना चाहिये था, उनका पक्ष जाने बिना एकतरफा मीडिया आदि में बयानबाजी की गयी है। जनता के मध्य से चुने गये जनप्रतिनिधि को भी संयम एवं एक मर्यादित व्यवहार रखे जाने की अपेक्षा की जाती है। लेकिन कार्मिकों विशेषकर महिला कार्मिकों को कमरे में बन्द कर प्रताड़ित किये जाने की महासंघ घोर निन्दा करता है।
ऐसे जन प्रतिनिधियों को आगाह किया जाता है कि प्रदेश के कार्मिकों के कठिन संघर्ष से बने उत्तराखण्ड राज्य में कार्मिक वर्ग इतना कमजोर नहीं है कि उसके साथ की जाने वाली अभद्रता, अमर्यादित व्यवहार एवं गाली गलौज को सहन कर लिया जाये। इस तरह का कृत्य किसी भी दशा में स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। महिला कार्मिकों से की गयी बदतमीजी पर सम्बन्धित पार्षद की घोर निन्दा की जाती है।
महासंघ के अध्यक्ष श्री दीपक जोशी द्वारा कहा गया है कि एक सदस्य के रूप में सम्बन्धित कार्मिकों के हितों का संरक्षण किया जायेगा तथा किसी भी दशा में ऐसे जनप्रतिनिधियों की नाफरमानी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि जहां एक ओर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री द्वारा ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘‘ के संकल्प को साकार करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जनता से चुने हुये ऐसे जनप्रतिनिधि भी हैं, जो महिलाओं के प्रति अमर्यादित आचरण, व्यवहार व प्रताड़ना की भावना से महिला अधिकारियों को कमरे में बन्द कर दिये जाने की घटना को अंजाम दे रहे है।
महासंघ की ओर से स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गयी है कि प्रकरण में अब तक सम्बन्धित कार्मिकों का पक्ष जाने बिना की जा रही एकतरफा कार्यवाही का भी महासंघ कडा विरोध करता है तथा सचेत करता है कि यदि कार्मिकों का पक्ष जाने बगैर राजनैतिक दबाव में कोई भी एकतरफा कार्यवाही अमल में लायी जाती है तो इसके लिये महासंघ समाज कल्याण विभाग के विरूद्ध धरना प्रदर्शन एवं आन्दोलन करने हेतु बाध्य होगा। इस मामले में मुख्यमंत्री एवं समाज कल्याण मंत्री के स्तर पर भी महासंघ अपनी बात प्रमुखता से रखेगा तथा ऐसे तथाकथित जनप्रतिनिधियों के आचरण, व्यवहार एवं अमर्यादित कृत्य का संज्ञान करायेगा।
महासंघ की अपेक्षा है कि प्रकरण में की जा रही एकतरफा कार्यवाही का पटापेक्ष करते हुये सम्बन्धित महिला कार्मिकों का विभागीय पक्ष गम्भीरतापूर्वक सुनते हुए किसी राजनैतिक दबाव में आये बिना प्रकरण में निष्पक्ष कार्यवाही करते हुये मीडिया में प्रकाशित एकपक्षीय समाचार का खंडन कराकर वास्तविक विभागीय मंतव्य मीडिया में प्रकाशित कराने का कष्ट करें।
साथ ही निदेशालय एवं विभागीय मंत्री को भी सही व प्रमाणिक वस्तुस्थिति से अवगत कराने का कष्ट करें तथा महिला कार्मिकों की सामाजिक मान प्रतिष्ठा व छवि को पंहुचायी गयी ठेस के समाधान हेतु दोनों पक्षों के मध्य समुचित निवारण कराने की कार्यवाही अमल में लाने का कष्ट करें। अन्यथा की स्थिति में महासंघ भी अपने स्तर से अग्रेत्तर कार्यवाही हेतु बाध्य होगा। आक्रोशित प्रतिनिधिमंडल में महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष के अतिरिक्त महासंघ के पदाधिकारियों के रूप में डी0एस0 सरियाल, मुकेश बहुगुणा, आशुतोष सेमवाल, शेखर पन्त, बबीता रानी, केदार फर्सवाण, सन्तन सिंह रावत आदि उपस्थित रहे।