Dehradun News: चार जून के नतीजों के बाद से लगातार उत्तराखंड के पॉवर कोरिडोर में बार बार ऐसा कुछ हो रहा जिससे एक ही सवाल उठ रहा कि धामी सरकार में ‘ऑल इज वेल’ है ना? अंग्रेजी दैनिक द इंडियन एक्सप्रेस के फ्रंट पेज पर छपी एक लीड हेडलाइन खबर के बाद एक बार फिर देहरादून से लेकर दिल्ली तक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है कि क्या अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अपने ही मंत्रियों से नहीं बन रही।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी जय मजूमदार की रिपोर्ट के मुताबिक राजाजी टाइगर रिजर्व का चार्ज देने को लेकर मुख्यमंत्री ने ना तो मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की सुनी और ना ही वन विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल की। खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री धामी ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का प्रभार सौंप दिया।
जबकि वन मंत्री सुबोध उनियाल और मुख्य सचिव ने आईएफएस अधिकारी राहुल की नियुक्ति से पहले इस पर दोबारा विचार कर लेने का आग्रह किया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने दोनों के सुझाव को नजरंदाज करते हुए नियुक्ति कर डाली।
अखबार के मुबाबिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आठ अगस्त को फाइल पर हस्तलिखित (handwritten) नोटिंग के माध्यम से बताया कि मुख्य वन संरक्षक राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर पद पर नियुक्त कर दिया गया है।
खास बात यह है कि आईएफएस अधिकारी राहुल को दो साल पहले ही हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व के प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। मामला था कार्बेट में पाखरो टाइगर सफारी और निर्माण के लिए अवैध पेड़ कटान का। इसी कारण वन मंत्री और मुख्य सचिव ने सीएम ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था लेकिन मुख्यमंत्री नहीं माने।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आठ अगस्त को मुख्य वन संरक्षक राहुल को राजाजी का डायरेक्टर बनाया। नौ अगस्त को, जो अधिकारी वन विभाग के निगरानी, मूल्यांकन, आईटी और मॉडरेनाइजेशन डिविजन में नॉन फील्ड पोस्टिंग पर है, उसे ऑफिकेलियली नए पद का प्रभार सौंप दिया गया है।
- सीबीआई एफआईआर में राहुल का नाम नहीं जोड़ा गया
पाखरो टाइगर सफारी अवैध पेड़ कटान में तत्कालीन मंत्री हरक सिंह रावत का नाम शामिल है लेकिन उस दौरान कॉर्बेट में तैनात आईएफएस अधिकारी राहुल का नाम का जिक्र नहीं हुआ। हालांकि कॉर्बेट में पाखरो टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान और निर्माण घोटाले में आईएफएस अधिकारी राहुल को करीब दो साल पहले विभागीय जांच का सामना जरूर करना पड़ा था।
पेड़ कटान मामला उजागर होने के बाद कॉर्बेट से हटाए गए आईएफएस अधिकारी राहुल को देहरादून में नॉन फील्ड पोस्टिंग पर रखा गया। रिकॉर्ड बताते हैं कि उनको टाइगर रिजर्व का प्रभार वापस दिलाने की दिशा में पहला कदम 18 जुलाई को बढ़ाया गया था, जब वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मुख्यमंत्री धामी की मंजूरी के साथ राजाजी टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डायरेक्टर सहित 12आईएफएस अफसरों की प्रस्तावित तबादला सूची संशोधित कर उसमें राहुल की नई नियुक्ति को जोड़ा था।
हालांकि प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव और वन मंत्री के जरिए भेजे गए एक नोट के हफ्तेभर में फाइल को फिर से जमा कर दिया गया। फाइल में “राहुल के खिलाफ चल रही अनुशासनात्मक कार्यवाही, सीबीआई जांच और कॉर्बेट में पाखरो टाइगर सफारी के लिए अवैध पेड़ कटान तथा निर्माण कार्य के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में संबंधित मामले को संज्ञान में रखते हुए” नियुक्ति पर पुनर्विचार की मांग की गई थी।
इस मामले में आईएफएस अधिकारी राहुल ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है। अब देखना बेहद दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पर क्या कहते हैं।
आपको ज्ञात होगा ही कि पाखरो टाइगर सफारी के लिए अवैध पेड़ कटान मामले में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत केंद्रीय जांच एजेंसी के लपेटे में हैं और उनसे लगातार पूछताछ और पड़ताल जारी है। इस मामले में आरोप है कि बिना केंद्र से फॉरेस्ट क्लियरेंस के ही पेड़ कटान और निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। वास्तविक लागत से छह गुना अधिक खर्च करते है बिना कानूनी, प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के ही निर्माण कार्य शुरू कर दिए गए थे।
इसके बाद 2022 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इन अवैध गतिविधियों में संलिप्त संबंधित अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसी के चलते अप्रैल 2022 में दो फॉरेस्ट अफसरों को सस्पेंड करते हुए आईएफएस राहुल को कॉर्बेट डायरेक्टर पद से हटाकर देहरादून में पीसीसीएफ ऑफिस से अटैच कर दिया गया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो देश की सर्वोच्च अदालत ने अदालत ने इसी साल मार्च में उत्तराखंड सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए एक कमेटी गठित कर कॉर्बेट में हुए इकोलॉजिकल डैमेज की भरपाई के सुझाव मांगने को कहा।
इससे पहले पाखरो पेड़ कटान कांड में फरवरी में ईडी ने पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के घर,दफ्तर और ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। ईडी ने सोमवार को हरक सिंह को फिर समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है।
जबकि इसी 14 अगस्त को सीबीआई में हरक सिंह रावत के साथ दो घंटे तक पूछताछ की थी और सूत्रों के मुताबिक सरकार से इस कांड में संलिप्त बताए जा रहे अफसरों से भी पूछताछ की इजाजत मांगी है।