हाईकोर्ट हंटर: अंतिम समय में निर्णय, ढिलाई बरतने की आदत से उत्तराखंड बना उपहास का पात्र, ‘जावलकरजी, सीएम व सीएस के साथ चाय पर बैठिए और पूछिए चारधाम यात्रा करानी भी है कि नहीं!’ 21 तक फिर एफिडेविट, अगली सुनवाई 23 जून को

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नैनीताल: चारधाम यात्रा को लेकर कोरोना गाइडलाइन पालन पर सरकार के जवाब से बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हो पाया। सीएम तीरथ के साथ दिल्ली दौरे पर गए टूरिज्म सेक्रेटरी दिलीप जावलकर वर्चुअली हाईकोर्ट सुनवाई के दौरान हाज़िर हुए। चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान फिर टूरिज्म सेक्रेटरी को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट अधूरा है और ऐसा लगता है कि आँखों में धूल झोंकने का काम हो रहा है। कोर्ट ने पूछा चारधाम यात्रा को लेकर जो एसओपी बनाई गई है उसका पालन कैसे कराया जाएगा और किसकी क्या ज़िम्मेदारी रहेगी ये स्पष्ट नहीं किया गया है।


हाईकोर्ट ने कहा कि जब टूरिज्म सेक्रेटरी खुद मान रहे कि चारधाम में स्वास्थ्य सुविधाएँ बेहतर नहीं है तब ये जानकारी क्या उन्हें कोर्ट से पहले स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को नहीं देनी चाहिए थी। हाईकोर्ट ने केदारनाथ धाम के 16 किलोमीटर लंबे ट्रेकिंग रूट पर सैनिटाइजेशन प्लान को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। सरकार ने कहा कि वह 22 जून तक यात्रा शुरू नहीं करेगी लेकिन कोर्ट ने कहा कि आप हर काम आखिरी क्षणों में करने के आदि हो चुके हैं जिससे बाद में भगदड़ मचती है और सरकार एसओपी पालन कराने से हाथ खड़े कर देती है, यहीं कुंभ के दौरान हुआ था। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार अगर कैबिनेट बैठक करे तो भी एक हफ़्ता है और सीएम के साथ टूरिज्म सेक्रेटरी को निर्णय लेना है तो चाय पर बैठकर निर्णय ले सकते हैं।


कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा कि वह बताए कि चारधामों के तीर्थ-पुरोहितों, स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों आदि के टीकाकरण की क्या स्थिति है। कोर्ट ने कहा कि आदतन अंतिम समय पर कुछ भी निर्णय लेने और ढिलाई बरतने की कार्यशैली से उत्तराखंड उपहास का पात्र बन रहा है।


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