सल्ट: जीना की जीत तीरथ के चेहरे पर मुहर, गंगा की हार 22 में हरदा की राह का रोड़ा

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  • सल्ट विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी महेश जीना 4700 वोटों से जीते
  • सीएम तीरथ और दूसरे नेताओं ने दी महेश जीना को बधाई
  • महेश जीना 2017 से ज्यादा बड़े अंतर से जीते
  • गंगा पंचोली को रंजीत रावत की नाराजगी पड़ गई भारी

देहरादून: सल्ट विधानसभा उपचुनाव की मतगणना खत्म हो चुकी है. नतीजे आपके सामने हैं. बीजेपी उम्मीदवार महेश जीना को दिवंगत सुरेन्द्र सिंह जीना की सहानुभूति का बंपर वोट मिला और कांग्रेस उम्मीदवार गंगा पंचोली ‘अपनों’ की रार का ताजा शिकार हो गई.

द न्यूज अड्डा पर हमने सुबह की लिखा था कि सल्ट विधानसभा उपचुनाव में हार-जीत का फ़ैसला बीजेपी के प्रत्याशी महेश जीना और कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली के बीच जरूर होना है लेकिन परिणाम के राजनीतिक निहितार्थ बहुत गहरे होने वाले हैं. दरअसल, सल्ट में उपचुनाव बीजेपी विधायक रहे सुरेन्द्र सिंह जीना के निधन के बाद हो रहा था और ठीक उपचुनाव से पहले राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलाव जाता है. यहाँ तक कि फिर सरकार का चेहरा बदला तो बीजेपी संगठन के मुखिया भी बदल दिए गए. बीजेपी नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंप दी और बंशीधर भगत मंत्री बन गए मदन कौशिक पार्टी अध्यक्ष.
सल्ट में 2017 की मोदी लहर में दिवंगत सुरेन्द्र सिंह जीना को 2904 वोटों से जीत मिली थी और कांग्रेस की गंगा पंचोली उस हार का बदला अब उनके बड़े भाई महेश जीना को हराकर चुकाने का दावा कर रही थी. उनके दावे का दमखम इस बात से ज्यादा था कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके लिए मोर्चा संभाल रखा था. पहले तो रंजीत रावत के बेटे विक्रम रावत की बजाय गंगा को हरदा ने टिकट दिलाया फिर कोरोना पॉज़ीटिव होने के बावजूद एम्स दिल्ली से ‘गंगा की जीत में कांग्रेस की बाइस की सियासी वैतरणी पार लगने’ की भावुक अपील की. प्रचार के आखिरी दिन सल्ट संग्राम में भी हरदा उतर गए लेकिन उसी दिन रंजीत ने हरदा पर गड़े मुर्दे उखाड़ कर हमला बोला. लगता है कांग्रेस को उसी दिन समझ लेना चाहिये था कि सल्ट में घर की रार उसकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा है.
जबकि सत्ताधारी बीजेपी दिवंगत सुरेंद्र जीना के जाने से पैदा हुई सहानुभूति के सहारे अपनी जीत को आश्वस्त दिख रही थी. महेश जीना ने अपने छोटे भाई की सियासी विरासत संभालने के लिए भतीजे से भावुक अपील कराकर हरदा की भावुक अपील की काट तैयार की. हालॉकि गंगा ने स्थानीय बनाम बाहरी का नारा भी बुलंद किया और महिला होने के नाते बढ़त की उम्मीद भी पाले रखी लेकिन बीजेपी की एकजुटता का जवाब टीम गंगा खोज नहीं पाई.
चुनाव प्रचार के दौरान मोर्चे पर डटे एक बीजेपी नेता ने मुझे बताया भी था कि यहाँ मुकाबला बीजेपी बनाम गंगा है क्योंकि हरदा वर्सेस ‘हनुमान’ खेमों में बंटी कांग्रेस गंगा की मदद कम नुकसान ज्यादा करा देगी! बीजेपी नेता का वो तर्क मुझे 2017 से भी ज्यादा अंतर से गंगा की 2021 में हुई हार के बाद उचित ही जान पड़ता है.
अब सवाल उठता है कि नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए है तो क्यों न इसे सीएम तीरथ सिंह रावत के चेहरे पर जनता की मुहर समझा जाए! क्यों न इसे बीजेपी के नए अध्यक्ष मदन कौशिक के खाते में दर्ज सियासी बढ़त माना जाए! कम से कम गंगोत्री उपचुनाव, पौड़ी लोकसभा उपचुनाव और सीएम तीरथ की सीट तय होने के बाद होने वाली चुनावी परीक्षा तक सियासी बढ़त तो तीरथ के खाते में जुड़ ही चुकी है.
दूसरी तरफ, कांग्रेस में हरदा की च्वाइस से टिकट बँटने के बावजूद इस हार को गंगा की कम और उनकी हार ज्यादा क्यों न माना जाए! ठीक चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर सामने आया कलह. टिकट को लेकर जरूर हरदा और रंजीत रावत से खुद के इक्कीस होने का संदेश दे गए लेकिन नतीजे ने 2022 को लेकर उनके मंसूबों को तगड़ा झटका दे दिया है. तो क्या इसे हरदा पर एक दौर की रंजीत की बढ़त भी माना जाएगा!

जाहिर है नतीजों में जीत का सेहरा महेश जीना और हार का चेहरा गंगा पंचोली जरूर बन गई हैं लेकिन 2022 की सियासी जंग के लिहाज से झटका हरदा को तगड़ा लगा है और बढ़त तीरथ रावत को मिली है..वैसे जीत तीसरे शख़्स की हुई है…और निःसंदेह करारी हार कांग्रेस की!

Finall Tally for Sult Bye-elections:

  1. Smt Ganga Pancholi – 17177
  2. Shri Mahesh Jeena – 21874
  3. Shri Jagdish Chandra – 493
  4. Shri Nand Kishor – 209
  5. Shri Pan Singh – 346
  6. Shri Shiv Singh Rawat – 466
  7. Shri Surendra Singh – 620
  8. NOTA 721
    9.Rejected vote : 63


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