कोरोनावायरस के चलते इस बार कुंभ मेले की अवधि पहली बार घटा दी गई है. इस साल कुंभ मेला 1 से 30 अप्रैल तक ही चलेगा. कोरोना महामारी के चलते कुंभ मेले में प्रवेश को लेकर भी काफी सावधानियां बरती जा रही हैं.
देहरादून:
एक तरफ जहां देश में कोरोना का कहर जारी है तो वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे रविवार को शाही स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ इकठ्ठा देखी गई, जिनमें से कुछ लोग बिना मास्क के भी दिखाई दिये. दरअसल, श्रद्धालुओं की यह भीड़ विश्व के सबसे विशाल धार्मिक मेले कुंभ में 12 अप्रैल को शाही स्नान के लिए इकट्ठा हुई. श्रद्धालुओं की भीड़ द्वारा यहां पर कोरोना के सारे नियमों को दरकिनार किया जा रहा है.
बता दें कि शाही स्नान से एक दिन पहले पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए COVID-19 नियमों के बावजूद नदी के तट पर एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई. हालांकि कई श्रद्धालुओं का दावा है कि कोरोना अब बड़ी चिंता का विषय नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने हरिद्वार आने वालों के लिए कोरोना निगेटिव RT-PCR रिपोर्ट अनिवार्य कर दिया है.
सोमवार को शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं के साथ-साथ 13 अखाड़ों का प्रतिनिधित्व करने वाले साधु-संत भी गंगा में डुबकी लगाएंगे. बता दें कि कोरोनावायरस के चलते इस बार कुंभ मेले की अवधि पहली बार घटा दी गई है. इस साल कुंभ मेला 1 से 30 अप्रैल तक ही चलेगा. कोरोना महामारी के चलते कुंभ मेले में प्रवेश को लेकर भी काफी सावधानियां बरती जा रही हैं. इससे पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 की रिपोर्ट, जिसमें उनके संक्रमित ना होने की पुष्टि हो या टीकाकरण रिपोर्ट लाना अनिवार्य कर दिया गया था.
प्रदेश के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इस संबंध में कहा था कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि हरिद्वार कुंभ में आने के लिए 72 घंटे पहले की कोविड-19 की आरटी—पीसीआर की नकारात्मक जांच रिपोर्ट या टीकाकरण रिपोर्ट लाना जरूरी होगा.
वहीं, रविवार को हरिद्वार में पिछले 24 घंटों में 386 लोग कोरोन पॉजिटिव पाये गये हैं, ऐसे में शहर में कोरोना के कुल 2056 एक्टिव केस हैं. इससे पहले 4 अप्रैल को शहर में 173 मामले दर्ज किए गए जबकि 837 सक्रिय मामले थे. कोरोना को ध्यान में रखते हुए 13 साधु अखाड़ों के लिए अलग-अलग रूट बनाये गये हैं, इस दौरान किसी भी श्रद्धालुओं को स्नान घाटों तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी जाएगी.