देहरादून
- कोरोना संकट में गोल्डन कार्ड ‘आईसीयू’ में, 45 करोड़ देकर भी उपचार शिफर!
सरकार के हेल्थ बीमा वाले गोल्डन कार्ड को सचिवालय सहित राज्य के अधिकारियों, कर्मचारियों, पेन्शनर्स और उनके परिवारों के लिए ढाल बताया जा रहा था. लेकिन अब कार्मिकों ने आरोप लगाया है कि कोरोना संकट में जब गोल्डन कार्ड भी सबसे ज्यादा जरूरत आ खड़ी हुई है तब ये कार्ड खुद ‘आईसीयू’ में नजर आ रहा है. कर्मचारी नेताओं ने सीएम तीरथ रावत से मदद की गुहार लगाते हुए कहा है कि योजनानुसार हर महीने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को राज्य के सेवारत और सेवानिवृत्त कार्मिकों से अंशदान के रूप मे 15 करोड़ रु. मिल रहे हैं और पिछले तीन महीनों में 45 करोड की जा चुके हैं. लेकिन बावजूद इसके कार्मिक वर्ग को न इसका लाभ मिला है और न ही अस्पतालों में कोई व्यवस्था की गई है. सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण कार्मिकों के अंशदान से अपने वित्तीय संशाधन जोड़ने का काम कर रहा है.
दरअसल, सचिवालय सहित प्रदेश के कार्मिकों/पेन्शनर्स तथा उनके आश्रितों हेतु लागू की गई गोल्डन कार्ड योजना की स्थिति उपचार हेतु मौके पर शून्य है. वर्तमान मे कोविड के रोगी कार्मिकों को इस कार्ड की उपचार हेतु वास्तविक आवश्यकता है. परन्तु राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण तथा स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्य प्रणाली और उदासीन रवैए के कारण किसी भी अस्पताल में इस कार्ड का कोई उपयोग न होने से सचिवालय तथा प्रदेश के सभी विभागीय कार्मिकों तथा पेन्शनर्स में रोष है.
उत्तराखंड सचिवालय संघ ने कहा है कि सभी कार्मिकों की भावनाओं के अनुरूप लॉकडाऊन के बाद इस पर तेजी से काम किया जाएगा. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि जब तक यह योजना अपेक्षाकृत रूप से कार्मिकों, पेन्शनर्स तथा उनके आश्रितों के हित में नही हो जाती है, तब तक प्रतिमाह की जा रही कटौती को तत्काल बंद कराने तथा चिकित्सा प्रतिपूर्ति की पूर्व व्यवस्था को लागू कराया जाना संघ का मुख्य एजेंडा रहेगा. अब तक विगत तीन माह से प्रतिमाह अनवरत की जा रही कटौती की धनराशि को सम्बंधित अधिकारियों, कार्मिकों एवं पेन्शनर्स को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के स्तर से वापस करने अथवा गोल्डन कार्ड के पूर्ण रूप से दुरूस्त हो जाने से अग्रेत्तर तीन माह तक उक्त धनराशि का समायोजन किये जाने की मांग रखी जाएगी. अब किसी प्रकार की कोई मासिक कटौती किया जाना स्वीकार नही किया जाएगा.
इस बीच इस गोल्डन कार्ड की खामियों एवं अस्पतालों में इस कार्ड की अव्यवस्थाओं के कारण कई कार्मिकों व उनके आश्रितों की असामयिक मृत्यु भी हो चुकी हैं, जिसके लिये राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग उत्तरदायी हैं. कर्मचारी संगठनों ने दो टूक कहा है कि अब अगर गोल्डन कार्ड की खामियों के कारण किसी भी कार्मिक अथवा उसके आश्रित की कोई जान-माल की क्षति होती है तो इसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग का होगा तथा ऐसी अप्रिय स्थिति में संघ द्वारा सम्बंधितों के विरुद्ध क्रिमिनल केस दायर किये जाने पर भी विचार किया जायेगा.