देहरादून: कोरोना के कहर के बीच ब्लैक फ़ंगस जान लेने लगा है। कोरोना जंग में इस्तेमाल हो रहे रेमडेसिविर की तरह अब ख़तरनाक होते ब्लैक फ़ंगस का इंजेक्शन एंफोटोरिसिन-बी भी कालाबाज़ारी की भेंट चढ़ गया है। नतीजतन अब तीरथ सरकार ब्लैक फ़ंगस की दवा एंफोटोरिसिन-बी की बिक्री पूरी तरह से अपने नियंत्रण-निगरानी में रखेगी। सरकार ने मंगलवार को एसओपी जारी कर साफ कर दिया है कि ब्लैक फ़ंगस की दवा सिर्फ कोविड हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेजों और सरकारी मेडिकल संस्थाओं को ही मुहैया कराई जाएगी।
दरअसल, मंगलवार को इस बीमारी के चलते एम्स में एक 72 साल की बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। एम्स में अब तक ब्लैक फ़ंगस के 30 मामले सामने आ चुके हैं। कुमाऊं में भी ब्लैक फंगस के दो और मरीज एक नैनीताल और दूसरा पिथौरागढ़ जिले में मिला है। इससे पहले पांच मरीज और मिले थे।
सरकार ने इस पर निगरानी को एक कमेटी भी गठित की है और लगातार लोगों को खतरे और लक्षण बताये भी जा रहे लेकिन कोरोना से व्याप्त भय के माहौल में ब्लैक फ़ंगस के खतरे ने और डर पैदा कर दिया. नतीजा ये कि कालाबाज़ारी और जमाख़ोरी का खेल शुरू हो गया और अचानक मांग बढ़ने सं दवा बाज़ार में एंटी फ़ंगल दवाएं ही ग़ायब होने लगी हैं।
सरकार ने नई एसओपी के तहत ब्लैक फ़ंगस की दवा के स्टोरेज और सप्लाई के लिए गढ़वाल में डॉ कैलाश गुनियाल और कुमाऊं में डॉ रश्मि पंत को नोडल अधिकारी बनाया है। इसी तरह अस्पतालों को कहा गया है कि दवा की मांग के बारे में दून मेडिकल कॉलेज के डॉ नारायणजीत सिंह और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के डॉ एसआर सक्सेना से संपर्क करेंगे।कालाबाज़ारी रोकने के लिए दवा इस्तेमाल के बाद खाली शीशियां जमा करानी होंगी और दिन दो बार ही दवा ख़रीदी जा सकेगी। दवा का उचित इस्तेमाल करने की हिदायत भी एसओपी में दी गई है।