देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर का असर जीवन पर तो पड़ा ही है, सरकारी जॉब्स पर भी संकट के बादल मँडराते दिख रहे हैं। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग छह भर्ती परीक्षा की आवेदन प्रक्रिया संपन्न कर चुका है लेकिन कोरोना के चलते मई-जून की तय परीक्षा भी स्थगित करनी पड़ी है। अब लाखों बेरोजगार युवाओं को इंतजार है कि आयोग जितनी जल्द परीक्षा कराएगा नौकरियों के रास्ते उतना जल्दी खुलेंगे। लेकिन सूबे के बेरोज़गार युवाओं के लिए बुरी खबर ये है कि कोरोना की दूसरी लहर के कहर के कारण उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेंडिंग परीक्षा जल्द आयोजित कराने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। लंबित भर्ती परीक्षा का इंतजार सूबे के 4.75 लाख बेरोज़गार कर रहे हैं जो आवेदन के बाद परीक्षा पास कर नौकरी का सपना अरसे से देख रहे हैं। वैसे भी नौकरियों को लेकर पिछले चार साल में टीएसआर-1 सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड फीसड्डी ही साबित रहा था। अब अगर कोरोना कहर में स्थगित की गई भर्ती परीक्षा आयोग जल्द आयोजित नहीं करा पाएगा तो चुनावी वर्ष में इसकी तपिश मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और सत्ताधारी बीजेपी को भुगतनी पड़ सकती है।
हालांकि आयोग दावा कर रहा है कि कोरोना के हालात सामान्य होते ही तमाम रुकी हुई भर्ती परीक्षा संपन्न करा ली जाएँगी। अभी तो नज़रें 12वीं की बोर्ड परीक्षा पर हैं, उसके बाद लंबित भर्ती परीक्षा को लेकर तस्वीर साफ हो पाएगी। 2017 से चली आ रही फ़ॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा भी कोरोना के कारण अटकी हुई है। कभी परीक्षा कराते पेपर लीक और धाँधली के आरोप के चलते देरी तो कभी कोई दूसरा संकट और अब कोविड कहर! पिछले चार साल से फ़ॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा संपन्न न हो पाना सरकार और आयोग की क्षमता और बेरोज़गार युवाओं को लेकर कितना फ़िक्रमंद हैं इसकी बानगी पेश करने के लिए काफी है। बहरहाल चुनावी दौर में उतरते सीएम तीरथ रावत को बेरोज़गार युवाओं के दर्द को लेकर फ़िक्रमंद होना पड़ेगा अन्यथा पहाड़ की सियासी पगडंडी 2022 में बीजेपी के लिए कठिन डगर न साबित हो जाए!