न्यूज़ 360

सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र को खरी-खरी: सरकार ने उठाया नीतियों में दखल का सवाल, कोर्ट ने कहा- जब लोगों के अधिकारों पर चोट तब मूकदर्शक नहीं बने रह सकते, केन्द्र वैक्सीन खरीद और राज्य दें मुफ्त टीकाकरण का ब्योरा

Share now

दिल्ली: बुधवार को कोरोना में दवा, इलाज, ऑक्सीजन और वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार में तकरार बढ़ गई। केन्द्र ने कोर्ट के अधिकारों पर सवाल उठाते हुए सीधे सरकारी नीतियों में दखल से बचने का आग्रह किया तो सुप्रीम कोर्ट ने संविधान का हवाला देकर साफ कर दिया कि जब लोगों के अधिकारों पर हमला हो, तो वह मूकदर्शक नहीं रह सकता।
दरअसल टीकाकरण पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि टीकाकरण सरकार का नीतिगत मामला है और कोर्ट सरकारी नीतियों में दखल नहीं दे सकता। इसके बाद कोर्ट ने आदेश में कहा कि जब कार्यपालिका की नीतियों से नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो, तब संविधान ने न्यायपालिका को मूकदर्शक नहीं बनाए रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात मजदूर सभा बनाम गुजरात राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि समय-समय पर लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करने संबंधी सरकारों के फैसलों पर न्यायपालिका हस्तक्षेप करती रही है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि दुनियाभर में अदालतों ने महामारी की आड़ में मनमानी और तर्कविहीन नीतियों के खिलाफ एक्शन लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कोविन एप पर सरकार को घेरा
सुप्रीम कोर्ट ने 18 से 44 आयुवर्ग के लिए पेड वैक्सीनेशन के फैसले को मनमाना और तर्कहीन करार दिया। अदालत ने ये भी पूछा कि जिस कोविन एप पर पंजीकरण अनिवार्य बनाया गया है उसका इस्तेमाल नेत्रहीन कैसे करेंगे? कोर्ट ने फिर कहा कि देश की आधी आबादी के पास मोबाइल फोन तक नहीं है, वे कैसे टीकाकरण कराएंगे?
केंद्र सरकार के पास टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रु का बजट था, सरकार बताए कहां खर्च किया

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि वैक्सीनेशन के लिए बजट में 35 हजार करोड़ रु रखे गए थे, बताइये इस पैसे को कहां खर्च किया? कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीन का हिसाब-किताब भी मांगा है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि ब्लैक फंगस इन्फेक्शन की दवा के लिए क्या कदम उठाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से छह सवालों के जवाब माँगे हैं।
वैक्सीनेशन फंड कैसे खर्च किया-
केंद्र ने इस साल वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा है, बताइये अब तक ये फंड किस तरह से खर्च किया गया है। यह भी बताए कि 18-44 आयुवर्ग के लिए इस फंड से मुफ्त टीकाकरण क्यों नहीं किया गया।

अब तक कितने लोगों का टीकाकरण, पूरा डाटा लेकर आएँ– सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि पहले, दूसरे और तीसरे चरण में कितने लोग टीका लगवाने के लिए पात्र थे और इनमें से अब तक कितने फीसद को सिंगल डोज और डबल डोज टीका लगा है। डाटा दीजिए कि ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में कितनी आबादी को टीका लगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने माँगा वैक्सीन का हिसाब-किताब- कोर्ट ने पूछा कि कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-V की अब तक कितनी वैक्सीन डोज खरीदी गई हैं।कोर्ट ने पूछा है कि केन्द्र वैक्सीन के ऑर्डर की डेट और कितनी मात्रा में वैक्सीन का ऑर्डर किया गया और कब तक इसकी सप्लाई होगी, ये सारी जानकारी दे।
बची हुई आबादी का टीकाकरण कैसे होगा- कोर्ट में केंद्र ने कहा है कि इस साल के आखिर तक देश की सारी वैक्सीनेशन की पात्र आबादी को टीका लग जाएगा। इस पर कोर्ट ने पूछा कि सरकार बताये कि कब और किस तरह पहले, दूसरे और तीसरे चरण में बची हुई जनता का टीकाकरण करना चाहती है।

सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त टीकाकरण पर राज्यों को अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा– केंद्र ने कहा था कि राज्य सरकारें अपनी आबादी को मुफ्त टीका लगवा सकती हैं। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि राज्य सरकारें इस संबंध में कोर्ट के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वे ऐसा करने जा रही हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा कि राज्य दो हफ्ते में इस बारे में अपनी स्थिति बताएं और अपनी-अपनी पॉलिसी रखें।
कोर्ट ने केन्द्र से पॉलिसी से जुड़े दस्तावेज माँगे- कोर्ट ने कहा कि सरकार कोविड वैक्सीनेशन पॉलिसी पर केंद्र की सोच को दर्शाने वाले सभी जरूरी दस्तावेज कोर्ट के सामने रखे।
सुप्रीम कोर्ट मे 18 से 44 आयुवर्ग के टीकाकरण पर तल्ख टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने कहा कि टीकाकरण के पहले दो चरणों में केंद्र ने सभी को मुफ्त टीका उपलब्ध कराया। जब 18 से 44 आयुवर्ग की बारी आई तो केंद्र ने जिम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर डाल दी।कोर्ट ने कहा कि इस आयुवर्ग के टीकाकरण के भुगतान का ज़िम्मा भी राज्यों पर डाल दिया, केंद्र का यह आदेश पहली नजर में ही मनमाना और तर्कहीन नजर आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने उन रिपोर्ट्स का हवाला भी दिया, जिसमें यह बताया गया था कि 18 से 44 आयुवर्ग के लोग न केवल कोरोना संक्रमित हुए, बल्कि उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भी रहना पड़ा। कई मामलों में इस आयुवर्ग के लोगों की मौत भी हो गई।कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के बदलते स्वरूप के कारण 18 से 44 आयुवर्ग का वैक्सीनेशन जरूरी हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों को 50 फीसदी वैक्सीन पहले से तय कीमतों पर मिलती हैं। केंद्र तर्क देता है कि ज्यादा निजी मैन्युफैक्चरर को मैदान में उतारने के लिए प्राइसिंग पॉलिसी को लागू किया गया है।लेकिन जब पहले से तय कीमतों पर मोलभाव करने के लिए केवल दो मैन्युफैक्चरर हैं तो ये तर्क कितना टिकाऊ समझा जाए। कोर्ट ने कहा कि केंद्र ये कह रहा है कि उसे वैक्सीन सस्ती कीमतों पर इसलिए मिल रही है, क्योंकि वो ज्यादा मात्रा में ऑर्डर कर रहा है।ऐसे में सवाल उठता है कि फिर हर महीने 100 फीसदी डोज केन्द्र ही क्यों नहीं खरीद लेता है?

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!