देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय संघ ने कहा है कि गोल्डन कार्ड की खामियों के कारण प्रदेश के कार्मिक वर्ग के साथ-साथ राज्य के पेंशनर्स एवं परिवार के आश्रित स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं। जबकि इसके लाभ के लिए सरकार के स्तर से सक्षम अधिकारियों द्वारा यह प्रलोभन खैरात मे न देकर हमारे ही मासिक अंशदान की भारी भरकम कटौती के बाद और प्रतिपूर्ति की बजट व्यवस्था को समाप्त करने के उपरांत दिया गया है। इस महत्वपूर्ण योजना की खामियों से राज्य के कार्मिक, पेंशनर्स एवं उनके आश्रित प्रभावित हैं, जिनकी संख्या कुल मिलाकर इस राज्य की लगभग 20% आबादी के बराबर है।
ऐसी स्थिति मे इसकी खामियों का अपेक्षित निराकरण न होने की दशा में राज्य की आबादी का एक बडा हिस्सा अपने अधिकारों व सुविधाओं से जुड़ी इस महत्वपूर्ण योजना को धरातल पर अमलीजामा पहनाए जाने के लिए सड़कों पर उतरने से भी नहीं हिचकेगा। मौजूदा परिस्थिति निश्चित रूप से एक राज्य स्तरीय जन आंदोलन की चिंगारी का काम कर रही है। कोरोना काल के विकट समय के बाद सामान्य हालात होने पर सम्पूर्ण प्रदेश का कार्मिक वर्ग, पेंशनर्स और उनके आश्रित बडी तादाद में संघर्ष का रास्ता अख़्तियार करेंगे।
उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा है कि लाखों लोग गोल्डन कार्ड की खामियों से जूझ रहे हैं और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हैं। जोशी ने कहा कि इस आधी-अधूरी योजना को प्रदेश के लाखों लोगों के हित में CGHS की तर्ज पर सभी सुविधाओं के साथ बहाल कराने को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन भी छेड़ना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे।
सचिवालय संघ ने एक पत्र के ज़रिए अखिल नौकरशाही के दोहरे मानक उजाकर किए हैं। संघ ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने स्वयं के लिए CGHS की सुविधा के साथ साथ राज्य सरकार की चिकित्सा प्रतिपूर्ति की दोहरी व्यवस्था भी लागू रखी है। जबकि कार्मिकों, पेंशनर्स एवं परिवार के आश्रित को मात्र गोल्डन कार्ड की खामियों से नवाजा गया है। संघ ने कहा है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनके संज्ञान में इस दोहरे रवैये को लाया जाएगा ताकि राज्य में कार्यरत सभी लोक सेवकों हेतु एक समान सुविधाएँ प्राप्त हो सकें।
संघ के अध्यक्ष ने कहा कि इस संघर्ष में राज्य के सभी कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनर्स एवं परिवार के आश्रितों का सहयोग अपेक्षित है।
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