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सफ़रनामा Indira Hridyesh: इंदिरा ह्रदयेश का जाना उत्तराखंड की राजनीति की बड़ी क्षति, संसदीय और विधायी समझ के क़ायल रहे विरोधी भी

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नहीं रही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश। दिल्ली दौरे पर थी इंदिरा ह्रदयेश।
हार्ट अटैक से हुआ निधन। आज सुबह 10:30-11 बजे के आसपास आया हार्ट अटैक।
उत्तराखंड सदन में ठहरी हुई थी इंदिरा ह्रदयेश।
पार्टी बैठक में शिरकत करने गई हुई थी दिल्ली
मिशन 2022 की तैयारियों को लेकर दिल्ली में चल रहा था कांग्रेस में बैठकों का दौर।

देहरादून: 80 वर्षीय नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश का दिल्ली में निधन हो गया है। उन्हें आज सुबह 11 बजे के आसपास उत्तराखंड सदन में जहां वे ठहरी हुई थी, हार्ट अटैक आया। 1941 में जन्मीं इंदिरा ह्रदयेश उत्तराखंड की वरिष्ठतम नेता थी और उनके राजनीतिक और संसदीय अनुभव की मिसाल कांग्रेस से भाजपा में तमाम नेता देते थे। 2017 से नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही इंदिरा ह्रदयेश न केवल जनहित के मुद्दों को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोलती रहीं बल्कि सरकार को
विधायी कामकाज के मोर्चे पर महत्वपूर्ण मशविरे देने से भी परहेज़ नहीं करती थीं। यही वजह है कि सरकार से लेकर विपक्ष के बड़े से बड़े नेता उन्हें इंदिरा दीदी कहकर संबोधित करते थे।

इंदिरा ह्रदयेश का राजनीतिक सफर
1974-80: उत्तरप्रदेश में पहली बार विधान परिषद की सदस्य बनी।
1986-92: यूपी विधान परिषद की दोबारा सदस्य चुनी गई।
1992-1998: तीसरी बार यूपी विधान परिषद सदस्य निर्वाचित
1998-2000: चौथी बार यूपी विधान परिषद सदस्य बनी।
2000-2002: उत्तराखंड राज्य बनने के बाद बीजेपी की अंतरिम सरकार बनी तो ह्रदयेश को नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी दी गई।

2002-2007: प्रथम उत्तराखंड विधानसभा में विधायक चुनी गई। तिवारी सरकार में नंबर दो की हैसियत के साथ PWD, संसदीय मामले, सूचना, सांइस और टेक्नोलॉजी जैसे विभाग संभाले।
2012-2017: विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकारों में वित्त, संसदीय मामले, उद्योग, भाषा, प्रोटोकॉल सहित कई अहम विभाग संभाले।

सीएम तीरथ, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत, कांग्रेस महासचिव हरीश रावत, मदन कौशिक, किशोर उपाध्याय और प्रीतम सिंह सहित कई नेताओं ने जताया गहरा शोक

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