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Video अंतिम दर्शन के लिए चाहने वालों का ये हुजूम बताता है डॉ इंदिरा ह्रदयेश ने अपनी राजनीतिक जमीन को कितने जतन से सींचा!

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हल्द्वानी: कल्पना कीजिए आज से 46-47 साल पहले अविभाजित उत्तरप्रदेश में विधान परिषद के रास्ते सियासत में उतरी एक महिला ने कितना संघर्ष कर ये मुक़ाम हासिल किया कि आज जब रुखसत हुई तो हज़ारों आँखें नम थी, लाखों को रविवार दोपहर ये खबर किसी सदमे से कम न लगी होगी कि दिल्ली में हार्ट अटैक से डॉ इंदिरा ह्रदयेश का निधन हो गया। अपने करीब पांच दशक के राजनीतिक सफर में इंदिरा ह्रदयेश ने एक महिला के नाते पुरुषों के वर्चस्व वाले राजनीतिक फलक पर अपनी अलग जगह बनाई, पहचान बनाई और एक मुक़ाम हासिल किया। संसदीय परम्पराओं और विधायी नियमावली व कामकाज की ऐसी समझ कि विरोधी दल के नेता भी मुश्किल में मशविरा करने ‘बड़ी दीदी’ के पास पहुँचे जाते। उनके अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़ गवाही देती है कि अपनी राजनीतिक जमीन को सींचने के लिए इंदिरा ह्रदयेश ने कितना कठिन तप किया होगा।अलविदा डॉ इंदिरा ह्रदयेश!

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हरदेश का पार्थिव पहुंचा उनके निवास पर

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हजारों की संख्या में आवास के बाहर लगी भीड़

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लगातार उनके पार्थिव की अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ रहा है जनसैलाब

सोमवार रानीबाग के चित्र शिला घाट में 11 बजे उनके पार्थिव को दी जाएगी मुखाग्नि

उत्तराखंड की राजनीति को हुआ एक बड़ा नुकसान

सुबह मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पहुंचेंगे हल्द्वानी

नेता प्रतिपक्ष के पार्थिव को देंगे श्रद्धांजलि

नेता प्रतिपक्ष के असमय चले जाने से राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर

पार्थिव के घर पहुंचने पर लोगों की आंखें हुई नम

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