देहरादून/ नैनीताल: अब इसे नैनीताल हाइकोर्ट की अति सक्रियता या विधायिका,कार्यपालिका के कामकाज में न्यायपालिका की दख़लंदाज़ी कहेंगे या फिर सरकार के नाकारापन पर हाईकोर्ट का बार-बार ज़िम्मेदारी का अहसास कराने को सामने आने को मजबूर होना कहेंगे! जो भी कहिए लेकिन ये तय है कि न केवल सरकार को अपने कामकाज के ढर्रे में आमूलचूल बदलाव लाना होगा बल्कि हाईकोर्ट में किसी प्रभाव या ऑब्लिगेशन में नहीं बल्कि परफ़ॉर्मेंस के आधार पर कानूनी पैरोकार खड़े करने होंगे। वरना एक ही दिन में राज्य सरकार को बार-बार अदालत में फजीहत उठाते रहना होगा। बुधवार को सरकार के साथ हाईकोर्ट में ऐसा ही होता दिखाई दिया जब एक नहीं कई मामलों में उसे कोर्ट की फटकार झेलनी पड़ी।
केस एक:
सबसे पहले बात चारधाम यात्रा और सूबे की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं की। बुधवार को चारधाम यात्रा को लेकर टूरिज्म सेक्रेटरी दिलीप जावलकर वर्चुअली दिल्ली से जुड़े और एफिडेविट पेश किया। लेकिन चीफ जस्टिस आरएस चौहान की बेंच ने सरकार के शपथपत्र को ऑईवॉश यानी आँखों मे धूल झोंकने वाला करार देते हुए अपना असंतोष जाहिर किया। साथ ही कोर्ट ने 23 जून सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए सरकार को 21 जून तक दोबारा पेश करने को कहा। उस दिन चीफ सेक्रेटरी, हेल्थ सेक्रेटरी और टूरिज्म सेक्रेटरी की निजी मजबूरी के चलते उनके एडिशनल टूरिज्म सेक्रेटरी को वर्चुअली पेश होने को कहा है।
इस दौरान कोर्ट ने टूरिज्म सेक्रेटरी को फटकारा कि चारधाम यात्रा का हाल कुंभ जैसा नहीं होना चाहिए, सरकार एक दिन पहले एसओपी लेकर आई थी। कोर्ट ने कहा कि आखिरी समय निर्णय लेने और ढिलाई के अंदाज ने उत्तराखंड को उपहास का पात्र बना दिया है।कोर्ट ने यात्रा से पहले मेडिकल इंतज़ामात का ब्योरा माँगा।
केस दो:
अब बात कोरोना महामारी में जान पर खेलकर बसें दौड़ने वाले रोडवेज कर्मियों के महीनों से अटके वेतन की जिसके चलते हाईकोर्ट ने रोडवेज के एमडी को 23 जून को तलब कर लिया है। इस केस में भी सरकार की जमकर किरकिरी हुई। रोडवेज कर्मचारी यूनियन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने परिवहन निगम से दोबारा 22 जून तक एफिडेविट दाखिल करने को कहा है। जबकि रोडवेज एमडी को वर्चुअल माध्यम से 23 जून की सुनवाई के लिए तलब किया है। कोर्ट ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के समय का वेतन नहीं दिया गया और न रिटायर हुए कर्मचारियों को पेंशन व दूसरे मदोें का फंड दिया गया। जबकि यूपी परिवहन निगम के पास राज्य का करोड़ों बकाया है और सरकार परिसंपत्तियों के बँटवारे को लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं।
केस तीन:
हाईकोर्ट ने हरिद्वार जिले की झबरेड़ा विधानसभा में स्वास्थ्य केन्द्र की बदहाली को लेकर राज्य सरकार, डीएम, स्थानीय विधायक और सीएमओ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने झबरेड़ा विधानसभा के भक्तोंवाली गांव के रहने वाले अभिषेक की जनहित याचिका पक सुनवाई करते हुए सरकार और प्रशासन से जवाब तलब किए हैं। याचिकाकर्ता ने गांव के पीएचसी सेंटर की बदहाली का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि विधायक सरकारी अस्पताल के हालात सुधारने को गंभीर नहीं। ज्ञात हो कि इसी गांव में पहुँचने पर बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल के साथ ‘चुनाव में वोट माँगने आने पर लट्ठ’ रखे होने वाला एपिसोड घटित हुआ था।
बहरहाल आए दिन कुंभ से लेकर चारधाम यात्रा तक हाईकोर्ट में सरकार को पड़ती फटकार गम्भीर सवाल खड़े करती है।