देहरादून: प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जंबो मंत्रिमंडल विस्तार से पहले पॉलिटिकल ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करते हुए रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, सदानंद गौड़ा और रमेश पोखरियाल निशंक जैसे भारी-भरकम मंत्रालय संभाल रहे मंत्रियों की छुट्टी कर सबको चौंका दिया। अब पहाड़ पॉलिटिक्स में जिस तरह का राजनीतिक कद और कार्यशाली निशंक की रही है उसके बाद केन्द्र सरकार से उनकी विदाई को प्रदेश में उनकी वापसी से जोड़कर देखा जा रहा है। चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या निशंक जैसे बड़े कद के नेता जब केन्द्र से फ्री हो गए हैं तब क्या चुनावी राज्य में महज सांसद बनकर घूमने आते रहेंगे! या फिर 2022 के चुनावी समीकरण साधने को निशंक की भूमिका भी बीजेपी आलाकमान तय कर देता।
माना जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व ने भले त्रिवेंद्र-तीरथ एपिसोड के रूप में हुई चूक से सबक लेकर नई ग़लती करने की बजाय युवा चेहरे धामी को आगे कर चुनाव में उतरने का मन बनाया है। लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं कि गढ़वाल में वोटों का समीकरण साधने में सीएम धामी उतने मददगार साबित होंगे जितना निशंक या दूसरे गढ़वाल के दिग्गज भाजपाई। ऐसे में संभव है कि कुमाऊं में चुनावी मोर्चाबंदी के लिए कमान सीएम धामी और केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट को दी जाए और गढ़वाल से बाइस की बिसात पर निशंक और त्रिवेंद्र-तीरथ पर ही भरोसा किया जाए।
वैसे भी धामी की ताजपोशी के फैसले पर नाराजगी जाहिर कर महाराज-हरक ने चुनावी दौर के अंदेशे से नेतृत्व को पहले ही अलर्ट कर दिया है। अब अगर मलाईदार विभाग नाराजगी चुनाव तक ही रोक पाए तो उस हालात में बीजेपी नेतृत्व को बैकअप प्लान भी रेडी रखना होगा क्योंकि धामी की ताजपोशी ने कांग्रेसी गोत्र के नेताओं के बीजेपी में लंबी पारी खेलने के कॉन्फ़िडेंस को पहली बार झकझोरा है।
सात जुलाई के फेरबदल के बाद कल हुई अपनी पहली मंत्रिपरिषद बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने नए मंत्रियों को पूर्ववर्ती मंत्रियों से सीखने का मंत्र देते समझाया है कि 12 मंत्रियों को हटाने की वजह परफोर्मेंस नहीं व्यवस्था है। अगर ऐसा है तो खुद के मोदी कैबिनेट से हटने की वजह अस्वस्थ होना बता रहे निशंक को 2022 के चुनाव से पहले किसी बड़ी भूमिका में देखा सकता है। ऐसा होता है तो ये 2022 के चुनाव नतीजों के बाद के नए समीकरणों का संकेत भी होगा।
निशंक को वैसे भी जोड़-तोड़ और बनाने-बिगाड़ने के सियासी खेल में हरदा की टक्कर का नेता करार दिया जा है। ऐसे में ताज्जुब न हो अगर केन्द्र से छुट्टी पाए निशंक जल्द पहाड़ पॉलिटिक्स में एक्टिव होते नजर आएं और अगर ऐसा हुआ तो कईयों के लिए ये नए सिरे से अपने सियासी समीकरण साधने का संकेत होगा। कुल मिलाकर अगले कुछ दिन बताएंगे कि जिन-जिन मंत्रियों की प्रधानमंत्री मोदी ने छुट्टी की है। उनको घर बिठाने की ही तैयारी है या फिर नई पारी की पटकथा लिखकर दिल्ली से रुखसत होकर राज्य राजनीति में सक्रिय होने का संदेश दिया है। बस कुछ दिन में साफ-साफ पता चल जाएगा निशंक की दिल्ली से छुट्टी के निहितार्थ पहाड़ पंलिटिक्स को लेकर क्या हैं। इंतजार करिए!