बलूनी का हरदा पर पलटवार
आप अल्मोड़ा वाले हरदा से हरद्वारी लाल बन गए
तुष्टिकरण को अलादीन का चिराग मान कर 2022 का चुनाव लड़ना चाह रहे
बीजेपी महामंत्री सुरेश भट्ट ने कहा- कांग्रेस के खून में है तुष्टिकरण की राजनीति
देहरादून: अचानक खुद को बीजेपी द्वारा 2017 के चुनाव में मौलाना हरीश रावत और जुम्मे की नमाज की छुट्टी देने का दुष्प्रचार कर बदनाम करने का आरोप लगातार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहाड़ पॉलिटिक्स के सेंटर स्टेज में हिन्दू-मुस्लिम की तुष्टिकरण बनाम सेकुलर सियासत को ला दिया है। ऐसा लगता है जैसे जानबूझकर हरदा ने बीजेपी की पसंदीदा पिच पर जाकर फुलटॉस बॉल फेंक दी है और इसका अंजाम अब खूब दिख रहा है। राज्यसभा सांसद और बीजेपी मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने दिल्ली से और हल्द्वानी से महामंत्री सुरेश भट्ट ने हरदा की फेंकी बॉल लपककर ताबड़तोड़ बेटिंग शुरू कर दी है। सुरेश भट्ट ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के खून में है तुष्टिकरण की राजनीति और हरदा इसे ही आगे बढ़ा रहे लेकिन उत्तराखंड की जनता उनको माफ नहीं करेगी।
जबकि अनिल बलूनी ने बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि जब से आप अल्मोड़ा वाले हरदा से हरद्वारी लाल बने तब से आपने भी कांग्रेस की तर्ज पर तुष्टिकरण का हिन्दू-मुस्लिम कार्ड गले में टांग लिया है। बलूनी ने हरदा पर हल्लाबोल करते क्या लिखा है उसे हुबहू यहां पढ़ें:-
आदरणीय रावत जी,
अल्मोड़ा वाले हरदा ऐसे नहीं थे मगर जबसे आप हरदा से हरद्वारी लाल बने,आपने अपनी सोच और समझ आमूलचूल रूप से बदल दी है । अब आपने भी अपनी पार्टी की तरह ही तुष्टीकरण के हिंदू-मुस्लिम कार्ड को गले मे टांग लिया है।सर्वविदित है कांग्रेस की शुरुआत ही तुष्टिकरण से शुरू हुई है। देश का विभाजन हो, कश्मीर की समस्या हो, प्रभु राम के मंदिर के प्रकरण में बाधा डालना हो, उनके अस्तित्व को न्यायालय में नकारना हो, शाहबानो का केस हो या तीन तलाक का मसला। आपकी पार्टी तुष्टीकरण को वैतरणी मानकर चलती आई है। आप भी उसी राह पर चलेंगे यह स्वाभाविक है।
केवल किसी धर्म विशेष का प्रतीक धारण करने से तुष्टीकरण का आरोप नहीं लग सकता है बल्कि उस एजेंडे पर एक के बाद एक फैसले लेकर आपने अपनी छवि स्थापित की है। आपने राज्य के मुख्यमंत्री रहते कई ऐसे फैसले लिये जो तुष्टीकरण की चादर ओढ़े थे। आपके इस प्रिय एजेंडे ने मीडिया को भी तुष्टीकरण का शिकार बनाया। आपने ईद पर केवल उर्दू अखबारों को विज्ञापन देकर न जाने क्या संदेश देना चाहा होगा। आपने इसी सोच के तहत अप्रत्याशित रूप से जिन 2 सीटों से चुनाव लड़ा उसे भी आपने तुष्टीकरण के भरोसे लड़ा।
आप बड़े हैं, आदरणीय हैं, आपने अपनी पार्टी के लिए बहुत समय और योगदान दिया है। काग्रेस की सोच के अनुरूप आपने चुनाव से कुछ माह पूर्व तुष्टीकरण का एजेंडा परोस दिया है। कांग्रेस शायद इसी के इर्द-गिर्द चुनाव भी लड़ेगी। आप तुष्टिकरण को अलादीन का चिराग मान कर इसी एजेंडे के तहत 2022 के चुनाव में जाना चाह रहे हैं ।
अनिल बलूनी, राज्यसभा सांसद व बीजेपी मीडिया प्रमुख