देहरादून: नौ मार्च को अचानक मुख्यमंत्री की कुर्सी गँवा बैठे त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार दो दिनों से मीडिया को इंटरव्यू देकर बार-बार सवाल कर रहे हैं, पार्टी नेतृत्व को ज़िम्मेदारी समझा रहे हैं लेकिन न राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से कोई जवाब आ रहा और न ही प्रदेश में कोई इस मुद्दे पर कुछ बोलना चाह रहा। शुक्रवार को त्रिवेंद्र रावत ने खुद को अचानक मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने के बीजेपी नेतृत्व के फैसले को गलत ठहराया था, शनिवार को फिर पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रश्न खड़ा किया कि जब एक मुख्यमंत्री को हटाया जाता है तो स्वाभाविक है कि लोग सवाल करेंगे। लेकिन एक पार्टी कार्यकर्ता की ज़िम्मेदारी है कि वह नेतृत्व के फैसले का पालन करे। जब सवाल पूछे जाते हैं तब यह पार्टी नेतृत्व की ज़िम्मेदारी है कि वह उन सवालों के जवाब दे।
आठ मार्च को अचानक दिल्ली तलब किए गए पूर्व सीएम टीएसआर ने नौ मार्च को लौटकर अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था। उसके बाद यह पहला मौका है जब त्रिवेंद्र रावत खुद को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने के बाद पार्टी नेतृत्व से फैसले के पीछे के कारण जानने को आतुर दिख रहे। त्रिवेंद्र सिंह रावत की टीस इसलिए भी ज्यादा है कि उनको बिना बताए या भरोसे में लिए ठीक बजट सत्र के मध्य ही उनसे कुर्सी छीन ली गई।
टीएसआर ऐसे समय ये सवाल उठा रहे जब वह हाल में दिल्ली दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर आए हैं। लेकिन फिलहाल न दिल्ली के स्तर पर और ना ही राज्य के स्तर पर पार्टी नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सवालों का जवाब देना चाह रहा है। सवाल यह भी कि आखिर दिल्ली से लौटते ही अपने हटने की वजह तलाशते टीएसआर इस टीस के बहाने क्या संदेश देना चाह रहे!
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