देहरादून: मुख्यमंत्री बनने के बाद नेता सदन के नाते पहले विधानसभा सत्र का सामना कर रहे पुष्कर सिंह धामी को कांग्रेस उन्हीं के बनाए जाल में घेरने की तैयारी में है। देवस्थानम बोर्ड और भू-क़ानून पर सीएम धामी ने सरकार चलाने के अपने अब तक के ‘सिग्नेचर स्टाइल’ में कमेटी गठित कर पिंड छुड़ाने की कोशिश की है। अगर पिछले डेढ़ महीने का धामी सरकार का कामकाज देखेंगे तो यही बात निकलकर सामने आती है कि जिस भी मुद्दे के ठंडे बस्ते में डालना हो उस पर कोई कमेटी, कैबिनेट सब-कमेटी या हाई पॉवर कमेटी बना डाली जाए। फिर भले ही बाद में कैबिनेट मंत्री ही गुस्सा जाहिर करते रह जाएं कि रिपोर्ट कैबिनेट तक लानी ही नहीं तो सब कमेटी गठन का औचित्य ही क्या?
अब 23 मार्च से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा और कांग्रेस मुख्यमंत्री धामी को उन्हीं के बनाए कमेटी जंजाल में घेरने की व्यूह रचना बना चुकी है। कांग्रेस भू-क़ानून और देवस्थानम बोर्ड पर असरकारी विधेयक लेकर आएगी ताकि धामी सरकार को इन मुद्दों पर जनता में एक्सपोज किया जा सके। कांग्रेस सदन से सड़क तक भू-क़ानून और देवस्थानम बोर्ड पर जनता को मैसेज देना चाहती हैं कि जिस भू क़ानून को त्रिवेंद्र सिंह रावत लेकर आए थे, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ‘कमेटी कसरत’ के ज़रिए उसे बचाना चाह रहे हैं। ठीक ऐसे ही देवस्थानम बोर्ड को सत्ता में आते ही भंग करने का ऐलान कर चुकी कांग्रेस इस मुद्दे पर भी सीएम धामी की हाई पॉवर कमेटी को भी महज दिखावा करार देकर आंदोलित तीर्थ-पुरोहितों को अपने पक्ष में करना चाह रही।
नेता प्रतिपक्ष के नाते अपने पहले विधानसभा सत्र में इन मुद्दों पर प्रीतम सिंह आक्रामक रुख अपनाएँगे तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और कांग्रेस कैंपेन कमेटी चीफ हरीश रावत सड़क पर हल्लाबोल करेंगे।
सीएम धामी ने स्वतंत्रता दिवस पर भू-क़ानून पर हाइ पॉवर कमेटी बनाकर लोगों की चिन्ताओं को दूर करने का दम भरा था वहीं देवस्थानम् बोर्ड पर पंडा पुरोहित हकहकूकधरियों का गुस्सा शांत कराने के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेता मनोहरकांत ध्यानी को नियुक्त किया है। विपक्ष सरकार को इन गंभीर मुद्दों तो टालने की बजाय मानसून सत्र के ज़रिए समाधान निकालने को कहेगा।
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