देहरादून: 27 अगस्त को टूटकर ध्वस्त हो गए ऋषिकेश-देहरादून हाईवे के रानी पोखरी पुल ने राज्य सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। देहरादून से गढ़वाल क्षेत्र को जोड़ते साठ के दशक में बने इस पुल के टूटने से लोगों को आवाजाही में दो दिन से दिक़्क़तें हो ही रही, घटना ने राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। धामी सरकार ने भले जांच का झुनझुना बजा दिया हो लेकिन विपक्ष पुल टूटने की वजह राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे अंधाधुँध खनन को बता रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सवाल खड़ा किया है कि रानी पोखरी पुल और उससे पहले गौला नदी में भी पुल टूटा और कई अन्य पुल टूटे जिनमें से अधिकतर की वजह खनन रहा है। कांग्रेस कैंपेन कमेटी चीफ हरदा ने कहा कि जिस तरीके से रानी पोखरी पुल ध्वस्त हुआ है यह भाजपा राज में खनन के खेल की एक बानगी भर है। हरीश रावत ने कहा कि इंजीनियर्स की जांच से आइवॉश की बजाय यूपी-उत्तराखंड से बाहर की एंजेसी से जांच कराई जाए ताकि पता चल सके कि पुल टूटने का कारण क्या है। हरदा ने कहा कि अगर खनन ही पुल टूटने की वजह सामने आती है तो राज्य में पुलों के पास जो खनन पट्टे दिए गये हैं उन पर पुनर्विचार करना जरूरी है।
हरदा ने कैसे धामी सरकार पर किया हल्लाबोल यहाँ पढ़िए हुबहू:-
हरीश रावत,पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
रानीपोखरी का पुराना पुल जो काफी मजबूत दिखाई देता था, टूट गया। टूटने के दो ही कारण हो सकते हैं, एक उसके चारों तरफ हो रहा अवैध खनन और दूसरा यह हो सकता है कि उसकी सेफ्टी ऑडिट न हुआ हो और पुल कमजोर हो गया हो। लेकिन जहां तक मुझे लगता है, ये पुल खनन के कारण टूटे हैं। इसी तरीके से एक पुल पहले गौला में भी टूटा था और भी बहुत सारे जगह जो पुलों को क्षति हुई है, ज्यादातर मामलों में मामला पुल क्षेत्र में हो रहे खनन का सामने आया है और यहां भी जिस तरीके से भाजपा राज में खनन का बोलबाला हो रहा है, यह उसकी एक बानगी लगती है। इंजीनियर्स की जांच केवल आईवॉस न हो, इसलिये आवश्यक है कि किसी बाहरी एजेंसी से, जो उत्तर प्रदेश से बाहर की एजेंसी हो उससे जांच करवाई जाए ताकि एक बार यह तो पता चले कि टूटने का कारण क्या है! यदि खनन इसका कारण निकलता है, तो फिर एक बार जितने खनन पट्टे पुलों के नजदीक दिये गये हैं, उन पर पुनर्विचार करना आवश्यक है।