देहरादून: राज्य सचिवालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़कर सचिवालय सेवा से बाहर की अन्य सेवा के अधिकारियों के लिये सचिवालय में सर्वप्रथम पद चिन्हित कराकर उन्हें मिल रहे वेतनमान की प्रास्थिति के अनुरूप तैनाती व पदनाम दिये जाने तथा साथ ही वित्त, वन एवं पुलिस सेवा के अधिकारियों को अपेक्षाकृत संख्या में ही उसी विभाग के दायित्वों के निर्वहन विशेष के लिए तैनात किये जाने को लेकर गुरुवार को सचिवालय संघ ने फिर से अपनी मांग मुख्यमंत्री से की है।
इस सम्बन्ध में सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी द्वारा बताया गया है कि तत्कालीन मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह के साथ संघ की 31 अगस्त 2016 को सम्पन्न उच्च स्तरीय बैठक में राज्य सचिवालय में अन्य सेवा (भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़कर) के अधिकारियों को उन्हें अनुमन्य वेतनमान की प्रास्थिति के अनुरूप ही तैनाती पदनाम दिये जाने पर सहमति बनी थी। इसका क्रियान्वयन कार्मिक विभाग के स्तर से अब तक न किये जाने से सचिवालय सेवा संवर्ग के अधिकारियों में असंतोष है।
कार्मिक विभाग के स्तर से सचिवालय में पीसीएस काडर के अपर सचिव के पदों का वतर्मान समय तक चिन्हीकरण नहीं किया गया है। जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं सचिवालय सेवा के अपर सचिव के पद चिन्हित हैं। इसके विपरीत कार्मिक विभाग के स्तर से सचिवालय में वेतनमान के आधार पर सचिवालय सेवा के अधिकारियों से कनिष्ठ अधिकारियों को सीधे अपर सचिव के रूप में बम्पर तैनातियाॅं दी जा रही हैं। इससे विभिन्न प्रशासकीय विभागों में कार्यरत सचिवालय सेवा के संयुक्त सचिव व उप सचिव पद पर कार्यरत पदधारकों को अपने से न्यून ग्रेड वेतन के अधिकारी के अधीन कार्य करना पड़ रहा है, जो कि सचिवालय सेवा के ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों की पद-प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं है तथा न ही यह व्यवस्था तकर्संगत है।
सचिवालय संघ की ओर से मामले में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए यह भी बताया गया है कि पूर्ववर्ती राज्य उ0प्र0 सचिवालय में भी प्रान्तीय सिविल सेवा एवं वित्त सेवा के कनिष्ठ वेतनमान के अधिकारियों की अपर सचिव के पदों पर सीधे तैनाती की ऐसी भरमार कभी नहीं रही है, जैसा कि उत्तराखंड सचिवालय में देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश जैसे बडे राज्य सचिवालय में भी वित्त सेवा के 01-02 अधिकारी ही तैनात किये जाते रहे हैं तथा प्रान्तीय सिविल सेवा के भी अपर सचिव के वेतनमान के ही वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती भी सीमित संख्या में सचिवालय में की जाती रही है। परन्तु इसके विपरीत उत्तराखण्ड सचिवालय में ऐसे अधिकारियों, जो अभी ग्रेड वेतन 6600 व 7600 पर कार्यरत हैं, को सीधे अपर सचिव (ग्रेड वेतन 8900) पद पर तैनात कर दिया जा रहा है। जबकि सचिवालय सेवा के संयुक्त सचिव ग्रेड वेतन 8700 के पदधारकों को ऐसे कनिष्ठ अधिकारियों के अधीन कार्य कराया जा रहा है, जो कि सचिवालय कार्य प्रणाली एवं कार्य प्रबन्धन के अन्तगर्त उचित नहीं है।
सचिवालय संघ की ओर से गुरुवार को अपने पूर्व पत्र दिनांक 13 अप्रैल 2021 के सन्दर्भ का संज्ञान प्रदेश के मुख्यमंत्री को कराते हुए सचिवालय सेवा के अधिकारियों की पद प्रतिष्ठा का सम्मान किये जाने हेतु सचिवालय संघ के साथ पूर्व में बनी उच्च स्तरीय सहमति का अपेक्षित कियान्वयन करने की मांग दोहराई गई है। इसके तहत राज्य सचिवालय में प्रान्तीय सिविल सेवा एवं वित्त सेवा के सीमित संख्या में अपर सचिव के पद चिन्हित करते हुए सचिवालय सेवा से इतर ऐसी सभी सेवाओं (भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़कर) के अधिकारियों को उन्हें अनुमन्य वेतनमान की प्रास्थिति के अनुरूप ही तैनाती/पदनाम दिया जाए। साथ ही अन्य सेवा यथाः-वित्त, वन एवं पुलिस आदि के पदधारकों को अपेक्षाकृत संख्या में ही उसी विभाग के दायित्वों के निर्वहन विशेष के लिए तैनाती दिये जाने हेतु कार्मिक विभाग को निदेर्शित करने का अनुरोध व मांग की गयी है।
इस सम्बन्ध में सचिवालय संघ के अध्यक्ष द्वारा यह भी स्पष्ट रूप से बताया है कि सचिवालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अपर सचिव के मात्र 10 पद चिन्हित हैं, जिनके सापेक्ष PCS तथा वित्त सेवा के अधिकारी बहुतायत संख्या में काबिज हैं तथा कहीं न कहीं यह सेवायें सिस्टम पर पूरी तरह से हावी हैं। सरकार से भी इस बारे में कई बार अनुनय-विनय करने पर भी स्थिति जस की तस है। कहीं न कहीं सचिवालय सेवा को हाशिये पर रखे जाने की योजना है, जिसे सचिवालय संघ कभी सफल नही होने देगा। कायदे से इस बात का विरोध आई0ए0एस0 एसोसिएशन को करना चाहिये, जिनकी सेवा के चिन्हित पदों के सापेक्ष तैनातियां दी जा रही हैं। सचिवालय संघ इस लड़ाई को अपनी सेवा संवर्ग के हितों के संरक्षण हेतु लड़ रहा है। यदि जल्द ही अपेक्षित कार्यवाही किये जाने में कार्मिक विभाग कोताही बरतता है तो निश्चित रूप से संघ के मांग पत्र के प्रमुख बिन्दु के रूप में इसके लिये आन्दोलन का रास्ता भी अख्तियार करने से सचिवालय संघ पीछे नही हटेगा।