ऊधमसिंहनगर: किसान आंदोलन की आँच कहीं बाइस बैटल में बीजेपी के सियासी ख़्वाब न जला डाले! उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलने की घटना जिसे तरह से घटी है उसने किसानों के आक्रोश और नाराजगी को काफी बढ़ा दिया है। इसका असर यूपी से निकलकर अब उत्तराखंड में साफ-साफ दिखने लगा है। गुरुवार की घटना इसका जीता जागता सबूत है।
हुआ यूँ कि उत्तराखंड के शिक्षा और खेल मंत्री अरविंद पांडेय को अपने विधानसभा क्षेत्र गदरपुर में एक स्टेडियम का शिलान्यास करना था। सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी थी, मंच सज गया था मंत्री पांडे और पूर्व सांसद बलराज पासी के स्वागत का, टैंट और भीड़ भी जुट गई थी लेकिन ऐन वक्त कार्यक्रम रद्द करना पड़ा और मंत्री पांडे को घर से वर्चुअल शिलान्यास के ज़रिए काम चलाना पड़ा।
जैसे ही गदरपुर के किसानों को भनक लगी कि उनके क्षेत्र में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे स्टेडियम का शिलान्यास करने आएंगे तो संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने भी ठीक कार्यक्रम स्थल के सामने अपने टेंट गाड़ दिए और मंत्री का इंतजार होने लगा।
दरअसल, लखीमपुर खीरी में जिस तरह से केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों को गाड़ी से कुचलने के आरोप लगे और हिंसक घटना में चार किसानों की जान चली गई उसके बाद से लगातार संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान बीजेपी के कार्यक्रमों का विरोध कर रहे हैं। वैसे भी ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में किसान आंदोलन का ख़ासा असर दिख रहा है लिहाजा किसानों के प्रदर्शन की धमक का शिकार ताकतवर समझने जाने वाले मंत्री अरविंद पांडे को झेलनी पड़ी है। अरविंद पांडे से किसान इसलिए भी नाराज चल रहे क्योंकि वह एक बस भरकर किसानों के नाम पर लोगों को दिल्ली कृषि मंत्री से भी मिलाकर लाए थे।
आज जब कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे को स्टेडियम के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचना था, उससे पहले ही किसानों ने मौके पर पहुंचकर भारी विरोध करना शुरू कर दिया। नतीजतन मंत्री अरविंद पांडे को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने वर्चुअल मोड में शिलान्यास किया। उन्होंने अपने विधानसभा गदरपुर के ग्राम खेमपुर में बुक्सा जनजाति के पूर्वज राजा जगत देव महाराज इंडोर स्टेडियम का शिलान्यास किया। मंत्री के बेटे ने बताया कि खेल मंत्री ने वर्चुअल मोड पर इसका शिलान्यास किया क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में शामिल होना था।
बहरहाल जिस तरह मंत्री अरविंद पांडे के साथ हुआ अगर ऐसा क्रम अगर दूसरे जिलों में भी चलने लगा तो यह सत्ताधारी बीजेपी के लिए बड़े संकट का सबब होगा। सवाल यह भी है कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी ऊधमसिंहनगर जिले से आते हैं और क़द्दावर मंत्री यशपाल आर्य का भी यही जिला ठहरा।
बीजेपी ने 2017 में ऊधमसिंहनगर की नौ में से आठ सीटें जीती थी और सिटिंग सीएम हरीश रावत को किच्छा से हार का सामना करना पड़ा था। 2022 में किसान आंदोलन और विधायकों-मंत्रियों के खिलाफ बन रही सत्ता विरोधी लहर के चलते पिछला प्रदर्शन दोहराना टेढ़ी खीर साबित होगा।