देहरादून: 19 नवंबर 2021 का दिन भारतीय राजनीति के लिहाज से कम महत्वपूर्ण नहीं क्योंकि पिछले सात सालों में यह दूसरा दिन है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन के विरोध के सामने घुटने टेकते हुए तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने का ऐलान करना पड़ा। लेकिन अचानक सुबह प्रधानमंत्री मोदी के किसानों के आगे घुटने टेक देने के बाद उनके राजनीतिक विरोधियों खासकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के तमाम सियासी गणित भी गड़बड़ा दिए हैं। दरअसल, पिछले 12-14 महीनों में नए कृषि क़ानूनों पर जिस तरह से मोदी सरकार वर्सेस किसानों की लड़ाई चली, उसके बाद अचानक प्रधानमंत्री मोदी का माफी माँगकर क़ानून वापस लेने का ऐलान सबको चौंका गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने हर बार की तरह सबको चौंकाते हुए कृषि क़ानूनों पर घुटने टेक विपक्ष के हाथों से उनके सबसे धारदार चुनावी हथियार को छीनने की कोशिश की है। उत्तराखंड में आलम यह था कि राज्य के 13 में से दो जिलों, जहां से विधानसभा की कुल 70 सीटों में से 20 यानी क़रीब 30 फीसदी विधायक चुनकर आते हैं, वहां के लिए विपक्ष ने बेहद आक्रामक रणनीति बनाकर सत्ताधारी भाजपा की घेराबंदी तेज कर रखी थी।
उत्तराखंड में हरिद्वार जिले की 11 और ऊधमसिंहनगर की 9 विधानसभा सीटों पर किसानों का ख़ासा असर समझा जाता है। इसी असर को धार देने के लिए पहले कांग्रेस ने ऊधमसिंहनगर जिले से दो-दो प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाए तो बाद में आम आदमी पार्टी ने भी एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर समीकरण साधने की कोशिश की। उधर भाजपा ने ऊधमसिंहनगर जिले की खटीमा सीट से विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री और हरिद्वार जिले से मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर तराई-मैदान साधने की कोशिश की। लेकिन किसान आंदोलन की तपिश में झुलसने के डर ने भाजपा से लेकर संघ की चिन्ता बढ़ा रखी थी और नतीजतन प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्ब पर कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा कर डाली।
जाहिर है जब ताकतवर सत्ता प्रतिष्ठान को किसान आंदोलन ने इतना भयभीत कर दिया था कि ठीक यूपी-उत्तराखंड सहित पांच राज्यों के चुनावों से पहले कल तक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बताए जा रहे कृषि क़ानूनों के वापस ले लिया गया, तो ऐसे मुद्दों को विपक्ष अपने हमले का आधार क्योँ न बनाएगा! कांग्रेस ने तो हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर को लेकर खास तैयार कर रखी थी। कांग्रेस ने किसान आंदोलन के चलते भाजपा को लेकर बढ़ते गुस्से को अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए इस्तेमाल करने की मंशा से अपनी परिवर्तन यात्रा का आगाज भी ऊधमसिंहनगर से ही किया और इससे लगते नैनीताल होकर पार्टी हरिद्वार तक पहुँची। इसी माहौल को अपने पक्ष में करने को दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल हल्द्वानी पहुँचे थे और 21 नवंबर को हरिद्वार आ रहे। लेकिन अब मोदी ने मजबूरी में ही सही किसानों के सामने घुटने टेककर कांग्रेस और AAP के तरकश का सबसे धारदार तीर भी भौथरा कर दिया है।
देखना दिलचस्प होगा कि अब कैसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी किसान आंदोलन से आगे बढ़कर किस मुद्दे को हथियार बनाकर भाजपा पर हल्लाबोल करती हैं।