देहरादून: ऐसा लगता है कि युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सचिवालय कर्मियों में ठन गई है। सोमवार को सचिवालय संघ ने सचिवालय परिसर में ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ज़ोरदार स्वागत सम्मान किया था लेकिन मंगलवार को ही कार्मिकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर काम ठप कर दिया तो स्थिति सरकार के गले-गले आ गई। सचिवालय संघ ने सोमवार शाम ही एक धमकी भरे अंदाज में बयान जारी कर मुख्यमंत्री को शासन के कुछ सक्षम अधिकारियों द्वारा गलत फाडबैक देकर चार माँगों पर मुहर न लगाने का दोषी करार दे दिया था। उसके बाद आज सुबह से हड़ताल शुरू हो गई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ‘नो वर्क नो पे’ का शासनादेश जारी कराकर सचिवालय संघ के कर्मचारी नेताओं को काम पर लौट आने वरना सख्ती से पेश आने का संदेश दे दिया।
दरअसल, सचिवालय संघ काफी समय से सचिवालय भत्ता, सचिवालय सहायकों को 1900 ग्रेड पे इग्नोर करना और सचिवालय रक्षकों को पुलिस पैरिटी के स्थान पर सचिवालय पैरिटी देना, राज्य संपत्ति वाहन चालकों को सचिवालय प्रशासन में समायोजित किया तथा अपर निजी सचिव को पांच साल की सेवा पर नॉन फ़ंक्शनल 5400 किए जाने की अपनी पांच प्रमुख मांग उठाता आ रहा है। लेकिन संघ का आरोप है कि सक्षम अधिकारियों की हीलाहवाली और गलत फीडबैक देने के चलते सीएम पुष्कर सिंह धामी द्वारा सोमवार को हुए सम्मान कार्यक्रम में कोई घोषणा नहीं की गई। ऐसा न होने से सचिवालय संघ एवं सचिवालय कार्मिक खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की वजह भी यही है।
संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि सक्षम अधिकारी ऐसा आचरण जानबूझकर कर रहे हैं ताकि कार्मिक वर्ग में युवा मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के प्रति असंतोष और अविश्वास का वातावरण पैदा हो। इस रुख से आक्रोशित होकर सचिवालय संघ ने मंगलवार से काम रोककर सीधे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लेने के लिए सभी कर्मचारियों को एकत्रित किया था और उसी के बाद कामकाज ठप कर दिया गया।
अब जानकारी मिल रही है कि सचिवालय संघ का एक डेलीगेशन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दरवाजा खटखटाकर इस मुद्दे का आज रात्रि ही पटाक्षेप करना चाह रहा है। आखिर ‘नो वर्क नो पे’ शासनादेश का हंटर चलाकर युवा सीएम ने कर्मचारी नेताओं को साफ और सख्त संदेश देने की कोशिश, जो कर दी है।