देहरादून/रामनगर: कांग्रेस कैंपेन चीफ हरीश रावत और एक समय उनके ‘सियासी हनुमान’ रहे रणजीत रावत में आर-पार की जंग के हालात बनते दिख रहे हैं। सोमवार शाम को कांग्रेस ने हरीश रावत को रामनगर से टिकट दिया उसके बाद रणजीत रावत ने इसे अपने साथ अन्याय करार देते हुए बागी ताल ठोकने का संदेश दे दिया।
मंगलवार को पार्टी नेताओं ने हरीश रावत और रणजीत रावत को साथ बिठाकर समाधान का प्रयास किया लेकिन सूत्रों की मानें तो रणजीत रावत ने रामनगर छोड़कर देहरादून में मुलाकात करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। रणजीत इसे पांच साल से रामनगर में लोगों के बीच डटे रहने और कोरोना महामारी के दौरान मदद करने के एवज में पार्टी की तरफ से टिकट न दिए जाने को अपने साथ अन्याय करार दिया है। लिहाजा वे रामनगर छोड़कर सल्ट जाने की बजाय निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं।
उधर हरदा ने भी मंगलवार शाम को बड़ा ऐलान कर दिया है। हरदा ने रणजीत रावत के शक्ति-प्रदर्शन के बावजूद रामनगर में ही डटे रहने का ऐलान करते हुए नामांकन की तारीख तय कर दी है। रावत ने ट्विट कर कहा है कि वे 28 जनवरी को रामनगर एसडीएम दफ्तर पहुंचकर नामांकन करेंगे और इससे पहले 27 जनवरी को रामनगर में पदयात्रा भी करेंगे। जाहिर है हरदा ने ऐसा ऐलान कर उन खबरों को खारिज करने की कोशिश की है जिसके तहत कुछ सीटों में बदलाव और रामनगर के रण से हरदा के पीछे हटने की बातें कही जा रही थी।
हरदा ने जो कहा उसे यहाँ पढ़िए हूबहू