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ADDA EXCLUSIVE कांग्रेस ने हरदा vs रणजीत रण का खोज लिया है समाधान: रामनगर रण सुलझाने को कांग्रेस हाईकमान ने झोंकी ताकत, पार्टी नेतृत्व को चिन्ता हरदा VS रणजीत जंग में फंस न जाए चुनाव, ‘गुरु-चेले’ के लिए ये सम्मानजनक फ़ॉर्मूला हो गया है तैयार

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दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 को अपने लिए सूबे की सत्ता में वापसी का अवसर मान रही कांग्रेस रामनगर सीट के रण में ऐसी फंस चुकी है कि पार्टी के चुनाव अभियान समिति के चीफ हरीश रावत और एक जमाने में उनके राजनीतिक ‘हनुमान’ रहे रणजीत रावत ही आमने-सामने आ गए हैं। हरदा को जहां पार्टी ने रामनगर का प्रत्याशी बना दिया है तो वहीं 2017 में यहाँ से चुनाव लड़े प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत की दावेदारी भी इसी सीट को लेकर थी। दोनों दिग्गजों को एक जमाने में भले ‘गुरु-चेला’ समझा जाता रहा हो लेकिन मौजूदा दौर की सियासत में दोनों में छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है। यही वजह है कि हरदा का टिकट होने के बाद रणजीत रावत ने भी सल्ट शिफ्ट होने की बजाय रामनगर से ही निर्दलीय चुनावी ताल ठोकने का मैसेज देकर कांग्रेस के पसीने छुड़ा दिए।

इधर रामनगर सीट पर हरदा वर्सेस रणजीत रावत द्वन्द्व के हालात बनते दिख रहे तो उधर लालकुआं में संध्या डालाकोटी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पूर्व मंत्री हरिश्चन्द्र दुर्गापाल और हरेन्द्र वोरा ने निर्दलीय ताल ठोकने का ऐलान कर दिया। उधर कालाढूंगी से डॉ महेन्द्र पाल को टिकट मिलने के बाद यहाँ से प्रबल दावेदार महेश शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर दी। नतीजा यह रहा कि कहां तो कांग्रेसी रणनीतिकार नैनीताल जिले की छह की छह सीटों पर बाइस बैटल में भाजपा पर इक्कीस साबित होने का दम भर रहे थे और कहां रामनगर, कालाढूंगी और लालकुआं सीट पर बगावत के बवंडर से भारी नुकसान की आशंका पैदा हो गई। इस फीडबैक के बाद जहां वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य सक्रिय हुए वहीं प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव ने भी एक्टिव होकर हरदा-प्रीतम -गोदियाल से हालात की समीक्षा करने और संकट से निकलने का रास्ता खोजने का राहुल गांधी का संदेश दिया।

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान के निर्देश और हालात की गंभीरता समझते हुए हरदा-प्रीतम-गोदियाल की सियासी संकट का हल खोजने को लेकर गहन और मैराथन मंत्रणा हुई है। इस दौरान प्रभारी देवेन्द्र यादव से लेकर यशपाल आर्य और दूसरे कई नेता भी सक्रिय रहे और रूठों को मनाने तथा बगावत के सुर दबाने के फॉूर्मूले पर मंथन हुआ।

आपके THE NEWS ADDA पर कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दावा किया हरदा-प्रीतम-गोदियाल ने रामनगर सियासी संकट और लालकुआं, कालाढूंगी सीटों पर सुनाई दे रहे बागी सुरों को दबाने के लिए एक फ़ॉर्मूला कांग्रेस नेतृत्व को भेज दिया है। इस फ़ॉर्मूले के तहत रामनगर से हरदा-रणजीत दोनों को पीछे हटना होगा। वैसे भी लालकुआं से बागी लड़ने को ताल ठोक रहे हरिश्चंद्र दुर्गापाल और हरेन्द्र वोरा ने यशपाल आर्य के जरिए पार्टी नेतृत्व को संदेश दिया कि अगर कैपेन कमेटी के चीफ और पूर्व सीएम हरीश रावत अगर लालकुआं से चुनाव लड़ने आते हैं तो वे विरोध नहीं करेंगे और मिलकर चुनाव जिताएँगे। इस पूरे विवाद का पटाक्षेप कराने में सेतु के तौर पर यशपाल आर्य की निर्णायक भूमिका बताई जा रही जो दुर्गापाल और वोरा को संवाद के प्लेटफ़ॉर्म पर लेकर आए।

नेताओं की त्रिमूर्ति हरदा-प्रीतम-गोदियाल ने आलाकमान को फ़ॉर्मूला दिया है कि रणजीत रावत सल्ट से चुनाव लड़ेंगे और हरीश रावत लालकुआं से चुनावी ताल ठोकेंगे। वहीं काला्ढूंगी ने प्रत्याशी बनाए गए डॉ महेन्द्र पाल को रामनगर सीट पर शिफ्ट किया जाएगा ताकि सारा सियासी संकट दूर हो सके और किसी भी तरह की धड़ेबाजी न रहे। साथ ही हरदा-रणजीत को ही रामनगर सीट जिताने का ज़िम्मा भी दिया जाए। अब कालाढूंगी से महेश शर्मा को मौका दिया जा सकता है। फ़ॉर्मूले का प्रस्ताव सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक पहुंच गया है जहां से मुहर के बाद ही तीसरी और अंतिम सूची भी कल तक जारी हो जाएगी।

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