देहरादून/दिल्ली: उत्तरप्रदेश में आज सातवें यानी अंतिम चरण की वोटिंग हो रही है और वोटिंग खत्म होते ही शाम 7 बजे के बाद एग्जिट पोल दिखाने पर लगी रोक हट जाएगी। माना जा रहा है कि आधा दर्जन मीडिया हाउस और सर्वे एजेंसियां आज शाम ही अपना एग्जिट पोल जारी करेंगी। जबकि कुछ मीडिया हाउस और सर्वे एजेंसी कल अपने एग्जिट पोल नतीजे बताएंगी। भले नतीजे 10 मार्च को आएँगे लेकिन एक्ज़िट पोल से यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर मेँ चुनावी माहौल कैसा रहा है इसकी झलक मिल सकती है।
उत्तराखंड में शाम सात बजे के एग्जिट पोल नतीजों से पहले भाजपा, कांग्रेस, बसपा, यूकेडी और आम आदमी पार्टी नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। भाजपा सत्ता में है लिहाज़ा मोदी मैजिक के सहारे पार्टी बड़ी उम्मीदें पाले है कि वह ‘बारी बारी सरकार में भागीदारी’ के मिथक को तोड़ेगी और सीएम पुष्कर सिंह धामी की अगुआई में दोबारा सत्ता पर क़ाबिज़ होगी। हालांकि भाजपा ने
चुनाव में ‘अबकी बार 60 पार’ का नारा दिया था लेकिन अंदरूनी तौर पर पार्टी रणनीतिकार जानते हैं कि हालात बहुत अनुकूल नहीं रहे हैं। लिहाजा प्लान बी को लेकर भी एक्सरसाइज तेज हो चुकी है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात को प्लान बी का पार्ट समझा जा रहा है। भाजपा आलाकमान ने नतीजों से पहले सोमवार को बुलाई प्रदेश नेताओं की बैठक के लिए कैलाश विजयवर्गीय को ऑब्ज़र्वर बनाकर भेजा है। विजयवर्गीय वही हैं जो 18 मार्च 2016 की कांग्रेस की बड़ी टूट के समय भी देहरादून पहुँचे थे। विजयवर्गीय की एंट्री होते ही कांग्रेस भी सतर्क हो गई है। अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने विजयवर्गीय को कुख्यात बताते हुए कहा कि ये ‘बाघ’ के सरहद पर आने की सूचना सरीखा है लेकिन कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है।
कांग्रेस की बेचैनी बद्रीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट ने भी यह कहकर बढ़ा दी कि कई जिताऊ कांग्रेसी प्रत्याशी भाजपा के संपर्क में हैं। हालाँकि 10 मार्च के नतीजों में 2012 जैसी तस्वीर बनकर उभरी तो कांग्रेस कैसे अपने कुनबे को थामे रखते हुए सरकार बनाने का दांव खेलेगी इसकी कसरत पहले ही शुरू हो चुकी है। कांग्रेस कॉरिडोर्स में इसी तरह की बेचैनी के चलते ही दिग्गज नेताओं की दिल्ली दौड़ हो रही है और ‘दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है’ वाले अंदाज में जरूरत पड़ने पर प्रत्याशियों को ‘सुरक्षित किले’ (राजस्थान) में रखने की प्लान बी की पटकथा भी कांग्रेस तैयार कर चुकी है।
कांग्रेस के भीतर एग्जिट पोल से पहले बेचैनी इस बात को लेकर भी है कि चुनाव में साइलेंट रहे वोटर ने मुख्य विपक्षी पार्टी के नाते महंगाई, बेरोज़गारी, किसान आंदोलन और सस्ते रसोई गैस सिलेंडर, सरकारी नौकरियों से लेकर ‘चारधाम चार काम’ नारे के जरिए कितना बड़ा समर्थन मिलता है। पॉवर कॉरिडोर्स में यह चर्चा खूब हो रही है कि कांग्रेस को भाजपा पर लीड मिल सकती है लेकिन क्या यह बढ़त कंफ़रटेबल बहुमत वाली साबित होगी या 2012 जैसी तो नहीं होगी, यह उधेड़बुन कांग्रेसियों के पसीने छुड़ा रही है। इससे इतर कांग्रेसी कुनबे को भाजपाई दावों के बीच संभाले रखने की चुनौती भी ग्रैंड ऑल्ड पार्टी के रणनीतिकारों के सामने खड़ी हो सकती है।
हरदा से लेकर प्रीतम सहित तमाम दिग्गजों की दिल्ली दौड़ भी इसी वजह से अधिक हो रही कि नतीजों के बाद सामने आने वाली हर तरह की सियासी चुनौती से कैसे निपटा जाए। धुकधुकी भाजपा या कांग्रेस में ही नहीं बल्कि जीत-हार के समीकरणों पर जोड़-घटा का गणित बसपा, यूकेडी और आम आदमी पार्टी में भी खूब बन-बिगड़ रहा है। बसपा हरिद्वार जिले की चार-पांच सीटों के अलावा ऊधमसिंहनगर जिले की सितारगंज सीट पर मजबूती से लड़ रही है। राजनीतिक जानकार भी मान रहे कि 2017 में शून्य पर रही बसपा हरिद्वार जिले की दो-तीन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगाड़कर इस बार जीत का खाता खोल सकती है।
पहली बार विधासभा चुनाव में सीएम चेहरे के साथ मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी के भाजपा-कांग्रेस के विकल्प बनने के दावोें का परीक्षण होने का वक्त करीब है। वैसे तो AAP को अपने सीएम चेहरे कर्नल अजय कोठियाल की गंगोत्री सीट के अलावा काशीपुर, गदरपुर, जसपुर, कपकोट और बागेश्वर जैसी सीटोें से जीत की उम्मीद थी लेकिन जिस तरह से चुनाव भाजपा वर्सेस कांग्रेस में तब्दील हुआ उसके बाद अब AAP के हाथ कुछ आता है कि नहीं यह देखना होगा। यूकेडी भी देवप्रयाग सीट पर फाइट में है लिहाजा देखना होगा खाता खुलता है या नहीं। दो-तीन निर्दलीयों के भी जीतने की स्थिति बन रही उसका अंदाज भी आज शाम आने वाले एग्जिट पोल से हो जाएगा।