- सुप्रीम कोर्ट ऑफ पाकिस्तान की इमरान खान को फटकार
- डिप्टी स्पीकर का संसद भंग करने का फैसला असंवैधानिक
- संसद बहाल कर सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को वोटिंग कराने का दिया आदेश
इस्लामाबाद( न्यूज एजेंसियां): आखिरी बॉल तक खेलने का दम भरते अविश्वास प्रस्ताव से बचने को संसद भंग कराने का दांव प्रधानमंत्री इमरान खान (PRIME MINISTER IMRAN KHAN) को भारी पड़ गया है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT OF PAKISTAN) ने चार दिन तक चली सुनवाई के बाग अविश्वास प्रस्ताव से होने वाली फजीहत से बचने को डिप्टी स्पीकर के जरिए खेले संसद भंग करने के दांव को असंवैधानिक करार दिया है। पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान को राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफ़ारिश का कोई अधिकार नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने संसद को बहाल करते हुए नौ अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का आदेश दिया है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एकराय से यह फैसला सुनाया है।
ज्ञात हो कि चार दिन पहले अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए तमाम विपक्षी दलों को विदेशी ताक़तों (अमेरिका की तरफ इशारा) के इशारे पर सरकार गिराने का आरोप लगाते हुए इमरान खान ने निशाने पर लिया था और उसी के अनुरूप डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करते हुए संसद सत्र को 25 अप्रैल तक स्थगित कर दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया था।
इमरान सरकार के फैसले पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा – सरकार किसी की वतन परस्ती पर प्रश्न खड़े नहीं कर सकती है और न ही किसी को ग़द्दार घोषित कर सकती है। जाहिर है नौ अप्रैल को वोटिंग में इमरान खान के लिए बहुमत सिद्ध करना नामुमकिन है क्योंकि विपक्षी धड़े में करीब 200 मेंबर जुट चुके हैं और 342 के हाउस में अब बहुमत का आंकड़ा इमरान के पास नहीं है।
कहा जाता है कि पाकिस्तान में इमरान खान इलेक्टिड न होकर सिलेक्टिड प्रधानमंत्री थे और सेना (PAKISTAN ARMY) और आईएसआई (ISI) ने उनकी ताजपोशी कराई थी। लेकिन गुजरे वक्त के साथ इमरान जब सेना को ही आँख दिखाने लगे तो जनरल बाजवा ने उनकी विदाई की पटकथा लिख डाली।