CHARDHAM YATRA 2022: तीन मई को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम और छह को केदारनाथ व आठ मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। रोजाना हज़ारों की तादाद में यात्री चारों धामों में दर्शन को पहुंच रहे हैं। अब तक 9.5 लाख यात्रियों ने चारधाम यात्रा के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है और बिना पंजीकरण भी यात्रा चारों धामों में पहुंच रहे हैं। भारी भीड़ उमड़ती देख अब धामी सरकार ने बिना रजिस्ट्रेशन यात्रा पर आने वालों को जरूरत पड़ने पर रोकने का मन बनाया है। दरअसल धामों में क्षमता से दो से तीन गुना अधिक यात्री पहुंच रहे हैं जिसके चलते व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं।
एक तरफ चारधाम यात्रा को लेकर भारी उत्साह दिख रहा तो दूसरी तरफ छह दिनों में 21 यात्रियों की मौत ने चिन्ता बढ़ा दी है। पहले हफ्ते में ही 21 यात्रियों की मौत हो चुकी है। एक यात्री की खाई में फिसलकर गिरने से मौत हुई बाकियों में अधिकतर ने हार्ट अटैक जैसी आदि के चलते दम तोड़ा है।
दरअसल कोरोना के चलते पिछले दो साल से यात्रा बाधित हो रही थी लिहाजा इस बार जब महामारी से राहत मिली है तो भारी तादाद में यात्री चारों धामों के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। केदारनाथ में सबसे अधिक संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जबकि इस अनुपात में इमरजेंसी मेडिकल फ़ैसिलिटी मिल नहीं पा रही जिससे कई यात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
सबसे अधिक यमुनोत्री धाम पहुँचने की कोशिश कर कहे 11 श्रद्धालुओं की मौत अब तक हार्ट अटैक से हो चुकी है। जबकि केदारनाथ में छह लोगों की मौत हो गई है जिनमें एक यात्री की खाई में गिरकर मौत हुई। जाहिर है जीवनरक्षक मेडिकल फ़ैसिलिटी सहित दूसरी स्वास्थ्य सम्बंधी मदद समय पर न मिलने को लेकर भले राज्य सरकार कटघरे में खड़ी की जा रही हो लेकिन कुछ बेहद ऐतियात यात्रियों के स्तर पर भी पूरी गंभीरता से बरतने की दरकार है। खासतौर पर अगर यात्री ऊँचाई पर कई किलोमीटर पैदल चढ़कर पहुँचने वाले यमुनौत्री और केदारनाथ धाम पहुंच रहे हों तो प्राण रक्षा को कई कदम उठाने की सख्त दरकार होगी।
लगातार होती मौतों की वजह और बचाव के उपाय
यह अच्छे से याद रखें कि चारधाम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित हैं और इन क्षेत्रोें में ऑक्सीजन की कमी रहती ही है। लगातार चढ़ाई से ब्लड प्रेशर अनियमित हो जाता है और लोगों को साँस लेने मे दिक्कत हो जाती है। यह स्थिति हार्ट और अस्थमा के मरीजों के लिए ख़तरनाक साबित हो जाती है।
गर्मी वाले क्षेत्रों से चलकर हिमालयी क्षेत्र में ठंड भरे चारधाम यात्रा के माहौल मेॉ ढलना एक चुनौती रहती है।इस पर बारिश और बर्फ़बारी भी आफत बनकर टूट सकते हैं। जाहिर है बाहर से आए यात्रियों के शरीर के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
यमुनोत्री और केदारनाथ में लंबी चढ़ाई कर धाम तक पहुंचना होता हैं, जहां सबसे अधिक खतरा हार्ट मरीज, शूगर और बीपी मरीजों के लिए रहता है।
यात्री अपने प्राणों की रक्षा कैसे करें
- डॉक्टरों को अगर कोविड हिस्ट्री है तो जरूर बताएं।
- अगर आप चार धाम यात्रा पर उत्तराखंड आने की तैयारी कर रहे हैं तो सबसे पहले अपनी हेल्थ टेस्ट जरूर कराएँ।
- 60 प्लस आयुवर्ग के बुजुर्ग यात्रा पड़ावों पर मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाकर अपना हेल्थ चेकअप कराते रहें।
हार्ट पेशेंट, अस्थमा और बीपी व शूगर मरीज अपनी सेहत का खास ख्याल रखें। अपनी दवाएँ लेकर आना न भूलें। - भले आप गरम क्षेत्रों से आ रहे हों लेकिन चारधाम यात्रा के लिए पर्याप्त गरम कपड़े लेकर आएँ। मेडिकल इमरजेंसी किट लाना कतई न भूलें।
- यात्रा मार्ग पर भारी भीड़ लग रही हो या फिर चढ़ाई चढ़ने में कठिनाई महसूस हो रही हो तो खुद के साथ ज़बरदस्ती न करते हुए यात्रा अगले दिन के लिए स्थगित कर दें।
- खाली पेट यात्रा न करें न ही तला, भूना अधिक खाकर चढ़ाई करें। शरीर में पानी की कमी न आने दें और समय समय पर पानी पीते रहें।
- साँस फूलने, दिल की धड़कन तेज होने, बेहोशी या चक्कर आने तथा उल्टी, घबराहट, हाथ पाँव नीले पड़ रहे हों और सिरदर्द हो रहा हो तो बिना देरी किए डॉक्टर से सलाह लें।