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PWD मंत्री महाराज जी ये क्या हो रहा हैं? विकास की गंगा बहाने के लिए क्या निविदाओं का निरस्त होना अनिवार्य

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उत्तरकाशी (पंकज कुशवाल): मई का ये दूसरा पखवाड़ा है और इस पखवाड़े में कुछ ही दिनों में गंगोत्री विधानसभा के सीमांत भटवाड़ी ब्लॉक में लोक निर्माण विभाग विभिन्न विकास योजनाओं की निविदाएं आमंत्रित कर दूसरे दिन ही निरस्त कर चुका है। सवाल उठने लाज़िमी हैं कि यह क्यों हो रहा है? किसके कहने पर हो रहा है? हालाँकि यह आसानी से समझा जा सकता है कि यदि अधिकारी स्वयं ऐसा कर रहे हैं तो फिर अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही बनती है लेकिन अगर ‘माननीय’ के कहने पर ऐसा हो रहा है तो फिर ‘राम जाने’!

खैर, आज तो कमाल ही हो गया। दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला में बीएडीपी के तहत लाखों रुपये की योजनाओं के टेंडर प्रकाशित हुए। भटवाड़ी ब्लॉक के मुखबा और धराली में इन कार्यों को होना था। गजब यह देखिए कि अमर उजाला के दसवें पृष्ठ पर यह टेंडर छपे हैं और तीसरे पृष्ठ पर इन टेंडर के निरस्त होने की सूचना भी छपी है।

मतलब यह है कि पहले दिन लोक निर्माण विभाग ने बीएडीपी के टेंडर जारी कर प्रकाशित करने के लिए अखबार में विज्ञापन के तौर पर दिए होंगे और किसी वजह से टेंडर अखबार में प्रकाशित नहीं हो पाए होंगे। लिहाजा अगले ही दिन उस टेंडर को निरस्त करने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया। अब अखबार को तो विज्ञापन छापना ही है और अगर टेंडर ही छपेगा नहीं तो भला निरस्त किसे माना जाएगा।

लिहाजा अखबार ने PWD विभाग के कलाकार ‘अफसरोें’ की सहमति लेकर एक समाधान निकाल दिया। अमर उजाला ने तीसरे पन्ने पर टेंडर निरस्त होने का विज्ञापन छाप दिया और 10 या 11 वें पृष्ठ पर उस टेंडर को प्रकाशित किया। (टेंडर विज्ञापन और निरस्त करने संबंधी विज्ञापन अलग-अलग एडिशन में अलग-अलग पृष्ठ संख्या के साथ प्रकाशित हुआ है। देहरादून एडिशन में पृष्ठ संख्या 7 पर टेंडर छपा है और आज ही के अखबार में पृष्ठ संख्या पांच पर उसे अपरिहार्य कारणों से निरस्त करने का विज्ञापन भी छाप दिया गया है। ) यानी एक ही दिन के अखबार में टेंडर छप भी गया और निरस्त भी हो गया।

इससे पहले भी सड़क सुधार संबंधी कार्यों के टेंडर पिछले सप्ताह लोक निर्माण विभाग भटवाड़ी ने जारी किए थे। लेकिन अगले ही दिन इन टेंडर को भी निरस्त कर दिया गया।


यह हो क्यों रहा है, कौन करा रहा है, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। खैर, विकास की गंगा है, निरस्त टेंडरों के जरिए ही बहेगी शायद!

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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