क्या AAP के CM फेस रहे कर्नल अजय कोठियाल भाजपा का थाम रहे दामन?

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देहरादून: खबर आ रही है कि उत्तराखंड के नवनिर्माण का संकल्प लेकर आम आदमी पार्टी का झंडा उठाने वाले कर्नल अजय कोठियाल अब भाजपा ज्वाइन करने की तैयारी में हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़े जोर-शोर के साथ ‘भोले के फौजी’ कर्नल कोठियाल को बीते विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था।

AAP ने कर्नल को सीएम फ़ेस बनाकर पूरा चुनावी नैरेटिव ‘भोले के फ़ौजी’ का आभामंडल खड़ा कर उन्हीं के इर्द-गिर्द बुना था। लेकिन कर्नल कोठियाल खुद अपनी गंगोत्री विधानसभा सीट पर ज़मानत भी नहीं बचा सके और न ही AAP की लाज बचाने में कामयाब हो पाए। जब कर्नल ख़ुद को राजनीति और AAP को सूबे में स्थापित करने-कराने में नाकाम साबित रहे तो राजनीतिक रूप से बेहद चालाक समझे जा रहे अरविंद केजरीवाल ने कोठियाल से पीठ फेरते देर नहीं लगाई और 29 अप्रैल को दीपक बाली को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।

दीवार पर लिखी इबारत की तरह केजरीवाल का मैसेज पढ़कर आख़िरकार कर्नल की भी नींद टूटी और उन्होंने 18 मई को आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया। अब सूत्रों ने दावा किया है कि कल यानी 24 मई को कर्नल अजय कोठियाल भाजपा का दामन थामेंगे। कर्नल के साथ आम आदमी पार्टी छोड़कर आए उनके कुछ समर्थक भी भाजपा में शामिल होंगे।

ज़ाहिर है भाजपा में फ़ौजी चेहरों की नहीं लेकिन चुनाव में आम आदमी पार्टी का सीएम चेहरा रहे कर्नल अजय कोठियाल को अपने मंच पर खड़ा कर मोदी-शाह हिमाचल से लेकर गुजरात तक राजनीतिक ताक़त बंटोरते फिर रहे केजरीवाल को जवाब दे सकेंगे। भाजपा जनता में AAP को लेकर यही तस्वीर गढ़ेगी कि केजरीवाल की कथनी-करनी में फर्क है और इसीलिए चुनाव में पार्टी के मुख्यमंत्री के चेहरे तक रहे नेता भी छोड़कर भाजपा में आ रहे।

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माना जा रहा है कि AAP के सीएम फ़ेस रहे कर्नल अजय कोठियाल ‘उत्तराखंड नवनिर्माण’ के लिए भाजपा से कोई नया टास्क लेना चाहेंगे। वैसे तो राज्यसभा की ख़ाली हो रही एक सीट पर भी चुनाव होना है लेकिन क्या भाजपा में आने की एवज़ में कर्नल राज्यसभा सीट पाने की स्थिति में अब रहे हैं?

AAP में जाने से पहले कर्नल को एक यूथ आइकॉन के तौर पर बड़ा असरदार माना जा रहा था लेकिन आम आदमी पार्टी के सीएम चेहरे के रूप में वे न फ़ौजी मतों और न ही युवाओं को आकर्षित कर पाए। लिहाज़ा अब भाजपा में शामिल होते कर्नल किसी तरह की बारगेन पॉज़िशन में नहीं दिखाई दे रहे हैं।

फिर भी मोदी-शाह कर्नल का क्या और कहाँ इस्तेमाल करते हैं, इसका इंतज़ार रहेगा। क्या आपका के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण को पटरी पर लाने का प्रयास कर चुके कर्नल को उनके अनुभव के आधार पर क्या टास्क मिलता है, इसका अंदाज तो उनकी भाजपा में एंट्री कैसे होती है उसके बाद हो जाएगा।


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