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International Booker Prize पहली बार किसी हिन्दी लेखिका को मिला प्रतिष्ठित बुकर प्राइज, इस क़िताब के लिए पुरस्कार

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दिल्ली/देहरादून: INTERNATIONAL BOOKER PRIZE 2022 हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री को साल 2022 के लिए इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद Tomb of Sand के लिए यह पुरस्कार उन्हें दिया गया है। ज्ञात हो कि राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित रेत समाधि का अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल (Daisy Rockwell) ने किया है। 

दिल्ली की जानी मानी लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास दुनिया की 13 पुस्तकों में शुमार था जिन्हें International Booker Prize के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। 

इसी के साथ टॉम्ब ऑफ सेंड के ज़रिए गीतांजलि श्री भारतीय भाषाओं में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने वाली पहली लेखिका और यह उपन्यास किसी भी भारतीय भाषाओं में पहली कृति बन गयी है। भारतीय समय के अनुसार गुरुवार देर शाम लंदन में आयोजित समारोह में यह पुरस्कार दिया गया। 

रेत समाधि भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधारित उपन्यास है जिसमें उस बुजुर्ग महिला की कहानी बयां की गई है जिसका पति की मृत्यु हो चुकी है। इसी उदासी में वह अपनी मातृभूमि पाकिस्तान की यात्रा करने का निर्णय करती है।यह उपन्यास 2018 में हिंदी में प्रकाशित हुआ था जिसे बाद में अंग्रेजी में अनुदित किया गया। 

बुकर सम्मान पाने के बाद गीतांजलि श्री ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते कहा,’मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं बुकर पुरस्कार जीत पाऊंगी। मैं चकित हूं, खुश, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं।’ 

गीतांजलि श्री ने कहा कि रेत समाधि/Tomb of Sand जिस दुनिया मे हम रहते हैं उसका शोकगीत है। इस दौरान उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद करने वाली अमेरिकी चित्रकार, लेखिका और अनुवादक रॉकवेल ने उनके साथ मंच साझा किया। 

गीतांजलि श्री मूलतः उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की हैं और दिल्ली में रहती हैं। उनके अब तक कई कथा संग्रह और तीन उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। गीतांजलि श्री की कृतियों का अंग्रेजी के अलावा फ्रेंच, जर्मन, कोरियन और सर्बियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है। 

ज्ञात हो कि बुकर पुरस्कार हर साल अंग्रेजी में अनुदित और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित होने वाली की एक किताब को दिया जाता है। इस पुरस्कार के साथ 50 हज़ार पाउंड की रकम भी दी जाती है।

अब तक 5 भारतीयों को ही बुकर पुरस्कार मिला है। वी एस नायपॉल, सलमान रुश्दी, अरुंधति रॉय, किरण देसाई और 2022 में पहली बार भारतीय भाषा के तौर पर हिन्दी उपन्यास रेत समाधि।/टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए गीतांजलि श्री को यह सम्मान मिला है। 

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