Success Story of IAS Sreedhanya Suresh, the first tribal woman IAS from Kerala: कहते हैं अगर हौसले बुलंद हों और कुछ कर गुज़रने की तमन्ना दिल में हो तो रास्ते के काँटे भी फूल बनते चले जाएंगे! कुछ ऐसे ही फ़ौलादी इरादों के दम पर अभावों की बेड़ियों को काटकर श्रीधन्या सुरेश ने यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर आईएएस बनने का अपना सपना साकार कर दिखाया। केरल के वायनाड जिले की रहने वाली श्रीधन्या ने अपने तीसरे प्रयास में देश की सबसे प्रतिष्ठित समझी जाने वाली परीक्षाओं में एक यूपीएससी सिविल सर्विसेज़ परीक्षा पास की। इसी के साथ ऐसा करने वाली वे केरल की पहली आदिवासी महिला बन गईं।
श्रीधन्या सुरेश 2018 में यूपीएससी सिविल सर्विसेज़ परीक्षा पास कर आईएएस बनी थी लेकिन यह कामयाबी के इस मुक़ाम तक पहुंचने का रास्ता श्रीधन्या सुरेश के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है। कल्पना करिए एक ऐसा आदिवासी परिवार जहां बेटी ने बड़ा सपना देखकर यूपीएससी की मुख्य लिखित परीक्षा पास कर ली हो और इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने की सूचना ने दुखी कर डाला हो कि अब इस ख़र्चे का बोझ कौन उठाएगा!
परिवार के हालात बेटी को केरल से दिल्ली भेजकर यूपीएससी इंटरव्यू दिला पाने के भी नहीं थे लिहाजा कामयाबी पर भी सबको रोना आ रहा था। ग़नीमत हो कि श्रीधन्या के कुछ दोस्त मदद को आगे आए और सबने मिलकर पैसे इकट्ठे कर दिए ताकि वह इंटरव्यू देने दिल्ली जा सके। जानिए संघर्ष की इस पथरीली सड़क से कामयाबी की बुलंदियों तक पहुँचने का श्रीधन्या का सफर कैसा रहा?
वायनाड की इस आदिवासी बेटी का बचपन बेहद अभावों में गुज़रा क्योंकि पिता मनरेगा या जहां काम मिलता था वहां दिहाड़ी मज़दूरी कर लेते थे। बाकी वक्त तीर-धनुष बेचकर घर परिवार का गुज़ारा करते थे। माँ भी मनरेगा में मज़दूरी कर गृहस्थी की गाड़ी खींचने में मददगार बनती थी। लेकिन इस आर्थिक तंगी के बावजूद मजदूर माता-पिता अपने बेटा-बेटी को पढ़ाने-लिखाने की कोशिश करते रहे। शायद उस दौर में कुरिचिया जनजाति से ताल्लुक़ रखने वाले श्रीधन्या के माता-पिता को यह अंदाज़ा भी नहीं रहा होगा कि उनकी बेटी जीवन में कुछ बड़ा करने का ठान चुकी है।
सरकारी स्कूल में पढ़कर भी आईएएस बनने का सपना देखती रही श्रीधन्या सुरेश
श्रीधन्या ने स्कूली पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही की लेकिन वह हमेशा मन लगाकर पढ़ती थी ताकि अपने बड़े सपने को साकार कर परिवार को गरीबी के दंश से मुक्ति दिला सके। पढ़ाई में अव्वल श्रीधन्या ने जूलॉजी में ग्रेजुएशन सेंट जोसेफ़ कॉलेज से किया और कालीकट यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। परिवार की आर्थिक तंगी को देखते हुए श्रीधन्या ने सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया और उनका सिलेक्शन केरल के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के रूप में हो भी गया।
क्लर्क की सरकारी नौकरी पाते ही श्रीधन्या की थोड़ी ही सही लेकिन एक निश्चित आमदनी मिलने लगी तो उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास करने का अपना सपना साकार करने की ठानी। जॉब के साथ तैयारी शुरू हो गई और फिर अनुसूचित जनजाति विभाग से आर्थिक मदद मिल गई जिससे एग्ज़ाम की तैयारी के लिए नई हिम्मत आ गई।
तीसरे अटैम्प में मिल गई कामयाबी
श्रीधन्या सुरेश ने 2016 और 2017 में यूपीएससी परीक्षा दी लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हो पाई। 2018 में श्रीधन्या ने तीसरा अटैम्प दिया और वे 410 वीं रैंक के साथ कामयाब हो जाती हैं। इसी के साथ वे यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस बनने वाली केरल की पहली आदिवासी महिला बन जाती हैं। लेकिन इस कामयाबी से पहले भी श्रीधन्या को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
आईएएस का सपना साकार होने के बाद मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में खुद श्रीधन्या ने बताया कि UPSC Mains परीक्षा में पास होने पर उनके परिवार में हर कोई बहुत खुश था। लेकिन जल्दी ही सबके चेहरे उतर गए क्योंकि दिल्ली जाकर इंटरव्यू देने के पैसे ही नहीं थे। फिर जब श्रीधन्या के कुछ दोस्तों को इसकी जानकरी मिली तो सबने मिलकर 40 हजार रुपए का चंदा इकट्ठा कर उन्हें दिल्ली भेजा। इस तरह इंटरव्यू हुआ और रिजल्ट आया तो श्रीधन्या सुरेश आईएएस बनने में कामयाब रहीं।
This is the inspirational success story of Sreedhanya S Suresh the first-ever tribal woman from Kerala to become an IAS officer through the UPSC Civil Services Exam.