Golden Card News: उत्तराखंड राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स को स्वास्थ्य उपचार के नाम पर गोल्डन कार्ड की खामियों का ‘अत्याचार’ ही अब तक झेलना पड़ा है। अस्पतालों में न मौके पर इलाज में बेनिफिट मिला उल्टे वेतन से अंशदान के कटौती बदस्तूर होती रही। उत्तराखंड सचिवालय संघ से लेकर कई कार्मिक संगठनों ने सड़क पर उतरकर हल्ला मचाया तो भी न स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत कोई सॉलिड समाधान दे सके और ना ही स्वास्थ्य महकमे के आला अफसर कोई मदद कार्मिकों की कर पाए। हालांकि कमेटी, मुलाकातों का सिलसिला जारी रख टाइम खूब काटा जाता रहा। लेकिन अब एक बार फिर नौ सदस्यीय समन्वय समिति के जरिए गोल्डन कार्ड को लेकर कर्मियों की तकलीफों पर मरहम लगाने का दावा किया जा रहा है।
गोल्डन कार्ड की विसंगतियों को दूर करने को लेकर महानिदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की अध्यक्षता में गठित समन्वय समिति में सदस्यों के रूप में निदेशक वित्त स्वास्थ्य महानिदेशालय, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून, निदेशक मेडिकल एवं क्वालिटी राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण उत्तराखंड, अध्यक्ष उत्तराखंड सचिवालय संघ, प्रांतीय अध्यक्ष उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन, प्रांतीय अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, प्रांतीय अध्यक्ष उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन और उपाध्यक्ष उत्तराखंड सचिवालय संघ शामिल किए गए हैं।
समन्वय समिति की महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड के कैंप कार्यालय में 10 नवंबर को दोपहर एक बजे बैठक बुलाई गई है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक के जरिए गोल्डन कार्ड को अब तक सफेद हाथी बनाए रखने वाली कोशिशों को झटका देते हुए कार्मिक और पेंशनर्स के हित में उचित निर्णय लिया जाएगा।
गोल्डन कार्ड की खामियों को दूर कराने के लिए लंबा संघर्ष करने वाले उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी को उम्मीद है कि पूर्व की गलतियों और हथधर्मितापूर्ण रवैए से सबक लेते हुए स्वास्थ्य महकमा अब कार्मिकों और पेंशनर्स का और इम्तिहान नहीं लेगा।