
Supreme Court verdict on Uttarakhand Assembly backdoor recruitments: सुप्रीम कोर्ट ने बैकडोर से विधानसभा में नियुक्ति पा गए स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण द्वारा हटाए कार्मिकों को तगड़ा झटका दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी याचिका को रद्द कर दिया यानी हाई कोर्ट की डबल बेंच की तर्ज पर अब सुप्रीम कोर्ट से भी इन बर्खास्त कर्मियों को राहत नहीं मिल पाई है और स्पीकर के फैसले पर मुहर लग गई है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने पर स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा है कि वे खुद ऑनलाइन कार्यवाही देख रही थी और देश के शीर्ष कोर्ट ने विधानसभा के निर्णय को सही माना है। स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने सुप्रीम कोर्ट का आभार भी जताया है।
उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने साबित कर दिया है कि मौका मिले तो बेटियां न केवल बेटों को पीछे छोड़ देती हैं बल्कि जिस रास्ते निकलती हैं अपनी अलग छाप भी छोड़ देती हैं। ऋतु खंडूरी भूषण ने विधानसभा में बैकडोर भर्तियों के भ्रष्टाचार पर अभूतपूर साहस दिखाते हुए ऐसा चाबुक चलाया है कि हाई कोर्ट की डबल बेंच के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके फैसले पर मुहर लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट की तर्ज पर स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण द्वारा 2016-2021 के बीच हुई 228 भर्तियों को अवैध ठहराते हुए इनको निरस्त करने के फैसले पर मुहर लगा दी है।
जाहिर है यह लड़ाई स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण के लिए कतई आसान नहीं थी क्योंकि बैकडोर से विधानसभा में नियुक्तियां अकेले कांग्रेस सरकार में स्पीकर रहे गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा ही नहीं दी गई थी बल्कि धक सरकार में आज ताकतवर मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी पिछली बीजेपी सरकार में स्पीकर रहते जमकर बैकडोर से नियुक्तियां की थी।

यानी बैकडोर भर्तियों को निरस्त करते हुए ऋतु खंडूरी भूषण को जहां राजनीतिक विरोधियों से लोहा लेना था वहीं अपनों से भी टकराना था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उद्धृत करते हुए जैसे ऋतु खंडूरी ने इस जंग का आगाज किया था उसी से अच्छे अच्छों को अहसास हो गया था कि अंजाम क्या होने जा रहा है।
यहां तक कि जब हाई कोर्ट की सिंगल बेंच से ऋतु खंडूरी के फैसले पर रोक लग गई तो सत्ता में बैठा एक तबका न केवल खुश हुआ बल्कि बैकडोर भर्तियों को निरस्त करने के स्पीकर के फैसले को उनकी राजनीतिक नासमझी भी करार दे दिया। हालांकि कड़क मिजाज पूर्व सीएम जनरल बीसी खंडूरी की बेटी स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने साबित कर दिया कि बेटियां कहां बेटों से कम हैं,मौका मिले तो बेटों से कहीं ज्यादा दम है।