उत्तराखंड विधान सभा में गूंजा मुस्लिम लैंड जिहाद और जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा
विधायक शिव अरोरा ने यूपी से लगे उत्तराखंड जिलों में बढ़ते अवैध कब्जों पर रोक लगाने की मांग उठाई
Uttarakhand Assembly Budget Session News: उत्तराखंड विधानसभा में पहली बार किसी विधायक ने राज्य में बढ़ रहे जनसंख्या असंतुलन और मुस्लिम लैंड जिहाद के मामले को उठाया है। बीजेपी के रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चल रहे बजट सत्र के तीसरे दिन यानी बुधवार को सदन में जनसंख्या असंतुलन को लेकर चिंता जताते हुए मुस्लिम लैंड जिहाद का मुद्दा उठाया।
मुस्लिम लैंड जिहाद का मामला उठाते हुए कहा बीजेपी विधायक ने चिंता जताई कि उत्तराखंड में यह समस्या एक विकराल रूप धारण कर रही है। बीजेपी विधायक शिव अरोरा ने अपनी ही सरकार के सम्मुख विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण के माध्यम से ये बात पहुंचाते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन एक बड़ी समस्या बन रही है।
खास तौर पर उन्होंने उधमसिंहनगर जिले में सरकारी जमीनों पर यूपी से आए लोगों द्वारा अवैध रूप से बसने और यहां देवभूमि में लैंड जिहाद का षड्यंत्र रचे जाने का मामला उठाया। विधायक अरोरा ने देवभूमि उत्तराखंड में लव जिहाद और बढ़ते अपराध के लिए भी किसी वर्ग विशेष का नाम लिए बिना कहा कि सांप्रदायिक ताकतें देवभूमि की संस्कृति को प्रभावित करने में लगी हुई हैं।
रुद्रपुर विधायक ने यूपी से लगे उत्तराखंड के जिलों में जनसंख्या असंतुलन के उदाहरण देते हुए कहा कि ये भविष्य की चिंता करने वाला विषय है। अपनी ही सरकार से विधायक ने मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह अवैध रूप से बसे इन लोगों को चिन्हित कर यहां से खदेड़ने का कार्य करे।
दरअसल यह पहली बार है जब उत्तराखंड विधानसभा में सत्ता पक्ष के किसी विधायक ने मुस्लिम लैंड जिहाद जैसे विषय पर सदन और सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है।
दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी असम के बाद सबसे ज्यादा बढ़ रही है। खास तौर पर चार मैदानी जिलों में ये आबादी पैतीस प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई है और ये जनसंख्या असंतुलन का सबसे बड़ा कारण देवभूमि में बन गई है। हल्द्वानी रेलवे, पछुवा देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर जिले में सरकारी जमीनों पर मुस्लिम आबादी अवैध रूप से तेजी के साथ बढ़ी है जिस पर रुद्रपुर विधायक ने आज विधानसभा सदन में खुलकर चिंता जताई है।
सवाल है कि क्या वाकई हालात इस तरह के हैं जैसा कि उत्तराखंड विधानसभा में सत्ताधारी दल के ही विधायक ने बयान किए हैं? अगर हां तब देखना होगा कि राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख और रणनीति अपनाती नजर आती है।