Cabinet Minister Chandan Ram Dass passed away: उत्तराखंड के परिवहन, समाज कल्याण और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री चन्दन राम दास के आकस्मिक निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। मंत्री चन्दन के निधन पर राज्य में 26 से 28 अप्रैल तक तीन दिवसीय राजकीय शोक घोषित कर दिया गया है। धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री दास के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों सहित पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य आदि नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
कैबिनेट मंत्री चन्दन राम दास के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कैबिनेट मंत्री चन्दन राम दास ने उत्तराखंड राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनके निधन से गहरा दुख पहुंचा है। वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चन्दन राम दास के निधन शोक प्रकट करते हुए कहा कि जन सेवा और संगठन के प्रति समर्पण के लिए उनको सदैव याद किया जाएगा।
अपने कैबिनेट सहयोगी मंत्री चन्दन राम दास के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “सरल, सहज एवं मृदुभाषी श्री चंदन राम दास जी ने समाज में गरीबों, शोषितों व वंचितों की भलाई के लिए समर्पित भाव से कार्य किया। वे एक संघर्षशील नेता थे, उन्होंने हमेशा समाज के अंतिम छोर पर खड़े लोगों की आवाज को उठाने और समाधान की ओर ले जाने का कार्य किया।”
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंत्री चन्दन के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि एक बहुत अच्छे सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता और अच्छे प्रशासक का यूं चले जाना राज्य के लिए अपूर्णीय क्षति है।
भगत दा से धामी तक चन्दन की सियासी पारी
वैसे तो चन्दन राम दास का राजनीतिक सफर 1980 में ही शुरू हो गया था। लेकिन प्रदेश की राजनीति में उनको नई पहचान दिलाने का काम गुरु भगत सिंह कोश्यारी से शुरू हुआ और शिष्य सीएम पुष्कर सिंह धामी तक नई ऊंचाइयों को छूता है।
चन्दन राम दास उत्तराखंड राज्य निर्माण से पहले 1997 में बागेश्वर नगर पालिका के निर्दलीय के रूप में अध्यक्ष बने थे। छात्र राजनीति में वे हल्द्वानी स्थित एमबी डिग्री कॉलेज में ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में रहते हुए निर्विरोध संयुक्त सचिव चुने गए थे।
यूपी से अलग उत्तराखंड प्रदेश बनने के बाद हुए दूसरे विधानसभा चुनाव 2007 से लेकर चन्दन राम दास लगातार चार बार 2012, 2017 और 2022 में बीजेपी के टिकट पर सुरक्षित सीट बागेश्वर से विधायक बने। दरअसल ये पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ही थे जो चन्दन राम दास को बीजेपी में लेकर आए।
चन्दन राम दास को भगत दा के बेहद करीबी नेताओं में गिना जाता रहा और उन्हीं के राजनीतिक शिष्य पुष्कर सिंह धामी दोबारा मुख्यमंत्री बने तो चन्दन राम दास को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। चन्दन के पास समाज कल्याण और परिवहन जैसे अहम विभाग तो थे ही, उनको मुख्यमंत्री के विश्वस्त सहयोगी के तौर पर सत्ता के गलियारे में देखा जाता था।
भगत दा और धामी के भरोसेमंद होने के चलते ही सीएम के चंपावत उपचुनाव के वक्त मंत्री चन्दन राम दास को ही मोर्चे पर लगाया गया था।
वे काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका दिल्ली के एम्स सहित गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भी इलाज चला। मंगलवार को चन्दन राम दास अपने गृह जिले बागेश्वर पहुंचे थे और आज बुधवार को उन्हें जिला योजना बैठक में हिस्सा लेना था। लेकिन सुबह मंत्री चन्दन को सांस लेने में तकलीफ हुई जिसके बाद जिला चिकित्सालय के आईसीयू में इनको भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार कार्डियक अरेस्ट के चलते उनका निधन हो गया।