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10 years of Kedarnath Tragedy: एक दशक में जल प्रलय के जख्मों पर मरहम लगाने में कितना कामयाब रहे पीएम मोदी! 

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प्रलय का एक दशक और प्रधानमंत्री मोदी के भागीरथ प्रयासों से जख्मों पर लगता मरहम। जी हां आज एक बार फिर लौटकर आपको लिए चलते हैं जल प्रलय के उस भयानक मंजर की तरफ जहां दैवीय तांडव न पहले किसी ने देखा था और ना ही सुना! 

16-17 जून 2013 को लगातार हो रही भारी बारिश और ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान भोलेनाथ के धाम केदारनाथ के ऊपर स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर की झील के फटने से आई जल प्रलय ने लाखों लोगों को रोने बिलखने को मजबूर कर दिया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 4000 से ज्यादा लोग अकाल काल के गाल में समा गए। जबकि कहा जाता है कि सरकारी आंकड़ों से इतर केदारनाथ में आई जल प्रलय में मरने वालों का आंकड़ा 10 हजार के आसपास रहा। यही वजह है कि आज भी कई हजार लोगों के लापता होने का राज राज ही बना हुआ है। प्रकृति के क्रोध से आई इस आपदा में हजारों इंसानी जानों के साथ साथ हजारों जानवर मारे गए और करोड़ों की सरकारी और निजी संपत्ति बाढ़ के बहाव में बह गई। लेकिन केदारनाथ त्रासदी से मिले जख्मों पर मरहम लगाने का काम भी शुरू हुआ और बीते एक दशक में केंद्र की मोदी सरकार खासकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बनाकर बाबा भोलेनाथ के धाम को नए सिरे से सजाने संवारने का भागीरथ प्रयास शुरू किए जिनका अब धरातल पर असर दिख रहा है। 

आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी केदारनाथ आपदा के 10 वर्ष पूरे होने पर श्री केदारनाथ धाम पहुंचे।  मुख्यमंत्री ने बाबा केदारनाथ के दर्शन कर देश व प्रदेश की खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर केदारनाथ की त्रासदी में हताहत हुए लोगों की शांति एवं उनकी मुक्ति के लिए हवन कर प्रार्थना की।  

नवनिर्मित भगवान ईशानेश्वर के दर्शन कर को पूजा अर्चना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलीपैड से लेकर मंदिर परिसर तक सभी निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर केदारधाम में चल रहे कार्यों की प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने  केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य के दूसरे फेस के सभी कार्यों को इस साल के अंत तक पूर्ण कराने के निर्देश भी दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से 10 वर्ष पहले केदारनाथ में आई त्रासदी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  बाबा केदार के अनन्य भक्त हैं, बाबा केदार के सच्चे भक्त है। आज बाबा केदार की कृपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति के कारण ही समस्त केदार पुरी क्षेत्र दिव्य और भव्य रूप ले चुकी है और आगे भी कार्य जारी हैं। मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद करते हुए बाबा केदार से उनके स्वस्थ, दीर्घायु होने की कामना की।

 मुख्यमंत्री धामी ने इस दौरान केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण के कार्य कर रहे हैं श्रमिकों से मुलाकात कर वार्तालाप कर उनका हालचाल जाना। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि हमारे श्रमिक विभिन्न विषम परिस्थितियों में यह कार्य रहे हैं, सभी श्रमिकों का विशेष ख्याल रखा जाए उन्हें किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े।  

दरअसल, 2013 की केदारनाथ जल प्रलय में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की कुर्सी भी बह जाती है और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सत्ता संभालते ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रिंसिपल कर्नल अजय कोठियाल को केदारनाथ के मोर्चे पर उतारकर हालात संभालने का जिम्मा दिया। स्थितियां कुछ संभली तो अगले साल से चारधाम यात्रा भी धीरे धीरे शुरू हो सकी। लेकिन तब तक देश की सत्ता पर शिवभक्त नरेंद्र दामोदर दास मोदी काबिज हो चुके थी, जिन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते भी केदारनाथ त्रासदी से मिले जख्मों पर मरहम लगाने को हाथ बढ़ाया था। प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के लिए उद्योग जगत को सीएसआर फंड से मदद के हाथ आगे बढ़ाने को मोटिवेट किया और केन्द्र-राज्य सरकार ने भी विकास कार्यों पर दम लगाया। केदारनाथ त्रासदी के बाद न सिर्फ धाम को सजाने संवारने का काम हुआ बल्कि उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ जैसी आपदा के समय त्वरित राहत और बचाव रिस्पॉन्स के लिए डेडीकेटेड फोर्स की शिद्दत से कमी महसूस की और इसी के जवाब में स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स- एसडीआरएफ बनाई जिसने बीते 10 सालों में आपदा और दुर्घटना के वक्त अपनी अहमियत साबित की है। 

केदारनाथ आपदा इतनी विकराल थी कि बाबा केदार के मंदिर को छोड़कर धाम के आसपास सबकुछ तहस नहस हो गया था।

तीन चरणों में केदारनाथ पुनर्निर्माण के हो रहे काम 

पहले चरण में 225 करोड़ रुपए से कराए गए पुनर्निर्माण कार्य 

पहले चरण में मंदिर परिसर का विस्तार

संगम के समीप गोल प्लाजा 

मंदिर परिसर तक जाने वाले रास्ते पर कटवा पत्थर बिछाए गए

 मंदाकिनी नदी के तट पर सुरक्षा कार्य, सेंट्रल स्ट्रीट

आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि, सरस्वती आस्था पथ व घाट

मंदिर परिसर के दोनों तरफ भवनों की सुरक्षा के लिए दीवार का निर्माण

 ध्यान गुफा का निर्माण किया गया

दूसरे चरण में 197 करोड़ रुपए से कराए जा रहे निर्माण कार्य

148 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से श्रद्धालुओं के लिए बन रही आवासीय सुविधाएं

तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों के आवास, बेस कैंप स्थित हेलीपोर्ट का निर्माण किया जाना

दूसरे चरण में 197 करोड़ रुपये की लागत के पुनर्निर्माण कार्य किए जा रहे हैं 

केदारनाथ में मंदाकिनी नदी की तरफ वाटर एटीएम

गौरीकुंड में सुरक्षा गेट का निर्माण

सरस्वती नदी की तरफ वाटर एटीएम का निर्माण

सोनप्रयाग में रेन सेल्टर काम पूरा हो गया

सरस्वती व मंदाकिनी नदी के संगम पर घाट का पुनर्निर्माण

50 बेड का अस्पताल, पर्यटन सुविधा केंद्र मंदाकिनी नदी के तट पर मध्य क्षेत्र में इंफ्रा खड़ा किया जा रहा है

आस्था पथ पर पंक्ति प्रबंधन, रेन सेल्टर, सीढ़ी, संग्रहालय, प्रशासनिक भवन

 मंदाकिनी नदी पर बने आस्था पथ पर रेन सेल्टर का निर्माण, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

केदारनाथ में 54 मीटर स्पान पुल का निर्माण कार्य हो रहा

सरकार ने तीसरे चरण के कार्यों को 2024 तक पूरा करने का रखा लक्ष्य।

 रोपवे से केदारनाथ की राह होगी और भी आसान! 

प्रधानमंत्री मोदी ने रिकॉर्ड संख्या में केदारनाथ पहुंच रहे देश दुनिया के श्रद्धालुओं को और अधिक सुविधाएं देने के मकसद से गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक दो चरणों में बनने वाले 9.7 किलोमीटर लंबे रोपवे प्रोजेक्ट का भी पिछले साल 21 अक्टूबर को शिलान्यास कर दिया था। पहले चरण में सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 3.4 किलोमीटर लंबा रोपवे बनेगा जिसमें पांच स्टेशन होंगे। इस रोपवे के निर्माण के बाद हर घंटे 3600 यात्री केदारनाथ पहुंच सकेंगे। 

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