Uttarakhand News: उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार पर राज्य के बेरोजगार युवाओं के साथ भद्दा मजाक और उनका मानसिक तथा आर्थिक शोषण करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग द्वारा ग्राम विकास अधिकारी एवं समाज कल्याण अधिकारी के लिए 4 और 5 दिसंबर 2021 को परीक्षा आयोजित की गई थी। लेकिन वह परीक्षा नकल की भेंट चढ़ गई थी जिसके चलते इनको रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अब उस परीक्षा को पुनः कराने के लिए 9 जुलाई 2023 की तारीख सुनिश्चित की गई है लेकिन उत्तराखंड में इस वक्त कावड़ यात्रा जोरों पर है और 9 जुलाई को परीक्षा रखी गई है जिसमें रुड़की, हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश के परीक्षार्थियों के परीक्षा केंद्र 200 से 250 किलोमीटर की दूरी पर दिए गए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कुछ परीक्षार्थियों के परीक्षा केंद्र उत्तरकाशी हैं तो कुछ के खटीमा और कुछ के परीक्षा केंद्र काशीपुर तथा हल्द्वानी हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से जो परीक्षार्थी हैं वह कावड़ यात्रा के समय, जबकि यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाती है, तब परीक्षा केंद्र पर समय से पहुंचने में असमर्थ रहेंगे। उन्होंने पूछा कि परीक्षा केंद्र पर जाने वाले परीक्षार्थी बेरोजगार हैं और अपने परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के लिए वे 4 से ₹5000 का खर्चा किस प्रकार करेंगे?
दसौनी ने आरोप लगाया कि आयोग द्वारा परीक्षा केंद्र का चयन करते समय लापरवाही बरती गई है। उन्होंने कहा कि आयोग को कैलेंडर जारी करने से पहले कांवड़ यात्रा के बारे में जानकारी होते हुए भी इस तरह की चूक क्यों की गई? उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग केवल परीक्षा कराकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता है।
दसौनी ने कहा की आयोग को चाहिए कि वह 9 तारीख की परीक्षा को स्थगित कर या तो 16 जुलाई है या फिर 23 जुलाई को परीक्षा कराये।
दसौनी ने कहा कि आयोग को छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए एवं कांवड़ यात्रा के दौरान यातायात असुविधा को देखते हुए इस परीक्षा को महाशिवरात्रि के बाद आयोजित कराना चाहिए।
आयोग को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बेरोजगार व्यक्ति इतने दूर के परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के लिए जो धन खर्च होगा वह कहां से लाएंगे।
दसौनी ने कहा कि आयोग को संवेदनशील होते हुए दिव्यांग अभ्यर्थियों की सुविधा को भी ध्यान में रखना चाहिए।
साथ ही आयोग को महिला परीक्षार्थियों की समस्या को भी समझना चाहिए। गरिमा ने कह कि महिला परीक्षार्थी अपने शहर से 200 किलोमीटर दूर जाने में असमर्थ होती हैं एवं उनके साथ सुरक्षा की भी समस्या रहती है।
परीक्षा केंद्रों के इतनी दूर जाने के कारण बेरोजगार छात्रों को आर्थिक समस्या का एवं मानसिक समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है।
आयोग को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इस बार होने वाली परीक्षा में किसी भी प्रकार की कोई नकल एवं धांधली की गुंजाइश ना हो।
यदि परीक्षा केंद्र पर पहुंचते हुए अभ्यर्थियों के साथ में दुर्घटना हो जाती है, जैसे कि बारिश का मौसम भी अभी सिर पर है कांवड़ यात्रा का भी जोर है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
साथ ही दसौनी ने प्रेस वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अब उत्तराखंड के समान नागरिकता कानून का भविष्य जानना चाहा। दसौनी ने पूछा कि हतप्रभ करने वाली बात है कि समिति ने जब 5 दिन पहले ही मसौदा तैयार हो जाने की बात कही थी तो अभी तक वह ड्राफ्ट मुख्यमंत्री तक क्यों नहीं पहुंचा? और मुख्यमंत्री बताएं कि यूसीसी के लिए महीनों से चल रही कवायद और समिति पर करोड़ों रुपया बहाने के बाद अब उत्तराखंड के यूसीसी का क्या होगा ?