
Dehradun News: मुख्यमंत्री रहते अपनी सख्त मिजाजी और तीखे तेवरों के लिए जाने जाते रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरिद्वार से लोकसभा का चुनाव जीतते ही पुराने अंदाज में लौटते दिख रहे हैं। जाहिर है नए नवेले सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह भी बेबाक अंदाज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। कम से कम पिछले एक पखवाड़े में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के एक के बाद एक आए बेबाक बयानों ने धामी की ‘धाकड़’ इमेज को तगड़ा डेंट मारा है।
हरिद्वार से अच्छे खासे वोटों से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत के अवैध खनन के खुले खेल पर आए ताजा बयान को बात करेंगे ही लेकिन उनके चारधाम पर आए बयान की चर्चा पहले कर लेते हैं। त्रिवेंद्र ने सीधे सीधे धामी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि चुनाव आचार संहिता का बहाना बनाकर प्रदेश की अफसरशाही चारधाम यात्रा तैयारियों के मोर्चे पर हुए अपने फेल्योर पर बेशर्मी से परदा डालना चाह रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने देवस्थानम बोर्ड की जरूरत बताते हुए कहा था कि अगर आज बोर्ड या यात्रा प्राधिकरण,जो कोई भी नाम दिया जाए, अगर अस्तित्व में होता तो यात्रा बदइंतजामी की यह तस्वीर देश दुनिया को दिखाई नहीं देती।
अब बात अवैध खनन पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के ताजा बयान की।
लोकसभा चुनाव नतीजों से पहले ही चारधाम यात्रा बदइंतजामी पर आए त्रिवेंद्र रावत के बयान ने खूब बवाल मचाया था अब चार जून के लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद तो हरिद्वार से चुने गए नए नवेले सांसद TSR ने मानो अवैध खनन पर धामी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया हो। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया दिए बयान में कहा है कि उनके पास लगातार हरिद्वार के किसान आकर गंगा के तटीय क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन की शिकायत कर रहे हैं। रावत ने कहा कि किसानों ने बताया है कि रसूखदार और ऊंची पहुंच वाले दबंग उनके खेतों में अवैध खनन करते हैं लेकिन खनन माफिया की शिकायत करने के बावजूद सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होती है।
हरिद्वार से लोकसभा चुनाव जीते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वे दिल्ली से लौटकर किसानों ने जहां अवैध खनन की शिकायत की है वहीं जाकर हालात की ग्राउंड जीरो से असल तस्वीर देखेंगे। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि अवैध खनन से सरकार को भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है और इसे हर हाल ने खत्म करना होगा।
त्रिवेंद्र के तीखे तेवरों के मायने ?
जिस अंदाज में लोकसभा चुनाव जीतते ही त्रिवेंद्र सिंह रावत तीखे तेवरों में नजर आ रहे हैं इसका मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर क्या सियासी असर पड़ेगा, इसकी चर्चा चौतरफा हो रही है। ज्ञात हो कि पुष्कर धामी के मुख्यमंत्री रहते पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिल जाना और फिर चुनाव खत्म होने से पहले ही त्रिवेंद्र का आक्रामक रुख चार जून बाद के नतीजों का सटीक रुझान दिखा देता है। दिल्ली में भी जब सीएम धामी सांसद अजय टम्टा और अजय भट्ट के साथ दिखे तब त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी की तस्वीर उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट के साथ दिखाई दी।
चारधाम यात्रा बदइंतजामी का मुद्दा रहा हो या फिर अब हरिद्वार में चल रहे अवैध खनन के खेल पर करारा प्रहार करना रहा हो, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सांसद बनते ही हरिद्वार जिले में पहले की तरह सबकुछ चलता रहेगा वाले एटिट्यूड पर करारा प्रहार कर डाला है। जाहिर है त्रिवेंद्र सिंह रावत हरिद्वार जिले की पॉलिटिक्स में अपना बड़ा दखल रखना चाहेंगे और इससे अगर किसी को दिक्कत होगी तो वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अपनी टीम को ही सबसे तगड़ा झटका लगेगा।
हरिद्वार की राजनीति में पहले से मजबूत पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री मदन कौशिक त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों में गिने जाते हैं लेकिन पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद तथा संजय गुप्ता को सीएम धामी का करीबी गिना जाता है और टीएसआर की एंट्री के बाद उनके लिए हालात पहले जैसे नहीं रहे हैं।
बड़ा सवाल यही है कि अवैध खनन पर हरिद्वार जिले गंगा के तटीय इलाकों के किसानों के दर्द के बहाने त्रिवेंद्र सिंह रावत ने धामी सरकार को आईना दिखाते हुए जो तीखा हमला किया है, उसकी काट में मुख्यमंत्री कब मुंह खोलते हैं और क्या जवाब देते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।