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Story: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनूस की कहानी

ग़रीबों के बैंकर से बांग्लादेश अंतरिम सरकार के प्रमुख तक सफ़र

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  • Growth Story:; बांग्लादेश में चले हिंसक आरक्षण आंदोलन के चलते हालात बेकाबू होने के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद के साथ साथ देश छोड़कर भागना पड़ा है। फिलहाल शेख हसीना भारत में रुकी हुई हैं लेकिन बांग्लादेश में मुहम्मद युनूस की अगुवाई में अंतरिम सरकार ने कामकाज करना शुरू कर दिया है। नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित मुहम्मद युनूस को बांग्लादेश में गरीबों के बैंकर के तौर पर पहचाना जाता है।

एक जमाने में शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के प्रशंसक रहे मुहम्मद युनूस ने माइक्रोफाइनेंसिंग क्षेत्र में शानदार काम करके बांग्लादेश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हिंसा की आग में झुलसे भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश को फिर से खड़ा होकर हालात सामान्य करने तथा विकास की रफ्तार हासिल करने के लिए मुहम्मद युनूस से बड़ी भारी उम्मीदें हैं। आइए आज जानते हैं मुहम्मद युनूस की कहानी…

  • मुहम्मद यूनुस: प्रारंभिक जीवन

आज कई पुरस्कार हासिल कर मुहम्मद यूनुस को दुनिया जानती हैं लेकिन उनका शुरुआती जीवन चुनौतियों भरा रहा। हाजी दुला मियां और सूफिया खातून के नौ बच्चों में से तीसरे नंबर के मुहम्मद युनूस का जन्म तब बंगाल प्रेसीडेंसी और अब के बांग्लादेश के चटगांव के बथुआ गांव में 28 जून 1940 को हुआ था। बंगाली मुस्लिम परिवार में पैदा हुए युनूस के पिता आभूषण कारोबारी थे।

मुहम्मद यूनुस ने दसवीं की परीक्षा में पूर्वी पाकिस्तान में 39 हजार छात्रों में 16वीं रैंक हासिल की। फिर ढाका विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। उन्होंने फुलब्राइट स्कॉलरशिप लेकर डरबिवेंल्ट विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई पूरी की। डरबिवेंल्ट विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते समय उनकी दोस्ती रूसी साहित्य की छात्रा वेरा फोरोस्तेंको से हुई। 1970 में उनकी शादी हुई। लेकिन बेटी मोनिका यूनुस के जन्म के कुछ समय बाद ही 1979 में दोनों अलग हो गए। वेरा ने कहा था कि बांग्लादेश रहने लायक नहीं है। बाद में मुहम्मद यूनुस ने अफरोजी से निकाह किया।

  • ग्रामीण बैंक के विचार लाया बड़ा बदलाव मिला नोबेल पुरस्कार

भारत के सहयोग से 1971 में जब बांग्लादेश एक अलग देश के तौर पर अस्तित्व में आया तो मुहम्मद यूनुस भी विदेश से वतन लौट आए। उन्होंने एक महिला को बांस के सुंदर सामान बनाते हुए देखा, जिसे उस वक्त करीब पांच डॉलर की जरूरत थी। इसे देखकर ही यूनिस को ग्रामीण बैंक की स्थापना का विचार आया और 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की।
मुहम्मद यूनुस को ग्रामीण बैंक की स्थापना और माइक्रोक्रेडिट तथा माइक्रो फाइनेंस की दुनिया में क्रांतिकारी काम करने को लेकर ही 2006 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले बांग्लादेशी थे।

  • गरीबों के बैंकर बनकर उभरे यूनुस के पैरोकार थे क्लिंटन और ओबामा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने यूनुस को नोबेल पुरस्कार देने की मांग की थी, तो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 100 हस्तियों सहित करीब 170 दुनिया के दिग्गजों ने शेख हसीना से पैरवी की थी कि यूनुस के खिलाफ चल रहे 174 न्यायिक मामलों को खत्म कर दिया जाए। हिलेरी क्लिंटन यूनुस की प्रशंसक है और क्लिंटन फाउंडेशन की तरफ से उनको काफी मदद भी मिलती रही। 2008 में टेक्सास ने 14 जनवरी को ‘मुहम्मद यूनुस दिवस’ घोषित किया था।

 

  • शेख मुजीबुर्रहमान के प्रशंसक कैसे बने शेख हसीना की आंख की किरकिरी?

मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना कर करीब एक करोड़ गरीबों, खासकर गरीब महिलाओं को सशक्त करने में अहम योगदान दिया। आज बांग्लादेश के हालात बिगड़ने के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख बने 84 वर्षीय यूनुस ने राजनीति में उतरने के इरादे करीब दो दशक पहले ही दिखा दिए थे। उन्होंने 2007 में ‘नागरिक शक्ति’ नामक राजनीतिक दल के गठन की घोषणा की थी। हालांकि उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू में कामयाबी हासिल नहीं करती है और धीरे धीरे शेख के साथ उनके रिश्ते तल्खी की तरफ बढ़ते गए।

मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के प्रशंसक रहे हैं। यहां तक कि 2006 में जब उनको नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, तब तक भी हसीना से उनके रिश्ते ठीक थे। लेकिन ग्रामीण बैंक के जरिये लोगों की मदद करने के लिए प्रख्यात यूनुस पर भ्रष्टाचार और गरीबों का शोषण करने के आरोप लगने लगे, तब दोनों के बीच चीजें बदलने लगीं।

2009 में शेख हसीना जब दोबारा प्रधानमंत्री बनती हैं, तो वे भ्रष्टाचार, श्रम कानूनों के उल्लंघन, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कई मामलों में मुहम्मद यूनुस के खिलाफ जांच बिठा देती हैं। इतना ही नहीं 2011 में उनको ग्रामीण बैंक के मुख्य प्रबंधक के पद से भी बर्खास्त कर दिया जाता है। यहां तक कि शेख हसीना मुहम्मद युनूस को गरीबों का खून चूसने वाला करार दे देती हैं और कोर्ट भी उन पर लगे आरोपों को सही ठहरा देता है।

  • मुहम्मद यूनुस ने मंडेला संग किया काम

2007 में दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला, ग्रासा माचेल और डेसमंड टूटू ने दुनिया की कुछ सबसे कठिन समस्याओं से निपटने के लिए अपनी बुद्धि, स्वतंत्र नेतृत्व और ईमानदारी का योगदान देने के लिए विश्व नेताओं के एक समूह की बैठक बुलाई। नेल्सन मंडेला ने नए समूह द एल्डर्स के गठन की घोषणा की। यूनुस समूह के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। हालांकि उन्होंने 2009 में सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

मुहम्मद युनूस पर लगा मिलावटी दही बनाने का आरोप
युनूस पर मिलावटी दही बनाने का आरोप लगा और कहा गया कि दही की गुणवत्ता न्यूनतम मापदंडों से कम थी। ग्रामीण डैलोन द्वारा उत्पादित किया जाने वाला यह दही, ग्रामीण बैंक और डैनोन (फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय खाद्य उत्पाद निगम) का एक संयुक्त उद्यम है। ग्रामीण टेलीकॉम से जुड़े मामले में उन पर वित्तीय अनियमितताओं जैसे कर चोरी, गबन और विभिन्न सहयोगी संगठनों से प्राप्त धन के दुरुपयोग जैसे आरोप लगे।

  • पेरिस ओलंपिक 2024 के सलाहकार हैं यूनुस

पेरिस ओलंपिक 2024 में सलाहकार के रूप में शामिल हुए मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में तख्तापलट के हालात बनने के बाद अंतरिम सरकार को नेतृत्व देने के लिए लौटना जरूर पड़ा है लेकिन पेरिस में खेलों के दौरान उनकी सलाह पर ही एथलीटों के गांव के पुनर्निवास सामाजिक आवास को एकीकृत करने जैसी पहल की गई।

 

  • मुहम्मद यूनुस को मिले सम्मान और उनकी किताबें

विल्डिंग सोशल बिजनेस : द न्यू काइंड ऑफ कैपिटलिज्म दैट सर्व्स ह्यूमैनिटीज मोस्ट प्रेसिंग नीड्स।
ए वर्ल्ड ऑफ थ्री जीरोज: द न्यू इकनॉमिक्स ऑफ जीरो पॉवर्टी, जीरो अनएम्प्लॉयमेंट, एंड जीरो नेट कार्बन एमिशन।
बैंकर टू द पूअर: माइक्रो लेडिंग एंड द बैटल अगेंस्ट वर्ल्ड पॉवर्टी इत्यादि।
किंग हुसैन ह्यूमैनिटेरियन अवॉर्ड (जॉर्डन, 2000) के पहले प्राप्तकर्ता।
2012 में स्कॉटलैंड में ग्लासगो कैलेडोनियन विश्वविद्यालय के चांसलर बने, जिस पद पर वे 2018 तक रहे।
चटगांव विवि में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे।
1998 से 2021 तक संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन के निदेशक मंडल में भी काम किया।

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